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प्रयागराज:- एसआरएन अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली युवती की इलाज के दौरान मंगलवार को मौत हो गई। 21 मई को ऑपरेशन के बाद से ही वह एसआरएन अस्पताल के आईसीयू में एडमिट थी। इस मामले में मृतका के भाई की तहरीर पर एसआरएन अस्पताल के चार चिकित्सा स्टाफ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। अभी तक जो पुलिस सीएमओ की जांच रिपोर्ट का हवाला देकर कार्रवाई कर रही थी, किशोरी की मौत के बाद तुरंत एफआईआर दर्ज कर ली गई।

हालांकि ऑपरेशन के बाद भी उसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। गंभीर संक्रमण के चलते ही उसे आईसीयू में रखकर इलाज किया जा रहा था। जहां मंगलवार सुबह उसकी मौत हो गई। गौरतलब है कि मिर्जापुर निवासी युवती के भाई ने आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी कि ऑपरेशन के दौरान उसकी बहन से दुष्कर्म किया गया।

उसका दावा है कि यह बात खुद उसकी बहन ने उसे कागज पर लिखकर बताई। भाई व अन्य परिजन इसके बाद से लगातार एफआईआर दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। इस मामले को लेकर सपा नेता ऋचा सिंह व महिला संगठनों ने पुलिस कार्यालय पर प्रदर्शन भी किया। एक दिन पहले ही ऋचा समेत अन्य लोगों ने आईजी रेंज केपी सिंह से मिलकर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। उधर, युवती की मौत के बाद एहतियातन सारण अस्पताल परिसर में फोर्स तैनात कर दी गई है।

सीओ कोतवाली सत्येंद्र प्रसाद तिवारी का कहना है कि पंचनामा भरा जा रहा है। शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा। घर वाले भी इसके लिए राजी हैं।

जांच में नहीं हुई थी दुष्कर्म की पुष्टि
एसआरएन अस्पताल में मरीज से सामूहिक दुष्कर्म के आरोप मेडिकल बोर्ड की ओर से की गई जांच में सही नहीं पाए गए। जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि मरीज के साथ दुष्कर्म के सबूत नहीं मिले। फिलहाल सीएमओ की ओर से रिपोर्ट पुलिस को सौंप दी गई है। मामले में पुलिस अफसरों का कहना है कि रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई होगी।

मिर्जापुर निवासी युवक ने छह दिन पहले एसआरएन अस्पताल में भर्ती अपनी बहन से सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था। जिसके बाद सनसनी फैल गई। मामले में एसआरएन अस्पताल प्रबंधन के साथ ही सीएमओ की ओर से पृथक जांच कमेटियां गठित की गई थीं। मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से गठित कमेटी की जांच रिपोर्ट में दुष्कर्म के आरोपों को गलत बताया गया था। उधर सीएमओ की ओर से गठित मेडिकल बोर्ड की ओर से की गई जांच संबंधी रिपोर्ट भी पुलिस को सौंप दी गई।

सूत्रों का कहना हे कि रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि जांच के दौरान महिला के शरीर पर किसी तरह के चोट का निशान नहीं मिला है। महिला के जननांगों व इसके आंतरिक भागों में भी कोई चोट नहीं मिली है। न ही किसी तरह के दुष्कर्म के सबूत मिले हैं।

स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में एक महिला मरीज से दुष्कर्म का आरोप लगाए जाने के विरोध में मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस छात्रों ने रविवार को कैंडल मार्च निकाला था और मामले को बेवजह तूल देने पर चेताया कि यदि डॉक्टरों पर झूठे आरोप लगते रहे तो भविष्य में चिकित्सक कार्य करने में असमर्थ होंगे।

दरअसल विगत दो जून को एक शिकायत सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसमें एक महिला मरीज के भाई ने अस्पताल में बहन के साथ दुष्कर्म होने का आरोप लगाया था। मामले की जांच के लिए मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.  एसपी सिंह ने पांच सदस्यीय कमेटी बना दी। इस कमेटी में डॉ. वत्सला मिश्रा, डॉ. अजय सक्सेना, डॉ. अरविंद गुप्ता, डॉ. अमृता चौरसिया और डॉ. अर्चना कौल को शामिल किया गया था। कमेटी ने जांच में पाया कि युवती के साथ दुष्कर्म का आरोप झूठा था।

इस मामले को लेकर सोमवार की शाम मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस के छात्रों ने कैंडल मार्च निकाला। स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय से मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के गेट तक निकाले गए मार्च में छात्रों ने एसआरएन में भर्ती महिला के साथ रेप की घटना को गलत बताया। कहा कि महिला गंभीर हालत में चिकित्सालय में भर्ती हुई थी। तमाम जांच के बाद वरिष्ठ चिकित्सकों की देखरेख में उसकी सर्जरी की गई।

महिला के दूर के रिश्तेदार के द्वारा रेप का आरोप लगाए जाने के बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से जांच कमेटी गठित की गई। कमेटी ने महिला के साथ रेप होने की घटना को झूठा बताया। आरोप बेबुनियाद साबित होने के बावजूद कुछ लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए डॉक्टर्स समुदाय को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे समाज में डॉक्टर्स के प्रति नकारात्मक संदेश जा रहा है। एमबीबीएस छात्रों ने कहा कि इस तरह से डॉक्टर्स पर निराधार आरोप लगते रहे तो आने वाले दिनों में वे पूरी क्षमता के साथ काम करने में असमर्थ होंगे। इसके पूर्व एमबीबीएस छात्रों ने इस मामले में सुबह हाथों में काली पट्टी बांधकर विरोध जताया।