मुंगेर:- द कश्मीर फाइल्स, आजकल इस सिनेमा की चर्चा हर ओर हो रही है. कश्मीर में हिंदुओं के साथ इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा किए गए जघन्य अपराध को इस फिल्म में बड़ी ही संजीदगी के साथ उतारा गया है. अधिकतर थियेटरों से लोग भावुक होकर निकलते हैं और अपने सामने वाले को यह भी संदेश देते हैं कि आप भी यह सिनेमा थियेटर में जाकर जरूर देखिये. मगर बिहार का मुंगेर के लोगों के लिए इस फिल्म को सिनेमा टॉकीज में जाकर देखना मुमकिन नहीं है. दरअसल, मुंगेर बिहार का ऐसा शहर है जहां एक भी सिनेमा हॉल नहीं है.
किसी भी जिला पर्यटन के मानचित्र पर अवस्थित करना हो तो वहां मनोरंजन के साधनों का होना बहुत ही जरूरी है. लेकिन, मुंगेर में एक भी सिनेमा घर मौजूद नहीं है जहां लोग परिवार के साथ जा मनोरंजन कर सके. ऐसा तब है जबकि मुंगेर एक ऐतिहासिक जिला होने के साथ-साथ काफी पुराना भी है. इससे अलग होकर कई जिले बने. ऐसा नहीं कि मुंगेर में सिनेमा घर नहीं था. आज से दस साल पहले मुंगेर में दो बड़े और 3 छोटे, कुल मिला कर 5 सिनेमा घर थे, पर सभी अब बंद पड़े हैं.
स्थानीय निवासी संजय कुमार बबलू बताते हैं कि आज से 12 साल पहले उन्होंने ने मुंगेर में सिनेमा देखा था, पर अब यहां मनोरंजन को कोई साधन नहीं है. हाल यह है कि अब लोग अपनी बेटियों का शादी मुंगेर में नहीं करना चाहते क्योंकि मुंगेर में मनोरंजन का कोई साधन नहीं है. कई ऐसी फिल्में जो कि देश के इतिहास के अलावा कई जानकारियों को लोगों तक पहुंचाते हैं. लेकिन, मुंगेर के लोग इन फिल्मों को देखने से वंचित हो जाते हैं.
स्थानीय स्तर के फिल्म निर्माता सुजीत सुमन बताते हैं कि इस समय के बहुचर्चित सिनेमा द कश्मीर फाइल्स , के अलावा और भी अन्य ज्ञानवर्धक फिल्में यहां के लोग देखना चाहते हैं, पर सिनेमा घर के नही होने से लोगों को काफी मलाल होता है. यह मायूसी तब और बढ़ जाती है जब आपको मालूम हो कि मुंगेर में अब 10 से ज्यादा फिल्में स्थानीय कलाकारों के द्वारा बनायी जा चुकी हैं, लेकिन सिनेमा घर नही होने से मुंगेर में कोई फिल्म रिलीज नहीं हो पा रही है.
मुंगेर में गंगा ब्रिज के बनने के बाद बेगूसराय, खगड़िया जिलों की दूरी काफी कम हो गई. इन जिलों में सिनेमा घर भी हैं. इसका फायदा उठाते हुए इन जिलों के सिनेमा घरों में लगे फिल्म का प्रचार मुंगेर शहर की दीवारों पर होने लगा है. खास कर खगड़िया जिला जो कि मुंगेर से काफी छोटा जिला है, वहां के सिनेमा घर में लगे फिल्मों का प्रचार अब मुंगेर में हो रहा है. शहर की दीवारों पर पोस्टर सटे दिख रहे हैं.
स्थानीय संदीप कुमार भगत कहते हैं कि ये काफी अफसोस का विषय है कि यहां एक भी सिनेमा हॉल नहीं है. बगल के जिले में सिनेमा हॉल का प्रचार मुंगेर शहर में देख मुंगेर निवासी होने को लेकर काफी मायूसी होती है. शहर तभी डेवलप माना जाता है जब वहां मनोरंजन का कोई साधन हो. अब जब कश्मीर फाइल्स की चर्चा है और बगल के जिलों में लगे सिनेमा के पोस्टर मुंगेर शहर में लगने लगे हैं. ऐसे में अब मुंगेर में भी हो सिनेमा घर की मांग जोर पकड़ने लगी है.