• आईपीएस-दीपका में वर्ल्ड हार्ट डे पर ऑनलाइन वेबिनार के माध्यम से आयोजित हुई कार्यशाला विख्यात डॉक्टर अविनाश तिवारी ने की शिरकत- हेल्थी हार्ट विषय पर रखे वक्तव्य।
  • लंबे समय तक अच्छा एवं स्वस्थ जीवन जीना है। तो नियमित रुप से लाइफस्टाइल में व्यायाम व मैडिटेशन को शामिल करना चाहिए – डाॅ संजय गुप्ता

 

इंडस पब्लिक स्कूल दीपिका द्वारा ऑनलाइन वेबीनार के माध्यम से वर्ल्ड हार्ट डे के उपलक्ष पर सामाजिक जागरूकता के उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें कोरबा जिले के विख्यात डॉक्टर अविनाश तिवारी ने शिरकत कर वेबीनार में उपस्थित आईपीएस के बच्चों तथा उनके परिजनों को हृदय को स्वस्थ व सुरक्षित रखे जाने हेतु सामाजिक जागरूकता फैलाये इस संबंध में इंडस पब्लिक स्कूल के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता से हुई परिचर्चा में उन्होंने बतलाया कि आज वर्ल्ड हार्ट डे के उपलक्ष पर सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुवे सामाजिक जागरूकता के उद्देश्य से ऑनलाइन वेबीनार का आयोजन रखा गया था जिसमें कोरबा जिले के विख्यात डॉ अविनाश तिवारी जी ने शिरकत की तथा ह्रदय को स्वस्थ्य तथा सुरक्षित रखे जाने के उपाय पर प्रकाश डालें इस दौरान बच्चों ने जाना कि हृदय हमारे शरीर मे रक्त के परिसंचरण करने के लिए अत्यंत ही वाइटल इम्पोर्टेन्ट ऑर्गन है जो पूरे शरीर से अशुद्ध रक्त के शुद्धिकरण में अहम भूमिका निभाता है, हम जो भी न्यूट्रिशनल पदार्थ खाते हैं वह डाइजेस्ट होने के पश्चात अवशोषित होकर रक्त में आता है फिर हृदय की मदद से रक्त पंप होकर पूरे शरीर के हर सेल तक परिसंचरण करता है व प्रत्येक सेल को जरूरी पोषण तत्व रक्त में उपस्थित न्यूट्रिएंट्स, मिनरल्स द्वारा प्राप्त हो जाती है। साथ ही हृदय हमारे शरीर के टेम्परेचर को कंट्रोल करने के लिये भी आवस्यक है। हर सेल तक न्यूट्रिशन, जल तथा ऑक्सिजन पहुंचाने में मददगार हृदय वाइटल ऑर्गन है। जिसके बिना जीवन की परिकल्पना ही नहीं कि जा सकती इसके माध्यम से ही रक्त मस्तिष्क में पहुंचकर उसको पोषण प्रदान करता है। इसलिय जिसका हृदय स्वस्थ्य होता है। उसका मस्तिष्क भी स्वस्थ्य होता है। इस तरह सबने जाना कि हृदय हमारे जीवन जीने के लिये कितना अहम भूमिका निभाता है। उसकी क्या महत्ता है। इसलिए इसका ख्याल रखना भी अत्यंत आवस्यक है। जिसके लिये यह जानना भी जरूरी है कि ऐसी कौन से खाद्य पदार्थ हैं जिनसे हृदय पर दुष्प्रभाव पड़ता है। इसके अलावे ऐसी कौन सी दिनचर्या है जिसकी वजह से हृदय रोगी बनता है। तो ज्यादा तैलीय खाद्य पदार्थों का सेवन हृदय रोगों को बढ़ावा देता है। क्योकि इससे शरीर मे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढती है। फिर कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर की धमनियों व रक्त वहनीययों में एकत्रित होकर नशों को जाम करते हैं। जिस ब्लॉकेज को हटाने के लिये हृदय तेज गति से धड़कने लगता है व कभी कभी हृदय की गति इतनी तेज हो जाती है हृदयगति अनियंत्रित होकर हाई ब्लड प्रेशर नामक अनियमितता को जन्म देती है। उसी तरह जंक फूड का सेवन भी हृदय रोगों को बढ़ावा देता है। हमें चाहिए कि हम प्रतिदिन व्यायाम को अपने जीवन शैली में शामिल करें यह तो हुई फिजिकल अब दूसरा है अंदरूनी टेंशन के वजह से भी हृदय रोग पनपते हैं चूंकि टेंसन में हृदय की गति अधिक हो जाती है। टेंसन का कारण है व्यसन, अनिद्रा, चिंता लाइफ की अनसुलझी समस्या, बीमारी, भागदौड़ भरी जिंदगी, कॉम्पिटिशन, कंपेरिजन, क्रोध भी हृदय पर दुस्प्रभाव पहुंचाता है। जब हम क्रोध करते हैं तो नेगेटिव विचारों का प्रवाह इतना तेज होता है कि वह हमारे शरीर के प्रत्येक सेल को प्रभावित करते हैं व क्रोध के दौरान हृदय की गति भी तेज हो जाती है अत्याधिक क्रोध व बार बार क्रोध के स्वभाव की वजह से मानसिक अशांति उत्तपन्न होती है नेगेटिव विचार उत्तपन्न करता है। जिससे ब्रेन में हाइपोथैलेमस व पिट्यूटरी ग्लैंड नेगेटिव हॉर्मोन छोड़ते हैं जिससे हमें चिड़चिड़ापन व दुख की अनुभूति होती है। इसलिय दुखी व्यक्ति को हृदय रोग होने के आसार अधिक होते हैं। वहीं सुखी व मन से प्रशन्न चित्त व्यक्ति को हृदय रोग होने की संभावना कम व ना के बराबर होती है। वर्तमान समय कोविद 19 के दौरान प्रत्येक मानव मन अनिश्चितता, भय से गुजर रहा है। लोगों की मानसिक चिंताएं बढ़ती ही जा रही है कि आगे क्या होगा ऐसे में चिंता की वजह से जो आलरेडी हृदय रोग से ग्रसित हैं। उन पर तो खतरे के बादल मंडरा ही रहे हैं। क्योकि चिंता चिता की जननी है। हमें अपने मन की इस कोविद 19 के दौरान मजबूत बनाये रखना है। क्योकि अगर हमने परिस्थितियों के आगे घुटने टेक दिए तो परिस्थितियां हमारे मन पर हावी होकर हमें मानसिक रूप से अशांत कर देंगी जिसका प्रभाव हमारे मन मस्तिष्क व हृदय पर पड़ेगा अगर ऑलरेडी हृदय रोगी होंगे तो प्राणघातक साबित होगा, व अगर आयु 30-40 के करीब हो तो चान्सेस हैं कि मानसिक अस्थिरता की वजह से हृदय रोग पनप सकते हैं। इसके अलावे तीसरा कारक हृदय रोग का जो है वो व्यसन है। अत्याधिक शराब का सेवन हृदय रोग को बढ़ावा देता है। वहीं सिगरेट, तम्बाकू या तम्बाकू से बने अन्य उत्पाद जैसे गुटका, पान इत्यादि भी ह्रदय रोग के कारक हैं। हर वर्ष तकरीबन 1 करोड़ 91 लाख लोग हृदय रोग के शिकार होकर काल के मुंह मे समा जाते हैं। भारत देश मे ही तकरीबन 22 से 25 लाख लोग हृदय रोग से मर जाते हैं। आज हर 10 में से 1 युवा हृदय रोग से ग्रसित है, मोटापा भी हृदय रोग को बढ़ावा देने का एक कारक है, मांसाहारी खाद पान भी हृदय रोग को बढ़ावा देता है। आगे परहेज व सावधानी के तौर पर हमें व्यसन मुक्त जीवन यापन करना चाहिए, अत्याधिक तैलीय पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए, रोजाना व्यायाम को जीवन शैली में शामिल करना चाहिए, 8 घण्टे की नींद लेनी चाहिए, क्षमता से अधिक कार्य नहीं करना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए, बीती बातों को फूल स्टॉप लगाकर व्यर्थ चिंता नहीं करनी चाहिए भविस्य की चिंता नहीं करनी चाहिए प्रेजेंट में जीवन जीना चाहिए, सुबह जल्दी उठना चाहिए रात में जल्दी सोना चाहिए मोबाइल शर्ट के पॉकेट में नहीं रखना चाहिए उससे निकलने वाली तरंगे हृदय रोग जनक होती हैं, सात्विक खान-पान रखना चाहिए, टेंसन नहीं लेना चाहिए, मैडिटेशन व योगा को जीवन मे शामिल करना चाहिए, आध्यात्मिक ज्ञान लेना चाहिए, मानसिक अशांति के दौरान पसंदीदा स्थलों पर घूमने जाना चाहिए, अच्छे पॉजिटिव हैबिट हॉबी को जीवन मे शामिल करना चाहिए , खाली समय अपने मन को नहीं देना चाहिए खाली समय का सदुपयोग अच्छी अच्छी किताबें पढ़ने में देना चाहिए, नियमित व्यायाम करना चाहिए, साइकलिंग करनी चाहिए, सुबह या साम पैदल चलना चाहिए, व्यसनियों की संगत नहीं करनी चाहिए

