कवर्धा: कवर्धा शहर में 108 फीट ऊंचे खंभे पर भगवा ध्वज लहराया गया। ध्वजारोहण के बाद एक धर्म सभा का भी आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से आए साधु-संतों ने सभा को संबोधित किया। कवर्धा में जिस झंडे को हटाने और लगाने को लेकर दो संप्रदायों के बीच हिंसा हो गई थी, उसी शहर में झंडा फहराने बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। भगवा ध्वज फहराने से पहले शोभायात्रा निकाली गई। इस दौरान जयश्री राम और हर-हर महादेव के नारों से पूरा कवर्धा शहर गूंज उठा। किसी तरह की अप्रिय स्थिति न बने, इसके लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल भी तैनात किया गया था।

बता दें कि कवर्धा में श्री शंकराचार्य जन कल्याण न्यास द्वारा शुक्रवार को 108 फीट ऊंचे स्तंभ पर भगवा ध्वजारोहण का कार्यक्रम रखा गया था। इस आयोजन में 13 अखाड़ों के महामंडलेश्वर, महंत, साधु- संत और शंकराचार्य के प्रतिनिधि दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शामिल हुए। 3 अक्टूबर को झंडा विवाद के बाद कवर्धा का माहौल खराब हो गया था। हालात सुधरने के बाद शहर में 108 फीट के खंभे पर धर्म ध्वजा फहराने का निर्णय लिया गया था। श्री शंकराचार्य जन कल्याण न्यास ने आयोजन की तैयारी पखवाड़ेभर पहले शुरू कर दी और 10 दिसंबर को कार्यक्रम तय किया गया था। शुक्रवार को कर्मा चौक उसके बाद प्रशासन द्वारा तय परशुराम चौक पर विधिवत मंत्रोच्चार के साथ 108 फीट ऊंचे खंभे पर धर्म ध्वजा लहराई गई। इस यात्रा में हिन्दूवादी संगठनों के साथ हजारों की संख्या में प्रदेशभर से लोग शामिल हुए।

भगवा ध्वज का बताया महत्व
धर्म सभा को संबोधित करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वारनंद ने भगवा ध्वज का महत्व लोगों को बताया। उन्होंने कहा कि भगवान का ध्वज है, उसे ही भगवा ध्वज कहा जाता है। भगवान को निमित करके चढ़ाया गया हर झंडा चाहे वह कोई भी रंग का हो भगवाध्वज है। उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन प्रदेश सरकार व मंत्री-विधायक को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि साधु-संतों के साथ भी छल किया गया। स्वामी अविमुक्तेश्वारनंद ने कहा कि घटना के बाद दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन उन्हें बचाया गया और निर्दोषों को जेल में डाला गया।