- डॉक्टर संजय गुप्ता प्राचार्य आईपीएस नें इंटरनेशनल पीस डे के अवसर पर कोविड-19 पेंडेमिक के दौरान माइंड को स्टेबल व पीसफुल बनाये रखने सांझा किये अपने अमूल्य विचार
- पीसफुल लाइफ का फाउंडेशन है माइंड के थॉट अगर थॉट पॉजिटिव, पावरफुल हैं तो माइंड स्टेबल रहता है जिससे लाइफ फिसफुल बन जाती है – डॉ संजय गुप्ता आईपीएस दीपका
- शांतिप्रिय जीवन जीने के लिये हमें हमारे दृश्टिकोण को अपने सोच को बदलना होगा क्योकि खुद को बदलना हमारे वस में है, अपनी खुशी का रिमोट अपने हांथों में रखें – डॉ संजय गुप्ता आईपीएस दीपका
अंतर्राष्ट्रीय शान्ति दिवस प्रत्येक 21 सितम्बर को मनाया जाता है| यह दिवस सभी देशो और लोगो के बीच स्वतंत्रता, शान्ति और खुशी स्थापित करने का संदेश देता है| शान्ति सभी को प्यारी होती है, किन्तु आज इन्सान दिन-प्रतिदिन इससे दूर होता जा रहा है| आज चारो तरफ आतंकवाद ,हिंसा ,युद्ध , आपदा से घोर अशांति है| पृथ्वी ,आकाश एवं सागर सभी अशांत है| स्वार्थ और घृणा ने मानव समाज को विखंडित कर दिया है| यु तो विश्व शान्ति का संदेश हर युग और हर दौर में दिया गया है लेकिन इसको अमल में लाने वालो की संख्या बेहद कम रही है| विश्व के कोने कोने में शान्ति का संदेश फैले ,यही इस दिवस International Peace Day का लक्ष्य है, वैश्विक त्रासदी के दौरान प्रत्येक मानव मन एक बूंद मन की शांति को मोहताज है, क्योकि चारों ओर से एक तो कोविद 19 का की वजह से भय का वातावरण बना हुआ है वहीं लॉक डाउन की वजह से आर्थिक समस्यायों के अलावे अन्य जीवन से जुड़ी विभिन्न तरह की समस्याएं लोगों के जहन में घर कर गई हैं जिससे प्रत्येक मानव मन अशांत बनता जा रहा है
आईपीएस दीपका के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता नें इंटरनेशनल पीस डे के अवसर पर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर समाज को सम्बोधित करते हुवे अपने विचार रखते हुवे कहा कि अगर बात करें मन के शांति की तो मन हर घड़ी विचार उत्तपन्न करता ही रहता है 24 घण्टों में हम 40 से 50 हजार विचार उत्तपन्न करते हैं जब हम नींद में होते हैं तो भी स्वप्न के रूप में मन मे विचार चलते ही रहते हैं जब हम डीप स्लीप में गहरी नींद में होते हैं तो विचार कम होते हैं मतलव मन के विचार पूर्णतया शून्य होते ही नहीं यह मन निरंतर सोचता ही रहता है व्यर्थ सोचना मन को अशांत करता है बाहर जो सिचुवेसन है या किसी व्यक्ति का व्यवहार है उसे हम परिवर्तीत नहीं कर सकते क्योंकि वह हमारे बस में नहीं हा इतना जरूर है कि बाहर के सिचुवेसन व व्यक्ति के व्यवहार से अपने मन की स्थिति विचलित ना होने दे अपने मन पर प्रभाव ना पड़ने दे यह हम पर निर्भर करता है, बाहर की परिस्थिति व किसी व्यक्ति के व्यवहार के रिएक्शन में हम मन मे क्या सोचते हैं मुख से क्या बोलते हैं कैसा व्यवहार करते हैं यह पूर्णतया हमारे वस में होता है, आज चारों ओर प्रत्येक मानव मन किसी अशांति को झेल रहा है कोई शारीरिक अस्वस्थता की वजह से परेशान है, कोई मानसिक अस्वस्थता की वजह से कोई आर्थिक तंगी से अशांत है कोई गरीबी की वजह से कोई बेरोजगारी की वजह से कोई लड़ाई झगड़े की वजह से, कोई पारिवारिक कलह की वजह से परेशान है सब दूसरों को बदलना चाहते पर खुद को कोई नहीं बदलना चाहता बस यही वजह है कि विश्व मे इतनी अशांति है सब इस अशांति की वजह बाहर के लोगों पर बाहर की परिस्थिति पर थोप देते हैं पर लोग यह भूल जाते हैं कि उनके मन को नियंत्रित किये जाने का रिमोट कंट्रोल उनके हाँथ में