नई दिल्ली:- लंबी कानूनी लड़ाई और तमाम विवादों के बाद मुकेश अंबानी की रिलायंस और किशोर बियानी की फ्यूचर समूह की डील रद्द हो गई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने आधिकारिक तौर पर इसका ऐलान कर दिया है। इस ऐलान के साथ ही डील को लेकर ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन और फ्यूचर समूह के बीच चल रही कानूनी जंग का भी अंत होने की उम्मीद है।

क्या कहा रिलायंस ने: रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा कि फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) और फ्यूचर समूह की अन्य कंपनियों ने इस सौदे की मंजूरी के लिए हुई बैठकों के नतीजों से अवगत कराया है। इसके मुताबिक, सौदे को शेयरधारकों एवं असुरक्षित कर्जदाताओं ने बहुमत से स्वीकार कर लिया है लेकिन सुरक्षित ऋणदाताओं ने प्रस्ताव को नकार दिया है। इस हालात में डील को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।

2020 में हुई थी डील: आपको बता दें कि फ्यूचर समूह ने अगस्त 2020 में रिलायंस समूह की कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (आरआरवीएल) के साथ 24,713 करोड़ रुपये के विलय समझौते की घोषणा की थी। इस डील के तहत खुदरा, थोक, लॉजिस्टिक एवं भंडारण खंडों में सक्रिय फ्यूचर समूह की 19 कंपनियों का रिलायंस रिटेल अधिग्रहण करने वाली थी।

अमेजन का था अड़ंगा: हालांकि, डील की घोषणा के बाद से ही दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन इसका विरोध कर रही थी। विभिन्न अदालती मुकदमों में अमेजन ने यह कहते हुए इस डील का विरोध किया कि उसके साथ हुए फ्यूचर समूह के निवेश समझौते का यह करार उल्लंघन करता है।

कर्ज में है फ्यूचर समूह: कर्ज संकट से जूझ रहे फ्यूचर समूह के लिए यह डील काफी अहम मानी जा रही थी। इस डील पर शेयरधारकों और कर्जदाताओं की मंजूरी लेने के लिए फ्यूचर समूह की संबंधित कंपनियों ने हफ्ते की शुरुआत में अलग-अलग बैठकें बुलाई थीं। बैठकों में डील को लेकर दो तरह के विचार थे। सुरक्षित कर्जदाताओं ने इसे नामंजूर कर दिया। अब रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इसी घटनाक्रम को देखते हुए डील को रद्द कर दिया है।