• राष्ट्रीय स्वच्छता दिवस पर आई.पी.एस. दीपका द्वारा सोशल अवेरनेस के मकसद से स्वक्षता हेतु दिया गया संदेश
  • राष्ट्रीय स्वच्छता दिवस हमें अपने राष्ट्र को स्वच्छ व सुंदर रखने का संदेश देती है- (डाॅ. संजय गुप्ता)
  • स्वच्छता ही सेवा है और सेवा ही राष्ट्र धर्म है -डाॅ. संजय गुप्ता

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बतलाया गया कि आईपीएस दीपका प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी राष्ट्रीय स्वक्षता दिवस के अवसर पर विद्यालय प्रांगण में स्वक्षता से सम्बंधित विभिन्न स्थानों पर साफ सफाई कर समाज को भी स्वक्षता बनाये रखने हेतु संकल्पित होने को प्रेरित किया गया इस अवसर पर आईपीएस के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने समाज को संबोधित करते हुवे कहा कि यह स्वक्षता हमारे विचारों में होनी चाहिए अगर हमारे विचार स्वक्ष हैं तो निश्चित ही हमें हमारे आसपास के वातावरण को स्वक्ष बनाये रखने का प्रयास करते रहेंगे, मानसिक गंदगी की वजह से लोग यत्र तत्र कूड़े कचरे कहीं भी फेंक देते हैं, लोगों को लगता है मुझ एक के द्वारा कचरे फैलाने से क्या होगा लोग यह भूल जाते हैं कि जो कर्म हम करेंगे हमें देख अन्य भी करेंगे, अगर हम सफाई पर ध्यान देंगे यहां वहां कचरे ना फैलाते हुवे निश्चित तय स्थान पर कचरे डालेंगे तो अन्य भी हमें देख ऐसा व्यवहार करेंगे, फिर इस तरह से ही यह समाज स्वक्ष बनेगा, परिवर्तन की शुरुवात स्वयं से होती है, अगर हमें बाहर किसी भी तरह का परिवर्तन देखना है तो सबसे पहले वह परिवर्तन हमें अपने आप मे करना पड़ेगा, अगर हम खुद ही नहीं बदले रहेंगे व लोगों से बदलने की उम्मीद करते रहेंगे तो लोग पहला तो मानेंगे नहीं फॉलो नहीं करेंगे पर अगर जो बदलाओ हम बाहर देखना चाहते हैं अगर वह परिवर्तन जब हम अपने अंदर करते हैं तो लोग भी वह बदलाओ महसूस करते हैं व हमारे कहे गए बातों को अमल में लाते हैं, स्वक्षता की आदत डालने से आप अपने साथ साथ समाज की भी सेवा करते हैं चूंकि स्वक्षता जहां होती है वहां बीमारियां नहीं होती एक दशक पूर्व हम भारतीय स्वक्षता के मामले में अत्यंत ही पिछड़े हुवे थे। जबकि हम उस समर्थ एवं गौरवशाली भारतीय संस्कृति के अनुयायी हैं। जिसका मुख्य उद्देश्य सदा “पवित्रता” और “शुद्धि” रहा है। वास्तव में भारतीय जनमानस इसी अवधारणा के चलते एक उलझन में रहा है। उसने इसे सीमित अर्थों में ग्रहण करते हुए मन और अंतःकरण की शुचिता को ही सर्वोपरि माना है इसलिए हमारा यह कहा गया है “मन चंगा तो कठौती में गंगा” ।

कुल मिलाकर सार यही है कि वर्तमान समय कोविद 19 को देखते हुवे स्वच्छता हमारे लिए एक बड़ी आवश्यकता बन चुकी है । यह समय भारतवर्ष के लिए बदलाव का समय है बदलाव के इस दौर में यदि हम स्वच्छता के क्षेत्र में पीछे रह गए तो आर्थिक उन्नति का कोई महत्व नहीं रहेगा । हम सब का दायित्व बनता की हम पर्यावरण को स्वक्ष व सुंदर बनाए रखें, स्वछता समान रुप से हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है । हर समय कोई सरकारी संस्था या बाहरी वह हमारे पीछे नहीं लगा रह सकता, हमें अपनी आदतों में सुधार करना होगा और स्वच्छता को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना होगा हालांकि आदतों में बदलाव करना आसान नहीं होगा लेकिन यह इतना मुश्किल भी नहीं है । गांधी जयंती के अवसर पर हमारी ओर से यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम अपने मन मे स्वक्ष भारत का बीज बोए व अपने आसपास सदा स्वक्षता बरकरार रखकर स्वक्ष भारत के सपने को धरातल स्तर पर साकार करें महात्मा गांधी बापू का भी सपना था जिसे हम अब जरूर पूरा कर सकते हैं हम सबको बढ़ चढ़कर इस नेक कार्य को अपने दिनचर्या में शामिल करने की जरूरत है तभी हमारी ओर से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व उनकी 151 वीं जयंती पर सच्ची श्रद्धांजलि दे सकेंगे। स्वच्छता ही सेवा है, और सेवा करना बापू ने सिखाया है । 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर की गलियाँ में एक बालक का जन्म हुआ था किसी ने नहीं सोचा था कि यह बालक राष्ट्रपिता कहलाएगा । अपना सर्वस्व जीवन जिसने राष्ट्र के कार्यों में लगा दिया देश में आजादी दिलाने के कार्य में जिन्होने अपना घर बार भी त्याग दिया स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई से लेकर आजादी पाने के बाद तक बापू ने सभी देशवासियों को स्वास्थ का मूल मंत्र दिया । बापू ने लोगों से कहा कि जब देश के नागरिक स्वस्थ रहेंगें तभी वे राष्ट्र हित का सोच सकेंगें, और कार्य कर सकेंगें अतः राष्ट्र के उत्थान के लिए आवश्यक है राष्ट्र के नागरिकों का स्वस्थ होना और स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है स्वच्छ परिवेश में रहना । गाँधी जी ने जो स्वच्छता का मंत्र हमें दिया वह केवल राष्ट्र के विकास का ही नहीं वरन मानव व मानवता के विकास भी साधन दिया ।