है, अक्सर लोगों का मन जब अशांत होता है तो लोग कहते उसकी वजह से मेरा मन अशांत हुवा, इस परिस्थिति की वजह से मेरा मन अशांत हुवा ऐसा कहकर हम अपने मन के शांति व अशांति का रिमोट सामने वाले को दे देते हैं फिर वह जैसा व्यवहार करता है उससे हमारा मन प्रभावित होता है हमें अपने मन का रिमोट कंट्रोल अपने हाँथ में रखना चाहिए हम क्या सोचते हैं हमारा दृश्टिकोण कैसा है यह हमारे मन पर निर्भर करता है क्योकि हमारे जीवन का फाउंडेशन मन होता है जिस तरह पेड़ की जड़े मजबूत हों तो पेड़ तूफान में भी दृणता से खड़े रहता है बड़े से बड़े तूफान को झेलता है फिर भी गिरता नहीं लेकिन अगर जड़ें मजबूत ना हों तो जरा से तूफान या हवा से पेड़ गिर जाता है ठीक उसी प्रकार हमारा मन पेड़ की जड़े हैं व जीवन पेड़ के समान है हमें अपने मन को मजबूती प्रदान करनी चाहिए जिसके लिये ज्ञान आवस्यक है क्योकि ज्ञान से ही सदगति होती है क्या सही क्या गलत उसका सही आकलन कर सही निर्णय किया जा सकता है, अगर बात करें कोविद के पहले की तो प्रत्येक अपने जीवन को सुखमय बनाने विभिन्न तरह से जद्दोजहद किया करते थे व इसी जद्दोजहद में सबने मिलकर मां प्रकृति के पंच तत्वों जल अग्नि पृथ्वी वायु आकाश सबको नकारात्मक तौर पर प्रभावित किया, आज खाने की हर चीजों में मिलावट से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है जिसे सबका मन अशांत होता जा रहा है, भ्रस्टाचार इतना बढ़ चुका है कि प्रत्येक अपने जीवन मे एक गंभीर भ्रस्टाचार का शिकार होता जा रहा है, व्यवस्था ठीक ना होने से बेरोजगारी इतनी बढ़ गई है कि बेरोजगारों युवाओं के मन मे बेरोजगारी की वजह से अशांति है जो अशांति वह युवा आज सोशल मीडिया पर निकालते नजर आते हैं या आंदोलनों के रूप में नजर आता है, शराब या अन्य व्यसन की वजह से कई घर बर्बाद हो रहे जिससे उन घरों में अशांति है, जमीन के टुकड़ों के लिये आज भाई भाई में परिवारों में हिंसा हो रही है वह अशांति है, मजदूरों को उनकी मेहनत के मुताबिक पगार ना मिलने से अशांति, किसी को बिजनेस में नुकसान पहुंचने से मिली अशांति तो किसी के रिस्ते बिगड़ने से मिली अशांति आजकल तो पति पत्नी के रिस्ते भी बहोत कम टिक रहे इतने तलाख होते नजर आ रहे हैं तो वह भी अशांति, ऊपर से विभिन्न्न तरह की शारीरिक बीमारियां, प्राकृतिक आपदाएं भूकम्प बाढ़ से अशांति प्रदूषण की वजह से मन की अशांति ड्यूटी पर विभिन्न जिम्मेदारियों को समय पर निभाने के प्रेसर से मन की अशांति, टारगेट पूरा करने के प्रेसर से मन की अशांति, दो देशों के मध्य तनाव की वजह से देशवासियों में छाई अशांति और कोरोना काल मे तो हर पल अशांति ही अशांति ऐसे ही कई तरह से आज का मानव चारों ओर से अशांति की विभिन्न वजहों से घिरा हुआ है तो निश्चित ही लोगों को एक एक बूंद शांति की कीमत अब समझ आ रही होगी, पर लोगों को यह नहीं पता कि शांति मिलेगी कैसे वैसे लोग अल के अपने उपाय तो लगा रहे हैं पर जब तक बाह्यमुखी से अंतर्मुखी नहीं होंगे तब तक शांति को समझ नहीं पाएंगे, दो वर्ल्ड होते हैं एक इनर वर्ल्ड एक आउटर वर्ल्ड इनर वर्ल्ड में हमारे थॉट्स, एमोशन्स, फिलिंग, इंटेंशन आते हैं, आउटर वर्ल्ड में व्यक्ति या सिचुवेसन आते हैं आज हमारा इनर वर्ल्ड आउटर वर्ल्ड पर डिपेंडेंट हो चुका है जरूरत है बस थोड़ी की स्वयं के प्रति अवेयरनेस लाने की रुककर साक्षी होकर अपने विचारों को देखने की फिर उन्हें कंट्रोल करने की जितने कम विचार होने उतने ही अशांति में कमी आएगी जितनी विचार अधिक होंगे उतना