देश को नया संसद भवन मिल चुका है। पीएम मोदी ने पूरे विधि-विधान से इसका शुभारंभ किया। नए भवन में लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। नई संसद को लेकर देश में राजनीति भी खूब हुई। लगभग पूरे विपक्ष ने नई संसद के उद्घाटन के मौके से किनारा कर लिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई संसद भवन को देश को समर्पित कर दिया है। इस मौके पर उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सेंगोल को भी संसद भवन में स्थापित किया।
हवन-पूजा के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन को देश को समर्पित कर दिया है। इस मौके पर पीएम मोदी ने तमिलनाडु के अधीनम द्वारा सौंपा गया सेंगोल भी नए संसद भवन में स्थापित किया। उन्होंने इस सेंगोल को साष्टांग प्रणाम किया और वहां मौजूद साधुओं का आशीर्वाद लिया। उद्घाटन के समारोह के दौरान लगभग एक घंटे पूजा चली और पूरा भवन वैदिक मंत्रोच्चार से गूंज उठा। इस मौके पर पीएम मोदी के साथ लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला मौजूद था।
उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन श्रमिकों का सम्मान किया जिन्होंने इस नई इमारत को बनाने में अपना योगदान दिया।
#WATCH | PM Modi unveils the plaque to mark the inauguration of the new Parliament building pic.twitter.com/quaSAS7xq6
— ANI (@ANI) May 28, 2023
बता दें कि नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर तमिलनाडु से 22 संत दिल्ली पहुंचे हैं। नए संसद भवन का निर्माण 862 करोड़ रुपये की लागत से करवाया गया है। इसे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बनवाया गया है। इस संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा के अलावा एक संयुक्त सत्र के लिए भी बड़ा हॉल बनवाया गया है जिसमें 1272 सीटें हैं। अब नए संसद भवन में कामकाज शुरू हो जाएगा। वहीं पुराने संसद भवन का इस्तेमाल संसदीय कार्यक्रमों के लिए किया जाएगा।
अलग-अलग धर्मों की प्रार्थना
उद्घाटन के मौके पर सबसे पहले पीएम मोदी और लोकसभा स्पीकर पुराने संसद भवन परिसर में मौजूद महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। इसके बाद हवन पूजा की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेंगोल का साष्टांग प्रणाम किया और इसे संसद भवन में स्थापित किया। इस मौके पर अलग-अलग धर्मों की प्रार्थना की गई। पुजारी, मौलवी और पादरी ने अपने-अपने धर्म के अनुसार प्रार्थना की।
विपक्षी पार्टियों ने किया बहिष्कार
नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर विपक्षी दलों ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया। इस मौके पर 18 दल सरकार के साथ थे वहीं 29 दलों ने समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया था। उनका कहना था कि इस इमारत का उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए। हालांकि इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति की मौजूदगी नहीं थी।