• ऑनलाइन स्टडी वैश्विक त्रासदी के दौरान शिक्षा व्यवस्था जारी रखने का एकमात्र विकल्प – (डॉ. संजय गुप्ता आई.पी.एस.)
  • जब तक कोविड-19 वैक्सीन धरातल स्तर पर प्रत्येक को मुहैया नहीं हो जाती तब तक बच्चों हेतु ऑनलाइन स्टडी ही एकमात्र विकल्प – (डॉ. संजय गुप्ता आई.पी.एस.)

कोरबा:- ऑनलाइन क्लासेज के फायदों पर प्रकाश डालते हुवे इंडस पब्लिक स्कूल के प्राचार्य ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुवे बतलाया कि मौजूदा वैश्विक त्रासदी के दौरान जबकि घरों में रहना सबकी जिम्मेदारी बनी हुई है, जिससे की वह खुद भी सुरक्षित हैं व अन्य भी तो ऐसी परिस्थिति में जबकि बच्चे फीजिकल रूप से स्कूल नही आ पा रहे हैं, ऐसी परिस्थिति में बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखना एक चुनौती बन गई है यह माता पिता व शिक्षक शिक्षकों के लिये भी चैलेंज सा बना हुआ है, ऐसी परिस्थिति में उन्हें शिक्षा से जोड़े रखने के लिए विज्ञान की अद्भुत देन डिजिटल मीडिया के माध्यम से जोड़ा तो जा सकता है, पर इसके अलग फायदे हैं, तो कुछ छोटी मोटी चैलेंजेस इसमे भी है, जैसे अगर बात करें विभिन्न तरह के संचालित ऑनलाइन क्लासेज के संदर्भ में तो आज मोबाइल के माध्यम से बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा मुहैय्या करवाने की जद्दोजहद जारी है, जिससे एक ओर तो बच्चों को किसी तरह शिक्षा से जोड़े रख पाना सम्भव हो रहा है व बच्चों को शिक्षा से वंचित रखकर खाली बैठाने से लाख गुना बेहतर है कि किसी तरह बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखा जा सके बेसक शुरुवाती दौर में डिजिटल पढ़ाई को लेकर तनिक असमंजस की स्थिति सबके मध्य बनी हुई है पर जब भी कोई नई चीज जीवन मे घटित होती है तो उसे हमारा मानव मन एक्सेप्ट नहीं कर पाता क्योकि इस मन को एक कंफर्ट जोन में जीने की आदत सी पड़ चुकी है, जैसे ही कंफर्ट जोन से बाहर निकलकर कोई यत्न करते हैं तो हमारा ही माइंड उस बदलाओ को अस्वीकार करता है ऐसी स्थिति में हमें अपने मन को मनाने की जरूरत है कि जो बदलाओ हो रहा है उसमें लांग टर्म दृश्टिकोण से देखा जाए तो उसके पीछे हमारा ही लाभ छुपा हुआ है निश्चित तौर पर चैलेंजेस तो आएंगे नो डाउट पर उन चैलेंजेस को हमे एक्सेप्ट करते हुवे सल्यूशन पर फोकस करना है, ऐसा करना निश्चित ही शुरुवाती दिनों में तनिक कठिन महसूस हो रहा है फिर जब हम बार बार दोहराते हुवे जब यह रोजाना की क्रिया हम जितना दोहराते हैं वह क्रिया जीवन का हिस्सा बनता जाता है, और माइंड उसे एक्सेप्ट करना शुरू कर देता है जिसे ही आंतरिक बदलाओ कहा जाता है अब इस आंतरिक बदलाओ को हम किसी भी फील्ड के लिये इस्तेमाल कर सकते हैं, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि बाहर जो जो भी परिस्थिति आती है चाहे वह नेचुरल तौर पर आई हो या फिर किसी व्यक्ति विशेष द्वारा उत्पन्न की हुई परिस्थिति हो तो बाहर की परिस्थिति पर हमारा बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं होता अगर हमारा किसी चीज पर नियंत्रण होता है या फिर किसी चीज को नियंत्रण कर सकते हैं तो वह है हमारा मन हम केवल अपने मन को ही नियंत्रित करके समय अनुसार यह परिस्थिति अनुसार उसे जैसी जरूरत है वैसा अपने मन को डालकर एडजेस्ट कर सकते हैं और शायद एडजेस्ट करने का नाम ही तो जिंदगी है, सामने आई वैश्विक त्रासदी के दौरान शिक्षा व्यवस्था को बदस्तूर जारी रखने का डिजिटल माध्यम एक विकल्प के तौर पर उभरकर सामने आया है जिससे कुछ हद तक कमियों को पूर्ण किया जा रहा है, हमें पॉजिटिव पहलुओं पर गौर फरमाते हुवे सामने आई वैश्विक त्रासदी के दौरान शिक्षा व्यवस्था को बदस्तूर जारी रखने हेतु डिजिटल