- विश्व विद्यार्थी दिवस – जहां तुम हो वही से शुरू करो , जो कुछ भी तुम्हारे पास है उसका उपयोग करो और वह करो जो तुम कर सकते हो। – डॉ संजय गुप्ता आई.पी.एस.
- विश्व विद्यार्थी दिवस के अवसर पर बच्चों को ऑनलाइन वेबिनार के माध्यम से डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय देकर व्यक्तित्व को उन जैसा बनाने हेतु किया गया प्रेरित
इंडस पब्लिक स्कूल का के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने विश्व स्टूडेंट डे के अवसर पर तथा भारत रत्न डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जन्म दिवस के अवसर पर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बतलाया कि प्रत्येक वर्ष विश्वभर में यह दिवस 15 अक्टूबर को मनाया जाता है | ये दिवस भारत के मिसाइलमैन डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है | एक साधारण परिवार से होने के बावजूद अपनी मेहनत और समर्पण के बल पर | बड़े से बड़े सपनों को साकार करने का एक जीता-जागता उदाहरण है पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम का जीवन। आपका आदर्शमय जीवन हम सभी के लिए हमेशा प्रेरणास्पद रहेगा। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी सन 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए थे, राष्ट्रपति बनने के पूर्व वह आई एस आर ओ (ISRO) में इंजीनियर के तौर पर कार्यरत थे मिसाइल मेन के नाम से भी जाना जाता है चूंकि उन्होंने परमाणु की खोज की थी। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक वैज्ञानिक तथा राजनेता होने के साथ ही एक उम्दा शिक्षक भी थे। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सभी विद्यार्थियों के लिए एक आदर्श थे, तमिलानाडु के एक छोटे से गाँव से होते हुए भी वह अपने मेहनत और लगन के बलबूते पर देश के सबसे उंचे संवैधानिक पद पर पहुंचे। उनके इन्हीं उपलब्धियों के कारण उनके जन्मदिन को विश्व विद्यार्थी दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की गई है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सभी वर्गों और जाति के छात्रों के लिए एक प्रेरक और मार्गदर्शक की भूमिका निभाते थे। एक छात्र के रुप में उनका खुद का जीवन काफी चुनौतीपूर्ण था और अपने जीवन में उन्होंने कई तरह के कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना किया। इसके अलावा अपने बचपन में वह अपने परिवार और खुद के भरण-पोषण के लिए, वह दरवाजे-दरवाजे जाकर अखबार भी बेचा करते थे। लेकिन अपनी पढ़ाई के प्रति अपनी दृढ़-इच्छा शक्ति के कारण वह अपने जीवन में हर तरह की बाधाओं को पार करने में सफल रहे और अपने जीवन में हर चुनौती को पार करते हुए, राष्ट्रपति जैसे भारत के सबसे बड़े संवैधानिक को प्राप्त किया। यह उनके जीवन की ऐसी कहानी है, जो उनके साथ-साथ भारत के आने वाले कई पीढ़ीयों को प्रेरित करने का कार्य करेगी। अपने वैज्ञानिक और राजनैकित जीवन के दौरान भी डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने खुद को एक शिक्षक ही माना और छात्रों को संबोधित करना ही उनका सबसे प्रिय कार्य था। फिर चाहे वह किसी गांव के छात्र हों या फिर किसी बड़े कालेज या विश्वविद्यालय के छात्र हों। शिक्षण के प्रति उनका कुछ ऐसा रुझान था कि एक समय उन्होंने अपने जीवन में भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के जैसा कैबिनेट श्रेणी का पद छोड़कर एक शिक्षक का पद चुन लिया। अपने जीवन में डॉ. कलाम ने छात्रों के कई सारे वैज्ञानिक, अकादमिक और आध्यात्मिक तरक्की पर ध्यान दिया। इस दौरान उन्होंने कई सारे भाषण दिये और किताबें लिखी तथा विश्व भर के छात्रों के तरक्की पर ध्यान दिया। उनके द्वारा वैज्ञानिक क्षेत्र और छात्रों के तरक्की के लिए किये गये इन्हीं अतुलनीय कार्यों देखते हुए उनके जन्म दिन को विश्व विद्यार्थी दिवस के रुप में मनाने का फैसला किया गया। डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम का जीवन हमें इस बात की सीख देता है कि, जीवन में चाहे कितनी भी चुनौतियां क्यों ना हो लेकिन शिक्षा द्वारा हम हर बाधाओं को पार करते हुए बड़े से बड़े लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
