रायपुर:- स्वास्थ्य विभाग द्वारा नर्सिंग होम एक्ट के तहत अस्पतालों पर कार्रवाई के बजाय उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है। स्थिति यह है कि जिले में करीब 1250 से अधिक प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिकों में 550 ने पंजीयन नहीं कराया है।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते इन अस्पतालों में लोगों के स्वास्थ्य और जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है। नियमित जांच और मानिटरिंग नहीं होने से इन अस्पतालों में कई कमियां और अव्यवस्थाएं हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा नर्सिंग होम एक्ट के तहत अस्पतालों पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है।
स्थिति यह है कि जिले में लगभग 1250 से अधिक प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिकों में आधे ने पंजीयन भी नहीं कराया है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि नर्सिंग होम एक्ट के तहत लगातार अस्पतालों का निरीक्षण कर जांच कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी कार्रवाई न होना स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का ही नतीजा है कि खरोरा स्थित यशोदा चिल्ड्रंस हास्पिटल में एक वर्ष के बच्चे को एक्सपायरी इंजेक्शन लगाने की घटना सामने आई। जांच करने टीम पहुंची तो पता चला कि अस्पताल ने नर्सिंग होम एक्ट के तहत अब तक पंजीयन नहीं कराया था। पिछले एक वर्ष से बिना पंजीयन के ही अस्पताल संचालित किया जा रहा था।
स्वास्थ्य विभाग ने कलेक्टर को जांच रिपोर्ट सौंपते हुए अस्पताल को सील करने और डाक्टर ममता मल्ल का लाइसेंस सस्पेंड करने के लिए मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया को पत्र लिखने की बात कही है।
यशोदा चिल्ड्रन्स हास्पिटल का संचालन शिशु रोग विशेषज्ञ डा. ममता मल्ल, डा. पायल अरोरा, डा. रीता मुखर्जी द्वारा किया जा रहा है। मामले में डा. ममता, डा. पायल ने कहा कि अस्पताल संचालन के लिए हमने आवेदन किया था। भवन की एनओसी ना मिलने की वजह से प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाए। बच्चे को एक्सपायरी इंजेक्शन नहीं लगा है।
अस्पताल की जांच में यह बात सामने आई किअस्पताल के फ्रिज में एक्सपायरी जेई, हेपेटाइटिस का टीका रखा गया था, वैक्सीन के लिए कोल्डचेन की व्यवस्था भी नहीं थी। कितने बच्चों को अब तक वैक्सीन लगाई गई, इसका लेखा-जोखा भी नहीं मिला।
लापरवाह अस्पतालों पर नकेल कसी जाएगी
मामले के संबंध में सीएमएचओ, रायपुर डा. मीरा बघेल ने कहा कि यशोदा अस्पताल एक वर्ष से बिना लाइसेंस के संचालित हो रहा था। अस्पताल में एक साल के बच्चे को भी एक्सपायरी इंजेक्शन लगाया गया है। हमने जांच रिपोर्ट कलेक्टर को भेजकर अस्पताल सील करने और डाक्टर का लाइसेंस रद करने की अनुशंसा की है। नर्सिंग होम एक्ट के तहत अस्पतालों में कार्रवाई तेज करेंगे। लापरवाह अस्पतालों पर नकेल कसी जाएगी।