- स्वास्थ्य है अनमोल, नहीं है इसका कोई मोल – डॉ संजय गुप्ता प्राचार्य आईपीएस दीपका
- लॉकडाउन के दौरान तन मन को स्वास्थ्य रखना अत्यंत आवस्यक जीवन मे आहार लो संतुलित व्यायाम करों नियमित – डॉ संजय गुप्ता आईपीएस दीपका
आई.पी.एस. दीपका के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता नें प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बतलाया कि फिट इंडिया मूवमेंट के तहत इंडस पब्लिक स्कूल दीपका द्वारा सामाजिक सहभागिता निभाते हुवे ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन रखा गया इस दौरान बच्चों व उनके परिवार के सदस्यों से स्वास्थ्य रहने से सम्बंधित टिप्स सांझा किये गए आज के सेसन में बच्चों ने जाना कि सम्पूर्ण स्वास्थ्य का अर्थ शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, व्यवहारिक रूप से स्वस्थ्य होना जब हम बात करते हैं शारीरिक स्वास्थ्य की तो इसमें सम्मिलित होते हैं हमारे खानपान सात्विक भोजन, समय पर सोने व समय पर उठने की दिनचर्या, नियमित व्यायाम, बैलेंस्ड डाइट पर्याप्त मात्रा में जल का सेवन, कम से कम 8 घण्टे के नींद सुबह की सैर वहीं जब बात करते हैं मानसिक स्वास्थ्य की तो मन से ही हमें सभी कार्यों को अंजाम देना होता है इसलिए मन का स्वस्थ होना अत्यंत ही आवश्यक है मन को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हमें लिमिट टीवी या मोबाइल का उपयोग अच्छे बुक पढ़ना अच्छे लोगों का संगत करना आध्यात्मिक किताबें पढ़ना महापुरुषों की जीवन परिचय पढ़ना अपने व्यवहार को सकारात्मक बनाए रखने हेतु इनपुट देखना सुनो ना पढ़ना क्योंकि हम जैसा देखते हैं जैसा पढ़ते हैं जैसा सुनते हैं वैसा ही उसके बारे में चिंतन करने लग जाते हैं फिर हमारा मन उसका आदमी बन जाता है और हम वह चीज बार-बार दोहराने लगते हैं जिससे मन वैसा ही बनता चला जाता है इसलिए हमें अपने मन को पॉजिटिव ज्ञान का भोजन करवाना चाहिए जिस तरह शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हम हेल्दी फूड का सेवन करते हैं ठीक उसी प्रकार हमें अपने मन को संतुलित व स्वस्थ बनाए रखने के लिए अच्छा देखना, अच्छा सुन्ना, अच्छा पढ़ने की आदत अपनी दिनचर्या में शामिल करनी चाहिए हमें टीवी का उपयोग केवल अच्छी जानकारियां हांसिल करने के लिये करना चाहिए वहीं मोबाइल का उपयोग भी अच्छी जानकारियां हांसिल करने के लिये करना चाहिए, हर चीजों का बैलेंस जीवन मे जरूरी है, चाहे वह आहार हो विचार हो या फिर व्यवहार आज मधुमेह नामक बीमारी से भारत विश्व का कैपीटल बन चुका है सबसे ज्यादा मधुमेह रोगी भारत मे ही हैं वहीं आज हर 6 में से एक भारतीय मानसिक रोग का शिकार है, वजह यह कि हम साधनों के अधीन होते चले जा रहे हैं कहने को भारत आजाद है परंतु हम अपने ही द्वारा रचित रचना के गुलाम बनते जा रहे हैं फिर वह रचना साधन के रूप में हो या विचारों के रूप में आज टीवी मोबाइल गाड़ी सबकी जरूरत बन चुकी है जिसके बिना जीवन अधूरा सा बन जाता है इस तरह अपने जीवन को चलाने के