वाराणसी:- ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे पूरा हो गया है। तीसरे और अंतिम दिन करीब सवा दो घंटे तक सर्वे चला। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष के वकील ने दावा किया कि जितना सोचा था उससे ज्यादा साक्ष्य मिले हैं। हिंदू पक्ष के सोहनलाल ने कहा-‘बाबा मिल गए।’
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे के दौरान हिन्दू पक्ष की तरफ से सोमवार को करीब 12 फीट 8 इंच लंबा शिवलिंग नंदी के सामने मिलने का दावा किया गया है. सर्वे का काम अब पूरा हो गया और अब कल यानी 17 मई को कोर्ट के सामने टीम की तरफ से रिपोर्ट रखी जाएगी. इधर, आज जो शिवलिंग मिला है उसे संरक्षित कराने के लिए वकीलों की टीम कोर्ट पहुंची है.
कहां मिल गए? पूछे जाने पर सोहनलाल ने कहा कि ये मत पूछिए। उन्होंने संतकबीर का दोहा-‘जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ, मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।’ सुना दिया। उन्होंने बताया कि तालाब में काले रंग का पत्थर मिला है। हालांकि प्रशासन ने कहा है कि इस मामले में सिर्फ अधिकारिक बयानों पर ही ध्यान दें। अन्य किसी भी बयान पर भरोसा न करें।
तालाब का पानी निकलवाकर किया गया सर्वे
तीसरे दिन तालाब से पानी निकलवाकर उसका सर्वे किया गया। बताया जा रहा है कि तालाब में वाटर रेसिस्टेंट कैमरा डालकर वीडियोग्राफी कराई गई।
प्रशासन ने सभी पक्षों को दिया धन्यवाद
तीन दिन का सर्वे पूरा होने पर वाराणसी जिला और पुलिस प्रशासन ने सभी पक्षों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश पर तीन दिन का यह सर्वे कराया गया। इसमें सभी पक्षों ने सहयोग दिया। प्रशासन ने लोगों से इस मामले में सिर्फ अधिकारिक बयानों पर ही भरोसा करने की अपील की है।
कल पेश की जाएगी रिपोर्ट
ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर कोर्ट ने 12 मई को अपना फैसला सुनाया था। इस दिन कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे के लिए नियुक्त किए गए एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाए जाने से इनकार कर दिया थाा। कोर्ट ने अजय मिश्रा के साथ विशाल कुमार सिंह को कोर्ट कमिश्नर और अजय सिंह को असिस्टेंट कमिश्नर बनाया था। कोर्ट ने सर्वे की कार्रवाई पूरी करके 17 मई तक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।
मुस्लिम पक्ष ने नकारा हिंदू पक्ष का दावा
उधर, मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष का दावा नकार दिया है। उनका कहना है कि सर्वे में ऐसा कुछ नहीं मिला है। इससे पहले आखिरी दिन का सर्वे पूरा होने पर हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि-‘बाबा मिल गए। वही बाबा जिनकी नंदी प्रतीक्षा कर रहे थे।’ सोहनलाल ने जैसे ही ये बात मीडिया के सामने कही वहां ‘हर-हर महादेव’ के नारे लगने लगे। उन्होंने कहा था कि जितना हमने सोचा था उससे ज्यादा साक्ष्य सर्वे के दौरान मिले हैं।
प्रशासन ने कहा-सिर्फ अधिकारिक बयान पर ही दें ध्यान
सर्वे के बाद प्रशासन ने साफ तौर पर कहा कि कोर्ट के आदेश पर सर्वे कराया गया है। इसमें सभी पक्षों ने पूरा सहयोग दिया। उन्होंने लोगों से इस मामले में सिर्फ अधिकारिक बयान पर ही ध्यान देने की अपील की।
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद की शुरुआत:
ये विवाद हाल का नहीं है, पहले भी उठता आया है. सबसे पहले 1936 में वाराणसी ज़िला अदालत में याचिका दायर की गई थी. 1937 में कोर्ट ने विवादित स्थल पर नमाज़ पढ़ने की अनुमति दी थी. 1991 में स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर की तरफ़ मामला दर्ज़ हुआ था जिसमें मंदिर की जगह पर मस्जिद बनी होने का दावा किया गया था.