भोपाल:- आपको याद होगा कुछ समय पहले भोपाल में एक युवक क्राइम ब्रांच का सिपाही बनकर लूट कर रहा था। पुलिस उस आरोपी युवक को सबक सिखा चुकी है। मगर एक बार फिर राजधानी भोपाल में एक युवती को गिरफ्तार किया है, जो खाकी वर्दी पहनकर रौब दिखा रही थी। लोगों से वसूली कर रही थी।

किसी अंधे के हाथ बटेर लगने की कहानी राजधानी भोपाल की उस घटना पर फिट बैठती है। जिसमें एक युवती खाकी वर्दी पहन स्थानीय लोगों पर पुलिसिया अंदाज में रौब झाड़ती पकड़ी गई। शाम होते ही प्रिया अहिरवार नाम की इस फर्जी पुलिस का पुलिसिया अंदाज शुरू होता और देर रात तक वसूली के साथ खत्म होता था। निशातपुरा थाना पुलिस ने प्रिया अहिरवार नाम की युवती को वसूली करते रंगे हाथों पकड़ा। गिरफ्तार होने पर युवती जेल न भेजने की मिन्नते करने लगी। हालांकि पुलिस ने FIR दर्ज कर जमानती मुचलके पर छोड़ दिया।

पुलिस की पहचान उसके काम से ज्यादा खाकी वर्दी यानि कि यूनिफॉर्म से होती है। मगर दुकानदारों के लिए खाकी वर्दी बेचना या सिलना सिर्फ कमाई का जरिया है। इसे खरीदने वाला कौन है। उसने वर्दी खरीदने के लिए क्या प्रमाण और प्रूफ दिए। इससे दुकानदार को कोई लेना-देना नहीं। वर्दी किसने खरीदी। कहां पदस्थ है। इसका रजिस्टर में जिक्र करते हैं। तो कई दुकानदार आईकार्ड देखकर वर्दी थमा देते हैं।

खाकी वर्दी सिलने वाले सिर्फ आईडेंटी कार्ड देखकर किसी अंजान को वर्दी दे रहे हैं। आईडेंटी कार्ड असली है या नकली। इसकी पड़ताल नहीं करता। जो कई गंभीर सवाल भी खड़े कर रहा है। क्योंकि ऐसे तो फिर कोई आतंकी या कुख्यात बदमाश किसी बड़ी घटना को भी अंजाम दे सकता है। ऐसे में अफसरों को वर्दी बेचने और सिलने को लेकर सख्त नियम बनाने चाहिए। ताकि वर्दी पर कोई दाग न लगे।