आगे डॉक्टर संजय गुप्ता ने बतलाया कि वेबिनार में आमंत्रित डॉक्टर अविनाश तिवारी ने वेबिनार में उपस्थित बच्चों व उनके परिजनों को सामाजिक जागरूकता हेतु निस्वार्थ सेवा प्रदान करते हुवे हृदय की महत्ता के संदर्भ में विस्तार से समझाया साथ ही अपने हृदय को इस कोविद 19 के दौरान उत्तपन्न चिंता व भय के वातावरण के दौरान कैसे स्वस्थ्य व सुरक्षित रखें यह भी बच्चों को व उनके परिजनों को जानकारी दी गई, व स्वस्थ्य हृदय के लिए हमे किस तरह की जीवन शैली अपनाने की जरूरत है किन चीजों का त्याग व किन चीजों को लाइफ स्टाइल में शामिल किए जाने की आवस्यकता है यह जानकारियां भी सबको प्राप्त हुई। ज्ञात हो कि इंडस पब्लिक स्कूल दीपिका इस तरह के सामाजिक जागरूकता वाले कार्यक्रम निरंतर करता ही रहता है वह लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन एक अच्छा माध्यम है जिसके द्वारा हम विद्यार्थियों के साथ-साथ उनके परिजनों से भी जुड़कर सामाजिक जागरूकता के विभिन्न कार्यक्रमों का ऑनलाइन मंच पर आयोजन कर आईपीएस की तरफ से सामाजिक योगदान प्रदान करने में अपनी सहभागिता निभा पा रहे हैं साथ ही साथ आईपीएस द्वारा ऑनलाइन माध्यम से बच्चों की पढ़ाई भी नियमित रूप से बदस्तूर जारी है।