गुड़गांव:- कोरोना महामारी के सामने सिस्टम की पोल खुल गई है। इस भयानक स्थिति से वे भी नहीं बच पाए जो बड़े पदों पर हैं और अच्छा राजनीतिक, प्रशासनिक रसूख रखते हैं। कई देशों में भारत के राजदूत रह चुके अशोक अमरोही ने भी अस्पताल के बाहर कार में दम तोड़ दिया। गुड़गांव के मेदांता हॉस्पिटल के बाहर लगभग पांच घंटे तक वह कार पार्किंग में ही बेड का इंतजार करते रहे। अस्पताल ने उनके परिवार के लोगों को काग़ज़ी कार्यवाही में ही उलझाए रखा।

अमरोही की मौत के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, ‘वह मेरे बहुत ही अच्छे दोस्त थे। उन्होंने ब्रुनेई, मोजांबिक और अल्जीरिया में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं।’ अल्जीरिया में भारतीय दूतावास के अलावा कई देशों ने उनके निधन पर दुख जताया। यह दिखाता है कि उनका लोग कितना सम्मान करते थे। कतर ने भी अमरोही के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वहां रहने वाले भारतीयों में वह काफी लोकप्रिय थे।

‘द वायर’ की रिपोर्ट के मुताबिक उनकी पत्नी ने बताया कि अमरोही पिछले हफ्ते बीमार पड़े थे। उनकी हालत खराब होने लगी तो डॉक्टर ने अस्पताल में भर्ती कराने को कहा। परिवार को अस्पताल ने बताया कि रात 8 बजे तक ही बेड खाली हो पाएगा। उन्होंने बताया, ‘हमें बेड नंबर भी मिल गया था। हम 7.30 बजे के करीब वहां गए तो कहा गया कि पहले कोविड टेस्ट किया जाएगा। इसलिए हमें डेढ़ घंटे का इंतजार कराया गया। इस दौरान वह कार की सामने की सीट पर ही बैठे थे।’

पत्नी यामिनी अमरोही ने बताया, ‘बेटा उन्हें ऐडमिट कराने के लिए लाइन में लगा लेकिन प्रॉसेस में बहुत देर लग रही थी। मैं वहां तीन-चार बार दौड़कर गई और लोगों से कहा कि कोई उनपर ध्यान दे। हालत बिगड़ रही है। मैं चिल्ला रही थी…उनकी सांसें थम रही हैं। धड़कनें रुक रही हैं। लेकिन किसी ने मदद नहीं की। इस दौरान वह (अमरोही) कार में ही रहे। न तो व्हील चेयर मिली और न ही स्ट्रेचर मिला।’

उन्होंने बताया, ‘अस्पताल वालों ने मुझसे कहा, ऐडमिशन होने के बाद ही कुछ किया जाएगा। हौसला रखिए, आपका ऐडमिशन हो जाएगा।’ अमरोही की पत्नी ने बताया, पूरा टाइम वह मास्क नोच रहे थे और जबरदस्ती लगाना पड़ रहा था।आधी रात के बाद दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई। उन्होंने कार में बैठे-बैठे ही दम तोड़ दिया।