बिलासपुर:- ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस बीमा करवाने के बावजूद एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने महिला को इलाज का खर्च देने से इन्कार कर दिया। इस मामले की सुनवाई करते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने इंश्योरेंस कंपनी को एक लाख स्र्पये समेत मानसिक क्षतिपूर्ति व वादव्याय की राशि पीड़िता को अदा करने का आदेश दिया है। सरकंडा लिगियाडीह के सूर्याविहार के रहने वाली देवकुमारी साहू (33) और उसके पति मनीष दत्त साहू ने एसबीआई में संयुक्त खाता खुलवाया था।
इस दौरान बैंककर्मी ने उनको बताया कि ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पालिसी लेने पर कम प्रीमियम में पूरे परिवार को बीमार पड़ने पर इलाज मिलेगा। इस पर देवकुमारी ने 23 जनवरी 2015 को अपने संयुक्त खाते से तीन हजार 800 रूपए जमा कर ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पालिसी ली। बीमा 22 जनवरी 2016 तक वैध था। पालिसी का कार्ड भी महिला को दिया गया। इससे पहले महिला और उसके पति को कोई बीमारी भी नहीं थी। सात माह बाद महिला की तबीयत खराब हो गई। बार-बार उल्टी दस्त होने लगा। वे इलाज करवाने के लिए अपने पति के साथ अपोलो अस्पताल पहुंचीं। वहां महिला ने बीमा पालिसी कार्ड दिखाया। अपोलो प्रबंधन ने तत्काल भर्ती कर इलाज शुरू किया। 21 मई से तीन सिंतबर तक महिला भर्ती रहीं। अपोलो प्रबंधन ने दो लाख 29 हजार रूपए बिल बताया। दवा की कीमत पालिसी में कवर नहीं होने की जानकारी दी गई। उन्होंने इलाज में खर्च हुई रकम के लिए एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के समाने दवा किया।
बीमा कंपनी ने पुरानी बीमारी बताकर दावा को अस्वीकृत कर दिया। इस पर महिला ने जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया। मामले की सुनवाई करते हुए फोरम के अध्यक्ष जगदम्बा राय और स्र्क्मिणी दिव्या ने एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को सेवा में कमी को दोषी पाया। फोरम ने कंपनी को इलाज खर्च एक लाख रूपए, मानसिक क्षतिपूर्ति पांच हजार, परिवाद व्याय तीन हजार रूपए पीड़िता को प्रदान करने आदेश दिया है।