कोरबा:- कोरबा जिले में फर्जी एमबीबीएस और मास्टर ऑफ सर्जन का सर्टिफिकेट बनवा कर मरीजों का इलाज करने वाले एसएन यादव हर साल औसतन 25 ऑपरेशन करता था। इससे अनुमान है कि उसने 10 साल में 250 मरीज का ऑपरेशन किया है। वही बिहार का रहने वाले इस शख्स ने असम के गुवाहाटी विश्वविद्यालय व तमिलनाडु के चेन्नई विश्वविद्यालय का सर्टिफिकेट बनवाया है। वहीं बिहार मेडिकल काउंसलिंग में प्रैक्टिस का रजिस्ट्रेशन भी करा लिया था। ऐसा करते हुए मुन्ना भाई एमबीबीएस की फिल्मी कहानी से भी यह एकदम आगे निकल गया।
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में संचालित सृष्टि इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर में चिकित्सक के रूप में वर्ष 2010 से पदस्थ एसएन यादव लंबे समय तक प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के आंखों में धूल झोंकता रहा। वहीं फर्जी डिग्री के सहारे वह ना केवल मरीजों का उपचार करता रहा बल्कि ऑपरेशन भी करता रहा। इस स्थिति यह है कि हर्निया, हाइड्रोसील व पथरी के विशेषज्ञ चिकित्सक के रूप में उसकी पहचान बन गई है। जबकि वर्ष 2012 में कोरबा के तुलसी नगर में रहने वाला संतोष गुप्ता पथरी निकलवाने सृष्टि इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर पहुंचा तो यहां तथाकथित चिकित्सक एसएन यादव ने पथरी की जगह उसकी दाई किडनी निकाल दी। जब संतोष गुप्ता ने बीमारी ठीक नहीं होने पर बाहर जाकर इसकी जांच करवाई तो उन्हें पता चला कि उनके दाई किडनी नहीं है। इसकी शिकायत संतोष ने प्रशासनिक स्तर पर वर्ष 2013 में शिकायत किए थे। वही जांच में यह तथ्य सामने आया कि जिस सर्टिफिकेट के सहारे यादव लोगों का उपचार कर रहा है।
वह फर्जी है वर्ष 2013 में ही यह स्पष्ट हो गया था कि छत्तीसगढ़ मेडिकल काउन्सिल में भी उनका पंजीयन नहीं है। हैरत की बात तो यह है कि तत्कालीन जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ पी आर कुंभकार ने जांच रिपोर्ट अब तक दबाकर रखा। इस बीच एसएन यादव मरीजों की जान से खिलवाड़ करता रहा। वही किडनी निकाले जाने के बाद संतोष अस्वस्थ है और वह आरोपित एसएन यादव को सजा दिलाने प्रशासनिक कार्यालय का चक्कर काट रहा है।
बीते वर्ष में उसने कलेक्टर रानू साहू को जांच रिपोर्ट आने के बाद भी फर्जी चिकित्सक के खिलाफ कार्यवाही किए जाने की शिकायत की कलेक्टर ने सीएमएचओ डॉ बीबी बोर्डे से जांच रिपोर्ट तलब किया और फर्जी चिकित्सक यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश दिए।
वहीं रामपुर पुलिस चौकी ने एसएन यादव के खिलाफ धारा 419, 420 के तहत धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया। इसकी भनक लगने पर आरोपित फरार है। पुलिस बिहार स्थित उनके गृह ग्राम का पता लगा रही है। कोरबा के रिस्दी स्थित मकान में रहता था। वहां ताला लगा हुआ है। छत्तीसगढ़ में ना जाने ऐसे कितने फर्जी प्रैक्टिस कर रहे हैं। सही मायने में इनकी जांच हो तो बाढ़ आ सकती है। क्योंकि दूसरे राज्य से छत्तीसगढ़ मे आसानी से आकर बाहरी राज्य से फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर ले आते हैं और आसानी से नौकरी हासिल कर लेते हैं। ऐसे लोगों की तादाद छत्तीसगढ़ में हजारों की संख्या में हो सकती है। छत्तीसगढ़ सरकार का दायित्व बनता है ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए कार्यवाही करें। वही दूसरे राज्य से छत्तीसगढ़ में आकर छत्तीसगढ़ के पढ़े लिखे छात्र छात्राओं के हक की नौकरी में डाका डाल कर बैठे हैं। संबंधी लोगों के दस्तावेज की जांच कराएं तो छत्तीसगढ़ में फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी पाने वालों का बड़ा खुलासा हो सकता है।