- विश्व की अतुल्य धरोहरों को संजोने वाला भारत देश पर्यटन की दृष्टि से अलग ही छवि रखता है हमारे देश नें अपने अंदर प्राकृतिक और सांस्कृतिक सुंदरता को समेटे हुए विश्व को अनेकों पर्यटक धरोहरें दी है डॉ. संजय गुप्ता आई.पी.एस. दीपका
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में ऑनलाइन वेबिनार के द्वारा वर्ल्ड टूरिस्म डे के उपलक्ष्य पर वेबिनार का आयोजन हुवा इस संबंध में सामाजिक जागरूकता के उद्देश्य से आईपीएस दीपका द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बतलाया गया की आज के समय में हर व्यक्ति किसी ना किसी परेशानी से घिरा हुआ है, पैसे और चकाचौंध के बीच ऐसा लगता है मानो खुशी तो कहीं गुम हो गई है। बावजूद इन सबके हर व्यक्ति को अपने जीवन में कुछ समय ऐसा जरूर निकालना चाहिए जिससे वो दूसरे जगह, जिले, राज्य या देश का पर्यटन करे और खुशियों को फिर से गले लगा सके। इसके लिए विश्व पर्यटन दिवस सबसे अच्छा मौका है। हर साल 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। विश्व पर्यटन दिवस हमारे जीवन में खुशियों के पल को वापस लाने में ही मदद नहीं करता है बल्कि यह किसी भी देश के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज के समय में जहां हर देश की पहली जरूरत अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है, वहीं आज पर्यटन के कारण कई देशों की अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती है। यूरोपीय देश, तटीय अफ्रीकी देश, पूर्वी एशियाई देश, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि ऐसे देश हैं जहां पर पर्यटन उद्योग से प्राप्त आय वहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है। पर्यटन का महत्व और पर्यटन की लोकप्रियता को देखते हुए ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1980 से 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के तौर पर मनाने का निर्णय लिया। विश्व पर्यटन दिवस के लिए 27 सितंबर का दिन चुना गया क्योंकि इसी दिन 1970 में विश्व पर्यटन संगठन का संविधान स्वीकार किया गया था। पर्यटन दिवस की खासियत यह है कि हर साल लोगों को विभिन्न तरीकों से जागरुक करने के लिए पर्यटन दिवस पर विभिन्न तरीके की थीम रखी जाती है। यूं तो पर्यटन दुनियाभर के लोगों का पसंदीदा शगल रहा है,लेकिन पर्यटन में भी जल आधारित पर्यटन का अपना विशेष महत्व है। नदियों, झीलों,जल प्रपातों के किनारे दुनियाभर में कई पर्यटन स्थलों का विकास हुआ है और भारत भी इसका अपवाद नहीं है। विश्व पर्यटन दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य पर्यटन और उसके सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक मूल्यों के प्रति विश्व समुदाय को जागरूक करना है। भारत जैसे देशों के लिए पर्यटन का खास महत्व होता है। भारत जैसे देश की पुरातात्विक विरासत या संस्कृति केवल दार्शनिक स्थल के लिए नहीं होती है इसे राजस्व प्राप्ति का भी स्रोत माना जाता है और साथ ही पर्यटन क्षेत्रों से कई लोगों की रोजी-रोटी भी जुड़ी होती है। आज भारत जैसे देशों को देखकर ही विश्व के लगभग सभी देशों में पुरानी और ऐतिहासिक इमारतों का संरक्षण दिया जाने लगा है। भारत असंख्य अनुभवों और मोहक स्थलों का देश है। चाहे भव्य स्मारक हों,प्राचीन मंदिर या मकबरे हों,इसके चमकीले रंगों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रौद्योगिकी से चलने वाले इसके वर्तमान से अटूट संबंध है। केरल, शिमला, गोवा, आगरा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, मथुरा, काशी जैसी जगहें तो अपने विदेशी पर्यटकों के लिए हमेशा चर्चा में रहती हैं। भारत में अपने लोगों के साथ लाखों विदेशी लोग प्रतिवर्ष भारत घूमने आते हैं। भारत में पर्यटन की उपयुक्त क्षमता है। यहां सभी प्रकार के पर्यटकों को चाहे वे साहसिक यात्रा पर हों, सांस्कृतिक यात्रा पर या वह तीर्थयात्रा करने आए हों या खूबसूरत समुद्री-तटों की यात्रा पर निकले हों, सबके लिए खूबसूरत जगहें हैं। दिल्ली, मुंबई, राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में तो लोगों को घूमते-घूमते महीना बीत जाता है।
