भागलपुर:- कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर जारी है। इस बीच, बिहार से एक रोंगेटे खड़े कर देने वाली घटना सामने आई है। कोरोना संक्रमित पति का अस्पताल में इलाज करा रही एक महिला के साथ छेड़खानी की गई। बिहार के मधुबनी जिला के रहने वाले रौशन चंद्र दास की कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर मौत हो गई। रौशन चंद्र दास की पत्नी ने अपने पति की मौत के बाद फूट फूट कर रोई, इस दौरान ही उसने आपबीती सुनाई, जिसे सुनकर लोग सन्न रह गए।

नोएडा में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर कार्यरत रौशन ने पटना के राजेश्वर अस्तपाल में अंतिम सांस ली। इससे पहले, उन्हें भागलपुर के ग्लोकल नामक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से हालात बिगड़ने के बाद उन्हें मायागंज रेफर किया गया था, लेकिन जब वहां भी स्थिति में सुधार नहीं आई तो उन्हें पटना लाया गया, जहां शनिवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

पति के इलाज के लिए पत्नी झेलती रही ज्यादती
रौशन चंद्र दास की पत्नी रुचि ने पटना स्थित राजेश्वर अस्पताल के एक डॉक्टर पर छेड़खानी का आरोप लगाया है। रुचि ने बताया कि वो उसे इसलिए झेलती रही क्योंकि उसका पति वहां भर्ती था। उसने कहा कि वो चाहती है कि जिस तरह उसके पति की मौत हुई, वैसे अन्य लोग जान न गंवाएं। डॉक्टर के भरोसे मरीज को नहीं छोड़ा जा सकता। जल्लाद हैं सारे, उसके बाबू को मार दिया।

आरोप: पति को बिना इलाज के तड़पाया
पति की मौत के महिला का दुख और बढ़ गया। रौशन की मौत के बाद उसकी पत्नी रुचि रौशन ने जो खुलासे किए हैं, वो रौंगटे खड़े करने वाले हैं। पत्नी ने बताया कि किस तरह इलाज के दौरान ग्लोकल अस्पताल में कंपाउंडर ज्योति कुमार ने उनके साथ छेड़खानी की, डॉक्टरों ने बदतमीजी की। महिला ने बताया कि किस तरह उनके पति को बिना इलाज के तड़पाया गया, जिस वजह से उनकी मौत हो गई।

दंपति नोएडा में रहता था, लेकिन होली मनाने के लिए भागलपुर आया था। वहीं रौशन कोरोना की चपेट में आ गए। अस्पतालों के चक्कर काटते-काटते आखिरकार उनकी मौत हो गई। युवक की पत्नी ने आरोप लगाया कि अस्पताल वाले अक्सर ऑक्सीजन बंद कर देते थे ताकि लोग बेचैन होकर ज्यादा कीमत पर ऑक्सीजन खरीदें। उसने भी खरीदा, लेकिन फिर भी रौशन की जान न बचा सकी।

मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया। आनन फानन भागलपुर एसएसपी गुड़िया नताशा ग्लोकल अस्पताल पहुंची। अस्पताल के एमडी डॉ. अजीम ने आरोपी को नौकरी से निकाल दिया है। हालांकि, मायागंज अस्पताल और राजेश्वर अस्पताल की ओर से अब तक पूरे मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।