बाड़मेर:- राजस्थान के बाड़मेर में एक झोलाछाप डॉक्टर का भंडाफोड़ हुआ है. जो अपनी दुकान के पीछे 30 बेड का अस्पताल चला रहा था. बताया जा रहा है कि यह डॉक्टर कोरोना मरीजों का भी इलाज कर रहा था. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस झोलाछाप डॉक्टर के कई रसूख वाले लोगों के साथ संबंध हैं, जिसकी वजह से अब तक इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी थी.
एसडीएम कुसुम लता को जब इस बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने मौके पर पहुंचकर इसके खिलाफ कार्रवाई की और दुकान सील कर दी. आरोपी के खिलाफ राजकीय कार्य में बाधा का मामला भी दर्ज किया. मौके पर मौजूद कुछ लोगों का कहना है कि इस दौरान झोलाछाप डॉक्टर ने एसडीएम को धमकाने की कोशिश भी की. झोलाछाप डॉक्टर एसडीएम से बोलने लगा कि उसने अब तक 200 से ज्यादा कोरोना के मरीज ठीक कर दिए हैं बल्कि उन्हें तो इसके लिए उसे धन्यवाद देना चाहिए.
बता दें, राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में कोरोना जबरदस्त तरीके फैल रहा है. ऐसे में मौका देखकर कुछ झोलाछाप डॉक्टर गांव वालों को इलाज के नाम पर ठग रह हैं. बाड़मेर में कई झोलाछाप डॉक्टर चोरी छुपे अपना अस्पताल तक चला रहे हैं और गरीब जनता की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. शिकायत मिलने पर प्रशासन इनके खिलाफ एक्शन ले रहा है.
वहीं इस मामले में एसडीएम कुसुम लता का कहना है कि जब डॉक्टर से डिग्री मांगी तो वो बदलसूकी पर उतर आया. पिछले काफी समय से इस डॉक्टर की शिकायत मिल रही थी जिसके बाद एक्शन लिया गया. आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और इसकी दुकान को सील कर मामला दर्ज कर लिया गया है.
इलाज के नाम पर मरीजों की जान जोखिम में डालने की शिकायत पर झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ सख्त एक्शन लिया गया है. मेडिकल संचालक राजेन्द्र सिंह सोलंकी ने बताया कि रेड के दौरान 7 मरीज अस्पताल में भर्ती मिले. कोरोना महामारी को देखते हुए इनसे मोटी रकम वसूली गई थी. इसकी भी जांच की जा रही है, मौके पर ऑक्सीजन सिलेंडर की भी व्यवस्था भी थी.
राजस्थान के धौलपुर में पुलिस ने कुछ झोलाछाप डॉक्टरों को टेंट की दुकान को निजी अस्पताल बनाकर लोगों का इलाज करते हुए पकड़ा था. झोलाछाप डॉक्टर बुखार, जुकाम, और दस्त का इलाज कर रहे थे. एसपी ने जब रेड मारी और दुकानों का शटर उठाया तो अंदर का नजारा देखकर एसपी के भी होश उड़ गए. टेंट की दुकान के अंदर मरीज लेटे हुए थे और उनके हाथों में ड्रिप लगी हुई थी.
राजस्थान के गांवों में हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं. राजस्थान सरकार की तरफ से गांवों में कोरोना को फैलने से रोकने के जो दावे हो रहे हैं, वो खोखले साबित हो रहे हैं. गांवों में न ही स्वास्थ्य केंद्र और न ही टेस्टिंग सेंटर की सुविधा है. लोगों को टेस्ट कराने के लिए 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. ज्यादातर ग्रामीणों को झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराने के लिए मजबूर होना पड़ता है.