माध्यम के सकारात्मक पहलूओं की ओर पॉजिटिव दृष्टिकोण रखना चाहिए हमें सामने आई समस्या के समाधान की तरफ अपना ध्यान देना चाहिए ना की समस्या के तरफ अगर हम सामने आई समस्या के तरफ अपना ध्यान लगाएंगे तो सिवाए डिप्रेसन एंग्जायटी के कुछ हांसिल ना होगा ऐसा करने से हम समाधान से वंचित रह जाएगे तो हमें समस्या का समाधान निकालना है और उस समाधान के साथ एडजस्ट करना किसी को पता नहीं कि यहां वैश्विक त्रासदी कब तक छाई रहेगी पर जब तक ऐसा माहौल बना हुआ है हमें एडजस्ट करने की आदत तो डालनी ही पड़ेगी, इस दौरान लोगों को जरूरत है अपने माइंड को रिसेट करने की चूंकि जो परिस्थियां हमारे सामने आई हुई है वह हमसे चीख चीख कर आंतरिक परिवर्तन करने को कह रही है, अगर हम अपने आप में परिवर्तन नहीं करते तो सायद पिछड़े जाएंगे, समय हमसे हमें डिजिटलाइज होने के लिए कह रहा है और अगर हम अपनी ही जिद पर अड़े रहे कि नहीं हमें तो अपने आपको पुराने ही पटरी पर चलाना है तो शायद सचमुच हम कुछ महीनों पश्चात ही अपने आप को पिछड़ा हुआ महसूस करने लगेंगे क्योंकि हम समय से बिछड़ कर अपनी विचारधारा प्रस्तुत कर पिछड़े विचार पर चल रहे होंगे ध्यान रहे समय उसकी कद्र करता है जो समय की कद्र करता है जो समय की कद्र नहीं करता फिर समय भी उसकी कद्र नहीं करता हमें हर परिस्थिति में अपने आप को एवररेडी रखना चाहिए चूंकि जीवन मे कब कौन सी चुनौती किस दरवाजे से प्रवेश करेगी यह कोई नहीं जानता इसलिए मानसिक तौर पर हमें एवर रेडी रहना चाहिए कि हर समस्याओं का सामना करने के साथ-साथ समस्याओं का समाधान निकालने की ओर अपना समय लगाना चाहिए ना की सामना करने के बजाए समस्याओं का विरोध करने से या समाधान निकालने के बजाय समस्याओं में ही उलझे रहने से समस्याओं का समाधान नहीं निकलेगा और जो समस्याएं सामने आई हुई है वह ज्यों की त्यों ही रहेगी और तकलीफे भी हमें उसी तरह महसूस होती रहेंगी तो अगर हमें अपने आपको उन तकलीफों से बाहर निकालना है तो सबसे पहले अपने माइंड को रिसेट करना होगा कि सामने जो परिस्थिति आई है उसके लिए अगर हम पुराने रास्ते अपनाएंगे तो शायद हम पिछड़े रह जाएंगे और जीवन के परीक्षा में फेल भी हो जाएंगे पर अगर अपने मन को मनाते हुए हम नए रास्ते इख्तियार करते हैं तो निश्चित तौर पर यह नए रास्ते हमें नई मंजिल तक पहुंचाएंगे और ऑनलाइन पढ़ाई के अपने अलग ही फायदे हैं आज प्रत्येक बच्चा अपने घर पर से ही ऑनलाइन स्टडी कर सकता है उसे फिजिकल रूप से स्कूल आने की आवश्यकता नहीं जो कि इस वैश्विक त्रासदी के दौरान निहायत ही सकारात्मक पहलू है क्योंकि बच्चों को ऐसी स्थिति में स्कूल भेजना जबकि कोविड-19 वैक्सीन धरातल स्तर पर प्रत्येक को मुहैया नहीं हो पाई है यह तनिक रिस्की बच्चों के लिए भी है व सामाजिक स्तर पर भी एक रिस्क पैदा कर सकता है तो इस परिस्थिति में सॉल्यूशन के स्वरूप सामने आए डिजिटल मीडिया के माध्यम से मोबाइल द्वारा ऑनलाइन स्टडी करवाना ही एकमात्र साधन रह गया है बुराई मोबाइल में ऑनलाइन स्टडी में नहीं है क्योंकि बुरा मोबाइल या ऑनलाइन स्टडी नहीं बल्कि मानव का मन होता है तो हमें अपने मन को मनाना है और मन को पॉजिटिव दिशा देना है जिसे ही अनुशासन कहते हैं, साधनों का उपयोग हम सकारात्मक कार्य के लिए करें ना की नकारात्मक कार्यों के लिए साधनों का उपयोग किस तरह किया जाए यह हम पर निर्भर करता है इसमें अन्य किसी को दोष देना शायद सामने आई समस्या से दूर भागने के साथ साथ सॉल्यूशन की बजाए समस्या में ही उलझे रहना रूपी रास्ता चुनना होगा, तो समस्या का सॉल्यूशन निकालने पर ज्यादा ध्यान दें तो बेहतर होगा बच्चों के भविष्य के लिए भी और शिक्षा व्यवस्था को बदस्तूर जारी रखने के लिए भी।