उदयपुर:- आपने अलग-अलग तरह की होली के बारे में सुना होगा। लेकिन राजस्थान के डूंगरपुर में जिस तरह होली खेली जाती है उसके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। यहां के भीलूड़ा गांव में होली पर रंग नहीं फेंके जाते, बल्कि पत्थरबाजी होती है। इसमें गांव के लोगों के साथ जनप्रतिनिधि भी हिस्सा लेते हैं। पत्थर फेंकने के लिए गोफन और गिलोर का इस्तेमाल किया जाता है। गांव में रघुनाथ मंदिर के सामने होली पर यह पत्थरबाजी का खेल खेला जाता है।
पत्थरबाजी के लिए बनते हैं दो गुट
होली के दूसरे दिन भीलूड़ा समेत आसपास के गावों के लोग ढोल कुंडी की थाप पर गैर नृत्य करते हुए रघुनाथजी मंदिर परिसर में इकट्ठा होते हैं। मंदिर में पूजा अर्चना के बाद एकत्र भीड़ अपने आप दो गुटों में बंट जाती है। इसके बाद ढोल कुंडी की धुन पर लोग थिरकने लगे। अचानक एक दूसरे गुट पथराव शुरू कर देते हैं। मैदान में ही लोग अपने बचाव की जगह तलाश लेते हैं और फिर वहां से शुरू होती है पत्थरबाजी वाली होली।
यह है मान्यता
गांववाले मानते हैं कि पत्थर मार होली से जो खून जमीन पर गिरता है उससे गांव में कोई विपत्ति नहीं आती है और गांव में खुशहाली रहती है। पत्थरों से बचने के लिए गांव के लोग अपने लिए रूमाल, गमछा, ढाल, थाली साथ लेकर आते हैं। इस पत्थर फेंकने वाली होली में डेढ़ घंटे तक चले पथराव में पत्थर लोगों के सिर, हाथ पैर और मुंह पर लगे, जिससे खून बहने लगा। एक दिन पहले पत्थर मारने वाली होली में दोनों पक्षों के 48 लोग घायल हो गए। घायलों को भीलूड़ा अस्पताल लेकर गए। डॉक्टरों ने घायलों का इलाज किया। पांच घायलों को सागवाड़ा हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया।