कोरबा/चैतमा:- अंग्रेजो के सदियों पूर्व गुलामी व उनके बढ़ते अत्याचार से सारे भारतवासी त्रस्त हो गए और तब विद्रोह की ज्वाला भड़की और देश के अनेक वीरों ने अपने प्राणों की बाजी लगाई, गोलियां खाई और अंततः देश के शूरवीरों व आजादी के मतवालों ने अपना बलिदान देकर 15 अगस्त सन 1947 को देश को आजाद कराया था। जिसमे सुभाषचंद्र बोस, भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद ने क्रांति की आग फैलाई और अपने प्राणों की आहुति दी। वहीं सरदार वल्लभ भाई पटेल, गाँधीजी, नेहरूजी ने सत्य, अहिंसा और बिना हथियारों की लड़ाई लड़ी, सत्याग्रह आंदोलन किये, लाठियां खाई, अनेकों बार जेल गए। और इस प्रकार अंग्रेजों के अत्याचारों, अमानवीय व्यवहारों से भारतीय जनता को निजात दिलाने के साथ अंग्रेजों को भारत देश छोड़कर जाने पर मजबूर कर दिया था। और तब से 15 अगस्त का दिन हमारे लिए स्वर्णिम का दिन है। तथा इस दिन 1947 से लेकर आज तक हम बड़े उत्साह और प्रसन्नता के साथ आजादी का जश्न मनाते आ रहे है।
बीते रविवार को भी आजादी की 75वीं वर्षगांठ जिले सहित प्रदेश व देश भर में हर्षोल्लास के साथ तथा कोरोना प्रोटोकॉल के तहत धूमधाम से मनाया गया। जहां सभी शासकीय, अर्धशासकीय, निजी संस्थानों में देश की आन, बान, शान तिरंगा फहराया गया, राष्ट्रगान गाया गया। और सभी महापुरुषों, शहीदों के बलिदानी को याद करते हुए सलामी के साथ श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान लोग भांति- भांति से अपने देशप्रेम का इजहार करते दिखे। तिरंगा एकमात्र झंडा नहीं बल्कि भारत के शौर्य, पराक्रम, शांति, सादगी व समृद्धि का परिचायक भी है। लेकिन जहाँ पूरे देशभर में 15 अगस्त के दिन सभी संस्थानों में ध्वजारोहण कर आजादी का पर्व मनाया गया वहीं यूनियन बैंक के चैतमा स्थित शाखा में तिरंगा फहराने की जहमत बैंक के किसी कर्मचारियों ने उठाई तक नही। तथा खेद जनक बात तो यह रहा कि जब इसके संबंध में यहां के ब्रांच मैनेजर (नाम न मालूम) से उनके मोबाइल नंबर क्रमांक- 7722851634 पर उनसे बात की गई तब उन्होंने जो जवाब दिया वह सोचनीय है। जिसमे ध्वजारोहण नही करने के जवाब में उनका पहला कथन था कि बच्चों ने फहरा लिया होगा, जिसके बाद बोले फहराना तो था लेकिन फहराने का क्या चक्कर..! अब ब्रांच मैनेजर के ऐसे बेतुके जवाब से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके मन, मस्तिष्क में तिरंगे के प्रति क्या अस्मिता व एहमियत है। आज हम आजाद भारत के स्वतंत्र नागरिक है तथा पूरे विश्व मे भारत की एक अलग पहचान है। जहां यूनियन बैंक शाखा चैतमा के कर्मचारी किस मूल के भारतीय नागरिक है जो 15 अगस्त के जश्न में एक दिन के लिए तिरंगा फहराना भी मुनासिब नही समझा और इस दिन तिरंगे को उपेक्षित रखा। ये तो वे ही बता सकते है..