ही मन स्थिर होगा और मन में उतनी ही ज्यादा शांति होगी, हमारे मन की हर थॉट हमारे शरीर के हर Cell तक पहुंचती है, वातावरण में वायुमण्डल में पहुंचती है, जिसके लिये हम वह थॉट उत्तपन्न करते हैं उन तक पहुंचती है, तो क्यों ना हम अच्छा सोचे जब हम जानते हैं कि हमारे नेगेटिव सोचने से हमें ही नुकसान पहुंचता है दुख पहुंचता है तो हमें अपने विचारों को नकारात्मक से सकारात्मक बनाने की जरूरत है अपने दृश्टिकोण को सकारात्मक बनाने की जरूरत है, हिंसा का त्याग कर अहिंसा के पथ पर चलने की जरूरत है, अपने क्रोध पर नियंत्रण रखने की जरूरत है अपने नेगेटिव एमोशन्स को पॉजिटिव में बदलने की जरूरत है जैसा हम सोचते हैं वैसा हम बनते जाते हैं जैसा हम देखते हैं सुनते हैं वह हमारे सब कॉन्शियस माइंड में स्टोर होकर हमारे व्यक्तित्व में शामिल हो जाता है फिर हमारा व्यवहार वैसा ही होता जाता है, आज लोग भौतिकतावादी हो चले हैं मेटेरिअलिस्टिक हो चले हैं लोगों को लगने लगा है कि चीजों को खरीदने से उन्हें शांति मिल जाएगी जबकि शांति मन की अवस्था है जिसे ज्ञान से समझकर जीवन मे सच्ची शांति पाई जा सकती है, शांतिप्रिय लोग सबको पसंद होते हैं शांति एक शक्ति है जिस तरह साइंस की शक्ति का उपयोग कर जीवन मे साधनों का उयोग कर कार्यों को व जीवन को सरल तरीके से जिया जा सकता है बिल्कुल उसी प्रकार शांति की शक्ति मन में धारण कर जीवन को सहज सरल तरीके से जिया जा सकता है, आज भारत मानसिक रोगों के लिये विश्व का कैपिटल बनता नजर आ रहा है हर 6 में से 1 भारतीय मानसिक रोग का शिकार है वजह मानसिक अशांति व्यर्थ संकल्प लोग कितनी भी दवाएं खा ले जबतक लोग वास्तविक शांति के अर्थ को समझेंगे नहीं तब तक शांति को बाहर ढूंढते ढूंढते अशांति से ही मुलाकात होती रहेगी अपने मन के नेगेटिव एमोशन्स को मर्ज कर पॉजिटिव एमोशन्स को इमर्ज करने से भी मन को शांति मिलती है जिसका साधन मैडिटेशन है मैडिटेशन को लोगों को अपने जीवन मे शामिल करना चाहिए व माइंड को पीसफुल बनाने में मैडिटेशन का सहरा लेना चाहिए पहले लोग फिजिकल कार्य ज्यादा करते थे तो शरीर मे पीड़ा या थकान रहा करती थी आजकल लोग मेन्टल वर्क अधिक करते हैं जिससे मानसिक अशांति मानसिक थकान बनी रहती है हमें शरीर के स्वास्थ्य के साथ साथ मन के स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए जिसके लिये पॉजिटिव विचारों का डोज रोजाना मन को देना चाहिए टीवी मोबाइल का उपयोग सीमित करना चाहिए पॉजिटिव इनफार्मेशन लेने चाहियें क्योकि जैसा इनपुट वैसा आउटपुट अगर मन को शांत रखना है तो हम जो इन्फॉर्मेशन कंज्यूम कर रहे होते हैं उसमें भी पॉजिटिविटी होनी चाहिए इसलिय कहा भी गया है बुरा मत देखो0, सुनो, बोलो और अब तो जरूरी है बुरा मत सोचो क्योकि हर कुछ सोच पर ही निर्भर करता है
इसके साथ ही डॉक्टर संजय गुप्ता ने आईपीएस दीपका के बच्चों को ऑनलाइन वेबिनार के माध्यम से जोड़कर उन्हें पीसफुल वाइब्रेशन पूरे विश्व मे प्रेसित करने हेतु एक्टिविटी करवाई गई, जिस दौरान बच्चे अपने परिजनों संग कैंडल जलाकर शांति के वाइब्रेशन पूरे विश्व मे प्रेसित किये, व संकल्प लिए की हम पॉजिटिव सोचेंगे, पॉजिटिव, सुनेंगे, पॉजिटिव बोलेंगे व पॉजिटिव कर्म भी करेंगे जिससे विश्व मे शांति बनाए रखने में भागीदार बने रहेंगे, बाहर की परिस्थिति से अपनी मन की अवस्था को डगमगाने नहीं देंगे हमारे माइंड को पीसफुल बनाये रखना हमारी चॉइस है, हमारे मन का रिमोट हम अपने पास रखेंगे, जीवन के फाउंडेशन मन को मजबूत बनाये रखेंगे