दुनिया में अगर हम आए हैं, तो जीना ही पड़ेगा…और जीने के लिए कामकाज करना ही पड़ेगा। लेकिन आप काम कैसे करते हैं और कितने घंटे करते हैं, ये आपकी सेहत और जान से जुड़ा मसला है। अगर आप भी दफ्तर में या फिर घर में दफ्तर का काम लंबे समय तक कर रहे हैं तो सावधान हो जाइए। इससे आपकी जान भी जा सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी एक रिपोर्ट में लोगों को आगाह करते हुए कहा कि लंबे समय तक काम करने की वजह से लोगों की जान जा रही है।

कोरोना महामारी के चलते लोगों की जीवनशैली पूरी तरह बदल गई है। खाने-पीने से लेकर पार्टी करने, दोस्तों से मिलने से लेकर बाहर घूमने और दफ्तर का कामकाज करने तक के सभी तौर तरीके बदल गए हैं। वहीं लोगों में लंबे समय तक काम करने की प्रवृत्ति कोरोना महामारी के दौरान और बढ़ गई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को कहा कि लंबे समय तक काम करते रहने की प्रवृत्ति के चलते हर साल सैकड़ों लोगों की जान जा रही है। महामारी के दौरान यह संख्या हजारों में पहुंच सकती है।

दो दशक में मौतों की संख्या 30 फीसदी बढ़ी
एनवायरमेंट इंटरनेशनल जर्नल में ‘लंबे समय तक काम करने के जीवन पर असर’ को लेकर विश्व का पहला अध्ययन प्रकाशित हुआ है। इसमें बताया गया है कि वर्ष 2016 में लंबे समय तक काम करने के चलते स्ट्रोक और हृदय रोग बढ़ गए, जिससे दुनिया भर में 7.45 लाख लोगों की जान चली गई। यह संख्या वर्ष 2000 से की तुलना तकरीबन 30 फीसदी अधिक थी।

…इतने घंटे काम करने वालों को अधिक खतरा
लंबे समय तक काम करने को लेकर डब्ल्यूएचओ के पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य विभाग की निदेशक मारिया नीरा ने कहा, हफ्ते में 55 घंटे या उससे अधिक घंटे काम करना स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। उन्होंने कहा कि इस जानकारी से हम उन श्रमिकों की जान बचाना चाहते हैं, जो लंबे समय तक काम में जुट रहते हैं।

चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया के हालात बेहद खराब
डब्ल्यूएचओ और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का यह संयुक्त अध्ययन कुल 194 देशों के आंकड़ों पर आधारित है।अध्ययन में 2000 से लेकर 2016 तक के आंकड़ों का अध्ययन किया गया है। इसमें कहा गया है कि हर हफ्ते 35-40 घंटे काम करने वालों की तुलना में 55 घंटे या उससे अधिक काम करने वालों में 35 फीसदी स्ट्रोक और 17 फीसदी तक जान जाने का जोखिम बढ़ जाता है। लंबे समय तक काम करने के दुष्प्रभाव से चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सबसे अधिक प्रभावित देश हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख समेत कई अन्य अधिकारियों का कहना है कि कोरोना महामारी में लंबे समय तक काम करने की प्रवृत्ति 9 फीसदी तक बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि इस प्रवृत्ति में सुधार करना बेहद जरूरी है।