केंद्र की मोदी सरकार ने 2018 में जब देश के 6 हवाई अड्डों के निजीकरण का फैसला लिया था। तब नियमों में भी कुछ ढील देते हुए ऐसी कंपनियों को भी बोली लगाने की अनुमति दी गई थी, जिनका इस सेक्टर में कभी अनुभव नहीं रहा है। इसका सीधा फायदा गौतम अडानी के ग्रुप को मिला और सभी हवाई अड्डों के संचालन का ठेका उन्हें मिला। हालांकि उन्हें ठेके दिए जाने का विरोध भी हुआ और त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट का जिम्मा अडानी ग्रुप को दिए जाने पर केरल सरकार ने ऐतराज भी जताया था। हालांकि इसके जवाब में उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना था कि खुली बोली की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी थी।

गौतम अडानी की कंपनी फिलहाल देश के सबसे बड़े प्राइवेट एयरपोर्ट ऑपरेटर्स में से एक है। इससे पहले बंदरगाहों के ऑपरेशन और थर्मल कोल पावर प्रोड्यूसर के मामले में भी उनकी कंपनी अग्रणी रही है। यही नहीं उनकी कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी को 8 गीगावाट का सोलर प्लांट बनाने का भी ठेका मिला है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक गौतम अडानी उन कारोबारियों में से एक हैं, जिनकी मौजूदगी 2014 के बाद से काफी दर्ज की जा रही है। मुकेश अंबानी की तरह ही गौतम अडानी भी गुजरात से ही आते हैं, जहां वह नरेंद्र मोदी को बतौर सीएम भी सपोर्ट करते रहे हैं। यहां तक कि नरेंद्र मोदी के सीएम कार्यकाल के दौरान वाइब्रेंट गुजरात इवेंट के आयोजन में भी गौतम अडानी की अहम भूमिका थी।

कहा जाता है कि 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी जब गुजरात से दिल्ली आए थे तो वह गौतम अडानी के प्राइवेट जेट से ही आए थे। इससे स्पष्ट है कि पीएम नरेंद्र मोदी के साथ उनकी किस हद तक नजदीकी रही है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल गौतम अडानी की संपत्ति 26 अरब डॉलर के करीब है और उनकी संपत्ति में 2014 के बाद से अब तक 230 फीसदी तक बढ़ चुकी है। खासतौर पर एनर्जी सिक्योरिटी और एयरपोर्ट और पोर्ट्स से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोडेक्ट्स में अडानी ग्रुप की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। हालांकि मोदी सरकार के आलोचकों का आरोप है कि देश की पूंजी कुछ हाथों में ही केंद्रित हो रही है, जो गलत है।

दरअसल गौतम अडानी के पीएम नरेंद्र मोदी से संबंधों की बात करें तो दोनों 2003 से ही करीबी तौर पर जुड़े हुए हैं। उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात दंगों को लेकर आलोचना झेल रहे थे और तब गौतम अडानी ने उन्हें सपोर्ट किया था। दरअसल उस दौर में कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के मंच से कई कारोबारियों ने नरेंद्र मोदी की निंदा की थी और तब गौतम अडानी उनका समर्थन किया था। यह उस वक्त रिस्की थी, लेकिन उन्होंने ऐसा किया था।

कहा जाता है कि सीआईआई को साइडलाइन करते हुए गौतम अडानी ने ही पीएम नरेंद्र मोदी वाइब्रेंट गुजरात इवेंट आयोजित करने में मदद की थी। इस इवेंट के चलते ही पीएम नरेंद्र मोदी की दुनिया भर में प्रो-बिजनेस लीडर की साख बनी थी। इसका लाभ गौतम अडानी को भविष्य में मिलता दिखा है।