कोरबा/पाली:- कांग्रेस की वर्तमान भूपेश सरकार जहाँ पूरे प्रदेश में सुचारू विभागीय कार्य एवं योजनाओं के सफल क्रियान्वयन की दिशा में कार्य करते हुए “गढ़बो नवा छत्तीसगढ़” के स्लोगन को सच्चाई में बदलना चाह रही है। वहीं एसडीओ एम एस कंवर पाली आरईएस की कुर्सी पर वर्षों से अंगद के पांव की तरह जमे रहकर भर्राशाही को जमकर अंजाम देते हुए निर्माण योजनाओं पर पलीता लगाने में लगे हुए है। जिससे पंचायतों में होने वाले विभिन्न विकास के निर्माण कार्यों का शासन के मंशानुसार सही तरीके से क्रियान्वयन नही हो पाने के कारण ग्रामीण जनता को उनका 50 प्रतिशत भी लाभ नही मिल पा रहा है।
बता दें कि शासन के नियमानुसार किसी भी अधिकारी को तीन वर्षों से ज्यादा एक ही स्थान पर पदस्थ नही किया जा सकता और उन्हें एक जगह से दूसरे जगह इसलिए स्थानांतरित किया जाता है कि जब उनको एक ही जगह पर अधिक समय हो जाता है तो लोगों से बने संबंधों को लेकर वे शासन की योजनाओं का आमजन को लाभ देने में भेदभाव पूर्ण रवैया ना अपना सके लेकिन एसडीओ कंवर विगत लगभग 17- 18 वर्षों से पाली में डेरा जमाए हुए है और बेलगाम होकर अनियमित्तापूर्ण कार्यों में अपनी अहम भागीदारी निभा रहे है।
ज्यादा नही बीते 2020 पंचायत आम चुनाव के पश्चात ग्राम पंचायतों में डीएमएफ सहित जितने भी योजनाओं के तहत सीसी रोड, पुल- पुलिया, नाली, भवन निर्माण के कार्य हुए है उनमें से किसी एक कार्य की निष्पक्ष जांच यदि प्रशासन द्वारा कराई जाए तो एसडीओ की कारगुजारी उजागर हो जाएगी लेकिन दुर्भाग्य कि जिला प्रशासन की अनदेखी का लाभ उठाकर एसडीओ की भर्राशाही चरम पर है। दूर- दराज के अनेक पंचायतें तो ऐसे जहां स्वीकृत स्थलों से सीसी रोड ही गायब है और पुराने कांक्रिटिंग सड़क को नवनिर्माण बताकर पूरी राशि ही चपत कर दी गई है।
गत 2014- 15 में ही मुख्यमंत्री समग्र विकास योजना अंतर्गत अनेक पंचायतों में सीसी रोड के स्वीकृत कार्य को अघोषित ठेकेदारों द्वारा सरपंच- सचिवों को दबाव में लेकर घटिया निर्माण को अंजाम दिया गया था। जिसकी जांच की मांग पूर्व सांसद स्व. श्री बंशीलाल महतो द्वारा की गई थी जिसके आधार पर जिला प्रशासन द्वारा पंचायतों में कराए गए उक्त निर्माण की जांच में सभी कार्य गुणवत्ताहीन निकले और सरपंचों को दोषी करार दिया गया तथा उनके ऊपर वसूली की तलवार लटक गई। जबकि जिन घटिया कार्यों के दोषी सरपंचों को बनाया गया उसमें घटिया कार्य का मूल्यांकन करने वाले उपअभियंता एवं सीसी जारी करने वाले एसडीओ कंवर भी बराबर के दोषी रहे क्योंकि यदि उक्त अधिकारी- कर्मचारी अपने दायित्यों का ईमानदारी पूर्वक निर्वह करते तो शायद घटिया निर्माण की नौबत ही नही आती, फिर इस मामले में सरपंचों को ही बलि का बकरा बनाया गया और सम्बंधित नैकरशाहों को आखिर क्यों बख्शा गया.? बहरहाल ये बीते बाते हो गई किंतु एक ओर जहां राज्य शासन द्वारा थोक में विभिन्न विभागों के अधिकारियों का तबादला नीति में फेरबदल किया जा रहा है पर ऐसा लगता है कि सरकार की तबादला नीति पाली एसडीओ कंवर पर लागू नही होता शायद इसीलिए उनका स्थानांतरण नही किया जा रहा।