रायपुर:- छत्तीसगढ़ में बिजली बिल पटाने के लिए जल्दी ही न तो लंबी लाइन लगानी होगी, और न ही बिल का इंतजार करना होगा। जिस तरह हर माह मोबाइल रिचार्ज कर उपयोग किया जाता है, नई योजना लागू हुई तो बिजली के लिए भी पहले रिचार्ज करवाना होगा। यह योजना घरेलू से लेकर उच्च दाब बिजली उपभोक्ताओं पर भी लागू रहेगी।
इन सभी के मौजूदा मीटर को स्मार्ट मीटर में बदलकर प्री-पेड सिस्टम लागू किया जाएगा। सिस्टम यह रहेगा कि पहले मीटर में मोबाइल रिचार्ज की तरह बैलेंस टॉपअप लेना होगा। बिजली उसके बाद चलेगी। जैसे ही टॉपअप खत्म होने लगेगा, आपके मोबाइल पर मैसेज आने लगेंगे। बिजली कंपनी ने इस योजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट डीआरसी के समक्ष प्रस्तुत कर दी है।
इसके बाद राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा। यहां से मंजूरी के बाद ही प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने का काम शुरू होगा। इस योजना से कृषि उपभोक्ता ही अलग रहेंगे। प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 9600 करोड़ रुपए है। रिवेम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम के तहत इस योजना को पूरा करने की अधिकतम गाइडलाइन मार्च 2025 है। रिचार्ज के बाद चालू होगी बिजली, बैलेंस घटते ही मिलेंगे मैसेज
बिजली बिल नहीं आएगा
प्रीपेड मीटर में बिजली का बिल जनरेट ही नहीं होगा, इसलिए जारी भी नहीं होगा। स्पॉट रीडिंग की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और पूरा सिस्टम आटोमैटिक रहेगा। बिजली कंपनी के कर्मचारी दफ्तर में बैठे ही देख सकेंगे कि बिजली की कहां, कितनी खपत है।
बिहार में लागू, यूपी तैयारी में
बिहार में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लागू कर दिया गया है। अब यूपी में इसकी तैयारी चल रही है। बिहार के अफसरों ने बताया कि बिजली कंपनी ने अपना एक एप लाॅन्च किया है। इसी के जरिए उपभोक्ता मीटर रिचार्ज करते हैं। बैलेंस कम होते अलर्ट मैसेज मिलेंगे।
59लाख कनेक्शन
कंपनी के मुताबिक प्रदेश में अभी 59 लाख उपभोक्ता हैं। इनमें से करीब 5.50 लाख कृषि उपभोक्ता हैं। सरकार इन्हें सब्सिडी देती है, इसलिए कृषि उपभोक्ताओं को योजना से बाहर रखा गया है।
फायदे… अपव्यय पर लगेगी रोक
- निजी ही नहीं, सरकारी बिजली बिलों का पेमेंट भी समय पर मिलेगा।
- बिजली की बचत होगी, रिचार्ज करेंगे तो लोग अपव्यय भी नहीं करेंगे।
- बिजली सस्ती होने से आने वाले समय में बिजली दरों में कमी आएगी।
- यह योजना लागू करने से बिजली चोरी की समस्या खत्म हो जाएगी।
- स्मार्ट मीटर से कोई छेड़छाड़ हुई तो कंपनी को तुरंत जानकारी मिलेगी।
- समय पर भुगतान से विभाग पर भार कम होगा।