आगे आईपीएस के प्राचार्य डॉ संजय गुप्ता ने बताया कि आज वर्ल्ड स्टूडेंट डे के अवसर पर बच्चों को प्रेरित करने के लिए भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जीवन कहानी सुना कर बच्चों को प्रेरणा दी गई जिस प्रकार डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन एक साधारण व्यक्तित्व कथा वह एक छोटे से गांव से तमिलनाडु के रामेश्वरम से थे और शिक्षा के माध्यम से भारत की संवैधानिक पद की सर्वोच्च सीढ़ी चढ़े थे। विद्यार्थियों को भी कौन से प्रेरणा लेनी चाहिए भले ही हमारे पास साधनों की कमी हो पर हमें उन सीमित साधनों के माध्यम से ही शुरुआत करनी चाहिए हम जहां रहते हैं। जिस स्थान पर रहते हैं। जितने साधन हमारे पास उपलब्ध हैं। उसके बलबूते ही हमें शुरुआत करनी चाहिए। हमें समस्यायों से घबराना नहीं चाहिए। जिस तरह डॉ कलाम की नजरों में कोई कार्य छोटा नहीं था उसी तरह हमें भी किसी कार्य को छोटा नही समझना चाहिए। उन्होंने तो अखबार तक बांटे थे। तो वहीं एक राष्ट्रपति के पद पर अशीन होकर भी उनके मन मे धर्म निरपेक्षता थी वह सबको एक समान नजर से देखते थे। ठीक उसी प्रकार हममे से प्रत्येक को आपस मे एक दूसरे को समान भाव से देखना चाहिए। ऊंच नीच, अमीर-गरीब, हिन्दू-मुसलमान की नजर से नहीं बल्कि इंसान हैं तो सबको इंसानियत की नजर से देखना चाहिए। किसी व्यक्ति व धर्म के विशेष पक्षपात नहीं करना चाहिए। प्रायः देखा जाता है कि साधनों पर निर्भरता की वजह से कई मर्तबा विद्यार्थी की शिक्षा प्रभावित हो जाती है। वहीं आगे डॉक्टर संजय गुप्ता ने विद्यार्थी जीवन मे विद्यार्थियों को अनुशासित जीवन शैली जीने के लिये प्रेरित किया। उन्होंने बतलाया कि केवल वही व्यक्ति सही मुकाम हांसिल कर सकता है जिसके जीवन मे अनुसाशन हो। जो स्वयं अनुशाषित नहीं होगा वह जीवन मे सफलता हांसिल नहीं कर सकता। हमें दूसरों में त्रुटियां ढूंढने के बजाए अपनी कमी कमजोरियों को अपने से दूर करनर में समय लगाना चाहिए। क्योंकि सफलता व सफलता हमारी गुण व कमी कमजोरियों पर निर्भर करती है। हममे जितना ज्ञान व गुण रहेगा हम सफलता के करीब होंगे। हम जितने अनुशाषित व अवगुण युक्त होंगे हमे उतने जीवन मे असफल होंगे। इसलिय दूसरों को बदलने से अच्छा अलनी आप को गुणवान बनाएं ताकि लोग आपके गुणों का अनुसरण कर सकें। कोई भी व्यक्ति महापुरुष तब ही बनता है जब वह यूनिवर्सल ट्रुथ पर चलना शुरू करता है। क्योकि यूनिवर्सल ट्रुथ की राह लम्बी जरूर है। पर सफलता जब मिलती है। तो सब उसे फॉलो करते हैं। क्योकि वह एक नई मार्ग बन जाती है। उन लोगों के लिये जो जीवन मे शॉर्टकट अपनाते हैं। अगर डॉ कलाम के जीवन और गौर फरमाएं तो उनके जीवन मे कोई शॉर्टकट नजर नहीं आता बल्कि अथक परिश्रम से बहोत से उतार चढ़ाव सहने के पश्चात उन्होंने वह मुकाम बड़े ही ईमानदारी पूर्ण जीवन व्यतीत करते हुवे हांसिल किया। उनकी कथनी करनी एक समान थी अर्थात जो विचारों में था वही वाणी में वही कर्म में था हमें भी अपना व्यवहार वैसा बनाना चाहिए। क्योंकि जिनकी कथनी करनी में अंतर होता है। वह विश्वास पात्र नहीं बन पाते अर्थात दुनियां के लोग उन पर विश्वास नहीं कर पाते और जिनकी कथनी करनी एक समान होती है। उनकी बातों पर दुनियां के लोग विश्वास कर अमल भी करने लग जाते हैं। सीखने को तो बहोत कुछ मिलता है डॉ कलाम के जीवन से प्रत्येक विद्यार्थियों को प्रेरणा लेती रहनी चाहिए। उनके द्वारा लिखी गई किताबें पढ़कर उनका अनुसरण करना चाहिए
आगे डॉक्टर गुप्ता ने बतलाया प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी वर्ल्ड स्टूडेंट डे सेलिब्रेट किया गया आईपीएस ने ऑनलाइन वेबिनार के माध्यम से बच्चों को जोड़कर डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जीवन परिचय से सबको अवगत करवाया ताकि बच्चे उनके जीवन परिचय को जानकर उससे प्रेरणा ले सकें। साथ ही लॉक डाउन के दौरान बच्चों ने इतने डेडिकेशन के साथ धैर्य के साथ जो ऑनलाइन क्लासेस अटेंट कर नवीन पटरी पर चलकर बतलाये उसके लिये सभी बच्चों को सराहा गया व सम्मान किया गया। ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई जारी रखे जाने में बच्चों की भूमिका अहम रही क्योकि उनके लिए भी यह प्रोसीजर नया था। पर सबने तुरंत ही अडॉप्ट करते हुवे रेवोल्यूशन में भागीदारी निभाये, साथ मे उनके परिजनों को भी आईपीएस की तरफ से धन्यवाद अदा किया गया, जिन्होंने लॉक डाउन के दौरान एक परिजन के साथ साथ एक टीचर की भूमिका भी निभाई, उनके सहयोग से ही ऑनलाइन क्लासेज का क्रियान्वयन सफलतापूर्वक हो सका आगे सभी बच्चों को इसी तरह से डटकर परिस्थिति का सामना करने के लिये और भी प्रेरित किया गया। व बतलाया गया कि प्रॉब्लम जीवन मे कभी कम नही होते बल्कि बढ़ते ही रहते हैं। हमें अपना ध्यान प्रॉब्लम से हटाकर सॉल्यूशन की तरफ लेजाना है। तब ही सॉल्यूशन निकलता है।