ऑस्ट्रेलिया में एक लकवाग्रस्त शख्स सीधे विचार के ज़रिए मैसेज ट्वीट करने वाला पहला व्यक्ति बन गया है. दरअसल पेपर क्लिप साइज़ जितने एक छोटे से ब्रेन इंप्लान्ट द्वारा ये मुमकिन हो पाया है. ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले 62 साल के फिलिप O कीफ, (Philip O’Keefe) पिछले सात साल से एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (ALS) से पीड़ित हैं, जिसके चलते वह अपने ऊपरी अंगों को हिला-डुला नहीं पाते हैं. उन्होंने ट्वीट किया,’अब Keystrokes (कीबोर्ड पर टाइपिंग या Voices (आवाज़) की ज़रूरत नहीं है, मैंने इस ट्वीट को सिर्फ सोच कर क्रिएट कर दिया. #helloworldbci.’
उन्हें 2015 में मोटर न्यूरॉन डिजीज के एक रूप (ALS) का पता चला था, और इन्होंने 23 दिसंबर को स्टेंट्रोड ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) का इस्तेमाल करके अपने डायरेक्ट सोच को सफलतापूर्वक टेक्स्ट में बदल दिया. फिलिप ने मैसेज भेजने के लिए सिंक्रॉन के सीईओ थॉमस ऑक्सली का ट्विटर हैंडल इस्तेमाल किया था.
दिमाग के इस्तेमाल से होंगे काम आसान
कैलिफोर्निया स्थित न्यूरोवस्कुलर और बायोइलेक्ट्रॉनिक्स मेडिसिन कंपनी सिंक्रॉन द्वारा बनाए गए ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस ‘स्टेंट्रोड’, फिलिप O कीफ जैसे लोगों को सिर्फ अपने दिमाग का इस्तेमाल करके कंप्यूटर पर काम करने की अनुमति देता है.
ऑक्सली ने बताया कि स्टेंट्रोड का इस्तेमाल करने वाले मरीजों की क्लिक करने की सटीकता 93% है. वे हर मिनट 14 से 20 अक्षर टाइप कर सकते हैं. खास बात ये है कि ये इंप्लान्ट गले की नस के जरिए होता है, इसलिए मस्तिष्क में सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती.
O’Keefe बताते हैं,‘जब मैंने पहली बार इस तकनीक के बारे में सुना, तो मुझे पता था कि यह मुझे कितनी आज़ादी दे सकती है. ये सिस्टम आश्चर्यजनक है, ये बाइक चलाना सीखने जैसा है – इसके लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है, लेकिन एक बार जब आप चलाते हैं, तो ये स्वाभाविक हो जाता है. अब मैं सिर्फ सोचता हूं कि कहां क्लिक करना है, बस इसके बाद बैंकिंग, खरीदारी, ई-मेल भेजना आसानी से हो जाता है.’