लिये हम चीजों पर डिपेंडेंट हो चुके हैं, और जब हम किसी चीज पर निर्भरता जताते हैं तब हम उसके गुलाम बनते जाते हैं फिर वह हमारी कमजोरी बन जाती है, वहीं मन ठीक ना होने से उसका प्रभाव व्यवहार में पड़ता है व व्यवहार ठीक ना होने से उसका असर रिस्तों-संबंधों पर पड़ता है, जिससे रिस्तों में तकरार पैदा होते हैं, अतः हमें संबंधों में समरसता बनाये रखने के लिये अपने व्यवहार को मधुर करने की आवस्यकता है जिसके लिये मन को ठीक रखना जरूरी है और मन को ठीक रखने का उपाय है सकारात्मक चिंतन सकारात्मक चिंतन के लिये पॉजिटिव देखना, सुनना, पढ़ना आवस्यक है क्योकि जो कुछ हम देखते सुनते पढ़ते हैं उसका ही मन मे चिंतन करते हैं, विद्यार्थी जीवन मे अनुशाषित जीवन शैली का होना अत्यंत ही आवस्यक है, जीवन शैली में प्रत्येक दिन की समय सारणी हमारी तय होनी चाहिए सुबह उठने से लेकर नास्ता, फिर दोपहर का भोजन, रात्रि का भोजन, पढ़ाई का समय, खेल का लिमिटेड समय सबकुछ फिक्स्ड होना चाहिए लिमिट में खेलना भी जरूरी है ऐसा बिल्कुल नहीं कि खेलें तो खेलते रह गए होम वर्क छूट जाए ऐसा नही होना चाहिए
हमें अपनी दिनचर्या में बहोत से पॉजिटिव टिप्स को शामिल करने की जरूरत है जिसका उल्लेख किया जा रहा है उन टिप्स को अमल कर आप जीवन को सहज व सरल बना सकते हैं, प्रातःकाल जल्दी उठकर प्रतिदिन व्यायाम को जीवन शैली में शामिल करें, और जब हम किसी चीज पर निर्भरता जताते हैं तब हम उसके गुलाम बनते जाते हैं फिर वह हमारी कमजोरी बन जाती है, वहीं मन ठीक ना होने से उसका प्रभाव व्यवहार में पड़ता है व व्यवहार ठीक ना होने से उसका असर रिस्तों-संबंधों पर पड़ता है, जिससे रिस्तों में तकरार पैदा होते हैं, अतः हमें संबंधों में समरसता बनाये रखने के लिये अपने व्यवहार को मधुर करने की आवस्यकता है जिसके लिये मन को ठीक रखना जरूरी है और मन को ठीक रखने का उपाय है सकारात्मक चिंतन सकारात्मक चिंतन के लिये पॉजिटिव देखना, सुनना, पढ़ना आवस्यक है क्योकि जो कुछ हम देखते सुनते पढ़ते हैं उसका ही मन मे चिंतन करते हैं, विद्यार्थी जीवन मे अनुशाषित जीवन शैली का होना अत्यंत ही आवस्यक है, जीवन शैली में प्रत्येक दिन की समय सारणी हमारी तय होनी चाहिए सुबह उठने से लेकर नास्ता, फिर दोपहर का भोजन, रात्रि का भोजन, पढ़ाई का समय, खेल का लिमिटेड समय सबकुछ फिक्स्ड होना चाहिए लिमिट में खेलना भी जरूरी है ऐसा बिल्कुल नहीं कि खेलें तो खेलते रह गए होम वर्क छूट जाए ऐसा नही होना चाहिए, वहीं जब व्यायाम करें तो अन्य बाहरी जिम की वस्तुवों का सहारा लिए बगैर व्यायाम करें क्योकि जिम की वस्तुवों का सहारा लेना उनके लिये जरूरी होता है जो स्पोर्ट्स में या अथेलिटिक में होते हैं नॉर्मल जीवन जीने वाले लोगों के लिये जिम की वस्तुवों के बिना अपने शरीर के आधार पर ही प्रतिदिन व्यायाम को जीवन शैली में शामिल करना चाहिए, वहीं अगर बात करें खान पान की तो जैसा अन्न वैसा मन व शरीर इसलिय अपने अन्न को सात्विक रखें, वेजिटेबल हरि सब्जियां सादा भोजन व