आज बापू के उस स्वच्छ भारत का सपना पूरा करने पूरा राष्ट्र एक जुट दिखाई दे रहा है । सदा स्वच्छ परिवेश व स्वस्थ वातावरण के निर्माण में आज पूरा भारत स्वच्छता फैलाने व स्वच्छता लाने में जागरूकता फैलाने को हाथ-से-हाथ मिलाए खड़ा है । ऊपर से कोविद 19 जैसे वैश्विक त्रासदी ने भी स्वक्षता बनाये रखने के लिये मानव समाज को नया मौका दिया है जिस दौरान आज प्रत्येक के मन मे स्वक्षता का बिज यह प्रकृति अपने आप ही बो चुकी आज लोग अपने हांथों को सेनेटाइज कर रहे हैं हाँथ मिलाने की जगह नमस्ते कर रहे हैं अपने आसपास साफ सफाई करवा रहे हैं सरकारी तंत्र भी प्राइवेट सेक्टर भी यहां तक कि प्रत्येक घरों में स्वक्षता का बीज यह त्रासदी सिखला रही है,आज गली नगर शहर सेनेटाइज हो रहे हैं गाड़ियां ना के बराबर चलने से प्रदूषण का स्तर कम होता नजर आ रहा है, लोग बेवजह नहीं घूम रहे तो कचरे भी कम फैल रहे हैं, मौसम का साईकल अपने समय पर आता जाता नजर आ रहा है हम सभी को इसी तरह वैचारिक स्वक्षता भी बनाये रखने की जरूरत है

आगे आई.पी.एस. दीपका के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने बतलाया कि राष्ट्रीय स्वक्षता दिवस के अवसर पर आईपीएस दीपका द्वारा सामाजिक जागरूकता के उद्देश्य से बच्चों के द्वारा ऑनलाइन माध्यम से रुबरु होकर चित्रकला, श्लोगन व वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को डिजिटल सर्टिफिकेट के द्वारा पुरस्कृत किया गया । छात्र-छात्राओं ने विभिन्न प्रकार के चित्रों एवं श्लोगन के माध्यम से स्वच्छता का संदेश देते हुए समाज को जागृत करने में अपनी भूमिका अदा की । विद्यालय द्वारा ऑनलाइन मंच द्वारा आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में भी विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने अपना बेहतर प्रदर्शन करते हुए स्वच्छता विषय पर अपने प्रेरक विचार प्रस्तुत किये। विद्यार्थियों ने विभिन्न आकर्षक श्लोगन के माध्यम से स्वच्छता से संबंधित विभिन्न नारों को लिखकर स्वच्छता से संबंधित अलख जगाने का प्रयास किया । विद्यार्थियों के श्लोगन में स्वच्छता के साथ ही साथ पर्यावरण के सुरक्षा के प्रति गंभीरता स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हो रही थी । विभिन्न प्रकार के आकर्षक चित्रों के माध्यम से विद्यार्थियों ने स्वच्छता के महत्व को समझाने का प्रयास किया । आईपीएस विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों ने ऑनलाइन मंच पर स्वच्छता दूत बनकर परिजनों के सोशल मीडिया एकाउंट के माध्यम से संपर्क सम्बन्ध के लोगों को स्वक्षता के स्लोगन, पेंटिग्स भेजवाये इस तरह से सामाजिक जागरूकता में सहभागिता निभाये

विद्यालय के हेडब्वाय मास्टर अक्षत पालीवाल ने कहा कि स्वच्छता की शुरूआत हमें सर्वप्रथम अपने घर से करनी चाहिए तत्पश्चात धीरे-धीरे इसका विस्तार वृहद रूप से गली, मुहल्ले, समाज और फिर राष्ट्र में होगा । स्वच्छता हमें भौतिक रूप से ही नहीं मानसिक रूप से भी करनी चाहिए क्योंकि यदि हम मन से स्वच्छ हैं तो बेशक हमारा आसपास भी स्वच्छ ही होगा।

विद्यालय प्राचार्य डाॅ. संजय गुप्ता ने कहा कि स्वच्छता अपनाते हुए हम स्वयं को स्वस्थ एवं राष्ट्र को स्वस्थ करने के मिशन पर चल रहे हैं । स्वच्छता से सरोकार प्रत्येक नागरिक का है और यदि जब तक हम स्वच्छता को गंभीरता से नहीं अपनायेंगें तब तक हमें चहुँ ओर स्वच्छता नजर नहीं आयेगी । हमें चारों ओर स्वच्छता देखने के लिए स्वयं अनुशासित होना पड़ेगा। हमें पर्यावरण की सुरक्षा व संरक्षण के प्रति भी गंभीर होना पड़ेगा। और यदि हमारे व्यवहार व दिनचर्या में स्वच्छता शामिल हो गई तो हम गर्व से कह सकते हैं स्वच्छ भारत, समृध्द भारत।