कोरबा:- मां सर्वमंगला की नगरी में सोमवार को देव दीपावली के अवसर पर हसदेव नदी के तट पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। कोरबा की जीवनदायिनी और पूजनीय हसदेव नदी की महाआरती में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
हजारों दीये से जगमगाते घाट पर भक्ति गीतों, भव्य आतिशबाजी,अयोध्या की तर्ज पर आकर्षक लेजर लाइटिंग, वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य महाआरती आस्थापूर्ण आकर्षण का केंद्र रहे।
हिन्दू क्रांति सेना द्वारा गंगा आरती की तर्ज पर आयोजित हसदेव महाआरती देखने के लिए घाट पर लोग शाम 5 बजे से ही उमड़ने लगे थे। यहां घाट पर माँ हसदेव् की मूर्ति स्थापित की गई। मूर्ति के आसपास व महाआरती स्थल पर 5100 दीये लोगों ने जलाए व हसदेव नदी में दीपदान की परंपरा का भी निर्वहन किया।
गायक ने दी भक्तिमय प्रस्तुति
अंचल के गायक कलाकार बसंत वैष्णव और साथियों ने भगवान गणेश की वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। छत्तीसगढ़ की नदियों पर आधारित देवी जसगीत, भगवान राम, पर आधारित गीतों की प्रस्तुति से उपस्थित जनसमूह भक्ति रस में गोते लगाता रहा। श्री राम, माँ गंगा, हसदेव और माँ सर्वमंगला के जयकारे से स्थल गूंजता रहा।
मंत्रोच्चार से हुआ महाआरती शुभारम्भ
निर्धारित समय पर महाआरती का विधान वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शुरू हुआ तो लोग मंत्रमुग्ध हो उठे। 21 लीटर दूध से हसदेव नदी का रुद्राभिषेक किया गया। बैण्ड-बाजे के साथ माँ हसदेव का 51 मीटर लंबी चुनरी से श्रृंगार किया गया। इसके पश्चात वैदिक मंत्रोच्चार और श्री गंगा व महादेव की आरती गायन, दिव्य शंखनाद के मध्य माँ हसदेव की महाआरती 9 पंडितों के द्वारा की गई, धूप-दीप से आरती की गई। शांति पाठ किया गया।
इस पूरे समय आयोजन स्थल से दर्जनों आकाशदीप छोड़े गए। लगभग एक घंटे तक की जाती रही भव्य आतिशबाजी से रोमांचित होते रहे। नदी के इस घाट से उस घाट तक दोनों तरफ श्रद्धालु उमड़े रहे व नदी के उस पार से पुरानी बस्ती क्षेत्र के लोग महाआरती व दीपदान में शामिल हुए। इस दौरान विशेष आकर्षण का केंद्र साउंड एवं लाइट शो भी रहा।
हिन्दू क्रांति सेना के इस आयोजन में हजारों की संख्या में शहर ही नहीं बल्कि आसपास के उपनगरीय क्षेत्र के लोग भी शामिल हुए। बच्चों से लेकर युवा और वृद्धजनों ने इस मनोहारी छठा को अपनी नजरों और मोबाइलों में कैद किया
हिन्दू क्रांति सेना के जिलाध्यक्ष राहुल चौधरी के नेतृत्व व कार्यकर्ताओं के अथक सहयोग से सर्वमंगला घाट पर आयोजित कार्यक्रम का मंच संचालन सत्या जायसवाल (सत्यप्रकाश) ने किया। महाआरती की पूरी व्यवस्था पंडित भरत तिवारी की देखरेख में की गई थी जिसमें 9 पंडितों ने महाआरती की।