बिलासपुर:- कोनी थाना क्षेत्र के ग्राम भदौरियाखार में रहने वाले एक परिवार ने 16 साल के नाबालिग की शादी की तैयारियां पूरी कर ली थीं। विवाह के कपड़े, गहने और अन्य सामान खरीद लिए गए थे। शादी की एसडीएम दफ्तर से बकायदा परमिशन भी ली गई। एक दिन पहले इसकी सूचना बाल संरक्षण के अफसरों को मिल गई और वे भदौरियाखान पहुंचे।

उन्होंने किशोरी की मार्कशीट की जांच की। इसमें उसका उम्र 16 साल था। अफसरों ने विवाह रुकवाने की गुजारिश की। घरवाले इस बात पर अड़े रहे कि उन्हें इस शादी की इजाजत एसडीएम से मिली है, इसलिए कोई इस विवाह को नहीं रोक सकता। काफी ड्रामा हुआ। इसकी सूचना एसडीएम को दी गई।

उन्होंने अपना आदेश देखा और हैरान हुए। उन्होंने आदेश कैंसिल किया। महिला बाल विकास विभाग अधिकारियों ने वर और वधु पक्ष के लोगों को समझाइश दी। तब जाकर वे माने। बच्ची के परिजनों ने एसडीएम दफ्तर में विवाह के लिए मंजूरी का आवेदन 25 जून लगाया था। शादी 2 जुलाई को होने वाली थी।

आवेदन के साथ वर-वधु की शादी का कार्ड, दोनों का आधार कार्ड लगाया गया। और इसे ही देखकर एसडीएम देवेंद्र पटेल ने दोनों पक्ष को शादी की मंजूरी दे दी। 26 जून को इस बात की जानकारी बाल संरक्षण अधिकारी और चाइल्ड लाइन को लगी। गांव वालों ने ही बताया कि यहां एक परिवार नाबालिग की शादी करने पर अड़ा है।

सूचना के बाद सरकारी टीम संयुक्त रूप से भदौरियाखार पहुंची। घर पर माता-पिता नहीं थे। दादा मौजूद थे, जिनसे टीम के मेंबरों ने बात की। किशोरी के मार्कशीट की जांच की गई। पता लगा कि उसका जन्म 2005 में हुआ था और फिलहाल 2021 चल रहा। इसलिए वह सिर्फ 16 साल की और फिलहाल वह सरकारी नियमों के लिहाज से विवाह के योग्य नहीं हुई।

इसलिए ही बाल संरक्षण अधिकारियों ने यह विवाह रुकवा दिया। और वर-वधु के माता-पिता सहित अन्य मेंबरों को नूतन चौक स्थित बाल संरक्षण इकाई में पहुंचने का नोटिस दिया गया। 29 जून को किशोरी और लड़के के माता-पिता यहां पहुंचे, लेकिन 18 साल की उम्र में दोनों की शादी कराने के घोषणा पर दस्तखत करने से कतराते रहे। काफी समझाइश के बाद इस बात के लिए तैयार हुए कि बालिग होने पर ही किशोरी की शादी करवाएंगे।

नाबालिग के परिवार वालों ने एसडीएम दफ्तर में विवाह की मंजूरी के लिए जो आवेदन लगाया था उसमें आधार कार्ड के मुताबिक किशोरी की उम्र 18 साल लिखी हुई थी। इसे यहां रहने वाले कर्मचारियों से चेक भी किया और इसी आधार पर ही उन्होंने दोनों पक्ष को विवाह की मंजूरी दी।

लेकिन पूरे मामले में पोल तब खुली जब बाल संरक्षण अधिकारियों ने नाबालिग की मार्कशीट की जांच की। उसके मुताबिक किशोरी की उम्र 16 साल है। इसी को लेकर कंफ्यूजन की स्थिति बनी। जब एसडीएम को इसकी जानकारी दी गई तब उन्होंने शादी की मंजूरी को निरस्त किया।

पांच शादियां रोकी गईं, पहला ऐसा मामला
जिला बाल संरक्षण अधिकारियों ने जून में कोटा, बेलगहना, बिजौर, करनकापा में नाबालिग बच्चों की शादी रुकवाई है। भदौरियाखार गांव में ही पहला ऐसा मामला सामने आया जिसमें एसडीएम दफ्तर से शादी की परमिशन दी गई थी।

सिर्फ इसी आदेश के चलते बाल संरक्षण अधिकारियों को यहां शादी रुकवाने के लिए खूब जोर लगाना पड़ा। दोनों ही पक्ष इस शादी के लिए तैयार थे और बार बार यह कह रहे थे कि उनके पास शादी की मंजूरी है, इसलिए यह शादी होकर रहेगी।

आधार के कारण भ्रम की स्थिति
हमारे यहां बच्ची के परिजनों ने जो आधार कार्ड दिया था उसमें उसकी उम्र 18 साल से ऊपर अंकित है। इसलिए ही हमारे यहां से उन्हें मंजूरी दी गई। जैसे ही बाल संरक्षण अधिकारियों ने हमें सूचना दी कि वह नाबालिग है, हमने आदेश निरस्त कर दिया। -देवेंद्र पटेल, एसडीएम, बिलासपुर