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नई दिल्ली:- कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के खतरे के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से कोविड वैक्सीन की ‘एहतियाती खुराक’ दिए जाने की बात कही है, तब से इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि वैक्‍सीन की तीसरी डोज कौन सी होगी? देश की शीर्ष तकनीकी संस्‍था नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्‍युनाइजेशन (NTAGI) के विशेषज्ञों ने कहा है कि कोरोना वैक्‍सीन की बूस्‍टर डोज यानी तीसरी डोज पहली और दूसरी डोज की वैक्‍सीन से अलग वैक्‍सीन की होनी चाहिए. जबकि सरकारी सूत्रों के मुताबिक 10 जनवरी से स्वास्थ्य व अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों, अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित 60 साल से ऊपर के लोगों को एहतियात के तौर पर दी जाने वाली वैक्‍सीन वही होगी जिसकी उन्‍होंने पहली और दूसरी डोज ले रखी है.

बता दें कि कोरोना की तीसरी डोज लेने वालों में शामिल स्वास्थ्य व अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों की संख्‍या करीब 3 करोड़ है जबकि 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों की संख्‍या भी इसी के आसपास दिखाई पड़ती है. इन सभी लोगों को जिस कंपनी की पहली और दूसरी वैक्‍सीन लगाई गई है उसी कंपनी की तीसरी या फिर एहतियारी डोज लगाई जाएगी.

विशेषज्ञों के मूताबिक दूसरी और तीसरी (एहतियाती डोज) के बीच नौ से 12 महीने का अंतराल होना जरूरी है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक भारत के टीकाकरण कार्यक्रम में वर्तमान में उपयोग किए जा रहे टीकों– कोविशील्ड और कोवैक्सिन के लिए अंतराल की बारीकियों पर काम किया जा रहा है और इस पर अंतिम निर्णय जल्द ही लिया जाएगा.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार रात राष्ट्र के नाम एक संबोधन में घोषणा करते हुए कहा था कि 15-18 वर्ष के किशोरों के लिए कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण तीन जनवरी से शुरू होगा, जबकि स्वास्थ्य देखभाल और अग्रिम मोर्चे के कर्मियों के लिए ‘एहतियाती खुराक’ 10 जनवरी से दी जाएगी.यह फैसला कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप से जुड़े कोविड मामले बढ़ने के बीच आया है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एहतियाती खुराक अगले साल 10 जनवरी से 60 वर्ष से अधिक उम्र के और अन्य गंभीर बीमारी वाले नागरिकों को उनके डॉक्टर की सलाह पर दी जाएगी.

61 प्रतिशत आबादी को टीके की दोनों खुराकें दी जा चुकी हैं
एक सूत्र ने कहा, ‘टीकाकरण विभाग और टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) द्वारा इन विषयों पर चर्चा करने के साथ कोविड टीके की दूसरी और एहतियाती खुराक के बीच का अंतर नौ से 12 महीने होने की संभावना है.’ भारत की 61 प्रतिशत से अधिक वयस्क आबादी को टीके की दोनों खुराकें मिल चुकी हैं.