लखनऊ:- सरकार में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक और कठोर फैसला लिया है. उन्होंने अपने मंत्रियों को सख्त हिदायत दी है कि वे किसी भी तरह के महंगे गिफ्ट को स्वीकार न करें. अगर कोई पांच हजार से महंगा गिफ्ट लेता है तो उसे सरकारी संपत्ति समझा जाएगा और उस तोहफे को सरकारी खजाने में जमा करवाना होगा. इतना ही नहीं किसी भी संस्था द्वारा सम्मान लेने से पहले भी उसकी स्वीकृति लेनी होगी.
मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को यह भी कहा है कि किसी भी सम्मान समारोह में शामिल होने से पहले उस संस्था या संगठन की जांच अवश्य कर लें कि कहीं उस पर किसी तरह का आरोप तो नहीं है. विदेशी संस्थाओं से भी सम्मान लेने से पहले अनुमति लेनी होगी और उसकी भी जांच जरुरी होगी. दरअसल, मुख्यमंत्री के इस कदम को सरकार की पारदर्शिता जनता के प्रति जवाबदेही के तौर पर देखा जाता रहा है. दरअसल, ऐसा अक्सर देखने में आया है कि मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों को संस्थाओं और संगठनों द्वारा महंगे तोहफों से सम्मानित किया जाता रहा है. लिहाजा मुख्यमंत्री ने अनुशासन की पाठशाला की शुरुआत अपने मंत्रिमंडल से ही की है.
तीन महीने में देना होगा संपत्तियों का ब्यौरा
गौरतलब है कि अभी दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रियों और उनके परिजनों को उनकी संपत्ति का ब्यौरा देने का भी निर्देश दिया था. ताकि यह सुनिश्चित हो सके की पांच साल के कार्यकाल में उनकी चल-अचल संपत्ति में कितना इजाफा हुआ है. मुख्यमंत्री के इस आदेश पर यूपी बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि सीएम गोरखनाथ पीठ के पीठाधीश्वर और एक योगी हैं. वे खुद भोग विलास से दूर रहते हैं. ऐसे में जनप्रतिनिधि होने के नाते भ्रष्टाचार से दूर और पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से उठाया गया एक बड़ा कदम है.