संतुलित आहार होना चाहिए क्योंकि विद्यार्थी जीवन मे सादा भोजन अत्यंत लाभप्रद होता है चूंकि हमें अपने विचारों को पॉवरफुल बनाना होता है व विचार से ही परिवर्तन किए जाते हैं इसलिय अपने विचारों को पॉवरफुल बनाने के लिये सात्विक अन्न को प्राथमिकता देनी चाहिए बाहर के भोजन व जंक फूड से परहेज करना चाहिए यह हमारे स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होते हैं अगर हम रोजाना संतुलित आहार करें तो हमारा शरीर स्वास्थ्य रहेगा व व्यायाम भी करें तो पाचन अच्छे से होगा व भोजन का यूटिलाइजेशन अच्छे से होगा अक्सर लोग खाते तो सही हैं पर व्यायाम जीवन मे शामिल ना होने से उक्त भोजन का यूटिलाइजेशन अच्छे से नहीं हो पाता। व उससे मिलने वाली ऊर्जा व्यर्थ हो जाती है भोजन से मिलने वाली ऊर्जा का उपयोग किया जाना भी आवस्यक है जिसके लिये व्यायाम जरूरी है अन्यथा शरीर मे मोटापा व अन्य बीमारियां घर करने लग जाती है व हम अस्वस्थ्य होते चले जाते हैं, वहीं सुबह समय पर शौच भी अत्यंत आवस्यक है सुबह समय पर पेट साफ रखने से आधी बीमारियां तो वहीं रुक जाती है, हमें साइकिलिंग को अपने जीवन मे शामिल करना चाहिए ट्यूशन या घर के छोटे मोटे कार्य या खेलने जाने या अन्य कोई कार्य जिसके लिये हम परिजनों के गाड़ियों पर निर्भर होते हैं तो हमें उस निर्भरता को त्यागते हुवे साइकिलिंग का आनंद लेते हुवे उन छोटे मोटे कार्यों को अंजाम देना चाहिए इससे शरीर का स्वास्थ्य भी बरकरार रहेगा व अपनी छोटी छोटी कार्यों को अंजाम देने के लिए हम परिजनों के वाहनों पर निर्भर नहीं रहेंगे जो कि अपने को मानसिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग प्रदान करेगा
आगे आईपीएस दीपका के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने बतलाया की हमें अपनी दिनचर्या में बहोत से पॉजिटिव टिप्स को शामिल करने की जरूरत है जिसका उल्लेख किया जा रहा है उन टिप्स को अमल कर आप जीवन को सहज व सरल बना सकते हैं, ध्यान रहे कि हम अगर स्वस्थ्य होते हैं तो अपने अच्छे संतुलित जीवन शैली की वजह से व अस्वस्थ्य होते हैं तो अपने असंतुलित जीवन शैली की वजह से हमें इस शरीर को चलाने के लिये भोजन के अलावे अन्य किसी सप्लीमेंट की आवस्यकता ही नहीं अगर हम संतुलित सात्विक आहार करें, व्यायाम करें तो शरीर फिट रहेगा, अगर हम अच्छा देखें, सुनें, पढ़ें तो मन स्वास्थ्य रहेगा जिससे व्यवहार स्वास्थ्य होगा जिससे रिस्ते भी मधुर होंगे व जीवन खुशहाल होगा, अपने जीवन को सवारना हमारे अपने हाँथ में है इसलिय आज से प्रत्येक यह संकल्प करें कि सात्विक अन्न, बैलेंस्ड डाइट, व्यायाम, समय समय पर जल का सेवन, जंक फूड से परहेज, पढ़ाई के अलावे अन्य महापुरुषों की जीवन गाथा पढ़ना, साइकिलिंग, टीवी व मोबाइल का लिमिटेड व पॉजिटिव इनफार्मेशन हेतु उपयोग, अच्छी संगत, अनुशाषित जीवन शैली इत्यादि सकारात्मक बातों को अपने जीवन मे शामिल करेंगे व तन मन से सामाजिक रूप से एज दूसरे को सहयोग प्रदान करते हुवे एक सुंदर समाज की रचना करेंगे