नई दिल्ली:- बिहार चुनाव में उम्मीदवारों की अपराधिक पृष्ठभूमि सार्वजनिक न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राजनीतिक दलों पर जुर्माना लगाया. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने चुनाव सुधार को लेकर चुनाव आयोग को तीन अहम निर्देश भी दिए. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार चुनाव के दौरान प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड सार्वजनिक न करने के चलते भाजपा सहित दस पार्टियों को अवमानना का दोषी मानते हुए जुर्माना लगाया है.
कोर्ट ने सीपीएम और एनसीपी पर 5-5 लाख का जुर्माना लगाया. इन पर कोर्ट के आदेश को बिलकुल दरकिनार करने के लिए जुर्माना लगाया गया है. वहीं, जेडीयू, आरजेडी, एलजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, सीपीआई पर 1-1 लाख का जुर्माना लगाया है. इन पर कोर्ट के आदेश का ठीक से पालन न करने के लिए जुर्माना लगाया गया है. इसके अतिरिक्त आरएलएसपी और बीजेपी पर भी जुर्माना लगाया गया है.
मतदान से पहले उम्मीदवारों की अपराधिक पृष्टभूमि सार्वजनिक करने के लिया सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को तीन महत्वपूर्ण निर्देश दिए. ये आदेश लोकसभा और विधानसभा के चुनाव के लिए लागू होंगे. कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि एक मोबाइल एप बनाया जाए, जिसमें चुनाव लड़ रहे नेताओं के अपराधिक मामलों से जुड़ी जानकारी होगी. उसमें हर उम्मीदवार के बारे में बताया जाएगा कि उसके खिलाफ कितने अपराधिक मामले दर्ज है, किस तरह के अपराध का मुकदमा है और उनकी स्थिति क्या है.
कोर्ट ने कहा की एप ऐसा हो कि एक ही जगह सारे नेताओं की जानकारी मिल जाए. कोर्ट ने चुनाव आयोग को एक अलग विभाग बनाने को भी कहा है. इस विभाग का काम आम लोगों से शिकायत लेना और उसका निपटारा करना होगा. अगर कोई उम्मीदवार अपनी जानकारी छुपाता है, तो इसी विभाग में शिकायत दर्ज होगी.
चुनाव सुधार और अपराध पर सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले फरवरी 2020 में आदेश दिया था. उस आदेश के मुताबिक सभी राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवार के अपराधिक मामलों की जानकारी नामांकन से दो हफ्ते पहले देनी थी, लेकिन आज अदालत ने इस आदेश में बदलाव किया. कोर्ट ने कहा की उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के अंदर राजनीतिक दलों को नेताओं की पृष्ठभूमि की जानकारी अपने वेबसाइट पर देनी होगी. इसके बाद जनता देखेगी कि ऐसे व्यक्ति को वोट देना है या नहीं.