आगे इंडस पब्लिक स्कूल के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने बतलाया कि आई.पी.एस. दीपिका प्रतिवर्ष बच्चों को पर्यटन हेतु विभिन्न स्थानों पर लेकर जाते रहा है। पिकनिक के बहाने बच्चों के मन को उत्साह उमंग से भरने के लिए व जीवन की अनेक रंगों का अनुभव करने के लिए प्रकृति की गोद में एक दिन व्यतीत करने का अवसर दिया जाता है, ताकि वह बाहरी दुनियां से भी रूबरू होते रहे व मानसिक रूप से खुलते रहें, आज लोगों का जीवन चार दिवारी के बीच कैद सा हो गया है प्रतिवर्ष आईपीएस पिकनिक के लिए आसपास के ही किसी प्रतिष्ठित स्थान में बच्चों को लेकर घूमने के लिए जाया करते हैं। लगातार सिर्फ पढ़ाई पर ही फोकस करते रहने से बच्चे पढ़ाई से ऊब जाते हैं | इसलिए उन्हें बीच-बीच में इस तरह की गतिविधियों के माध्यम से मन को स्वास्थ्यवर्धक मनोरंजन प्रदान करना अत्यंत ही आवश्यक है | मनोवैज्ञानिकों का भी मानना है कि एक ही कार्य करते करते मन उस कार्य से ऊब जाता है मन को अनेक रंग पसंद हैं उसी तरह जीवन मे विविधता भी जरूरी है एक समान जीवन जीते रहने से बच्चे बोर हो जाते हैं। फिर जबरन उनपर दबाव बनाकर परिजनों द्वारा घर पर पढ़ाई करवाया जाता है, बच्चों को 4,6 महीनों में एक मर्तबा पिकनिक के बहाने कहीं प्रकृति की गोद में लेकर जाना चाहिए जहां झील हो नदी हो या समुद्र हो पहाड़ियां हो धरोहर हों हरे भरे वातावरण हो इससे उनके जीवन मे रंग घुलेगा केवल स्कूल से घर घर से स्कूल इस दिनचर्या से बच्चों का जीवन सिकुड़कर रह जाता है। उनके जीवन मे रंग घोलने के लिये आवस्यक है कि उन्हें प्रकृति प्रेमी बनाया जाए जो प्रकृति प्रेमी होता है। उसके जीवन मे रंग होता है, क्योकि वह जीवन के हर पल को महसूस करता हुआ जीता है, कुदरत ने सृष्टि में इतने मनुस्य, जानवर, पड़े, पौधे, पशु, पक्षी, नदी, पहाड़, समुद्र प्रकृति में पंच तत्व जल अग्नि पृथ्वी वायु आकाश इसलिय बनाये ताकि हम उनसे बहोत कुछ सिख सकें जिस तरह समुद्र में सामने का गुण होता है। जो अनेकों नदियों को अपने मे समा लेता है। उसी तरह विद्यार्थी जीवन मे हममे ज्ञान को सामने का गुण समुद्र से सीखना चाहिए, जिस तरह नदियां अपने रास्ते मे जब पहाड़ आजाये तो रास्ता तनिक मोड़कर घूमकर चलते चली जाती है। उसी तरह विद्यार्थी जीवन में हमे शिक्षा ग्रहण करने के दौरान हमसे बेवजह बहोत से लोग उलझते हैं जिनका मकसद हमें पीछे धकेलना होता है। हमें उनसे उलझने के बजाए अपने सहन शक्ति का उपयोग करते हुवे उनके द्वारा किये गए व्यवहार को नजरअंदाज करते हुवे आगे बढ़ते रहना चाहिए। जिस तरह सूर्य जब उदय होता है तो उसका प्रकाश जग को प्रकाशित करता है। अगर कोई चाहे भी तो उसके प्रकाश को रोक नहीं सकता दबा नहीं सकता उसी तरह जब तक हम विद्यार्थी जीवन जी रहे हैं। तब तक सारे तरह के अनुशासन का पालन करते हुवे जीवन व्यतीत करना चाहिए क्योंकि जब हम पढ़कर अपने जीवन का लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे तो हमें भला बुरा कहने वालों का मुंह हमारी सफलता को देखकर अपने आप ही बन्द हो जाएगा। काम इतनी गुप्त तरीके से करो कि सफलता होने पर खुद ही शोर मच जाए कि ऐसा कैसे हुवा। जिस तरह यह बादल सबको बारिश देता है उसी तरह बदल के समान हमें विशाल हृदय बनना चाहिए रहम व दया की भावना सबके प्रति रखनी चाहिए। जिस तरह यह धरती सबको अपने ऊपर जीवन यापन करने के लिये अनुकूल वातावरण फल, अन्न देते हैं किसीके भेदभाव नहीं करते उसी तरह हमें अपने जीवन मे सभी को समान दृष्टि से देखना चाहिए कोई अमीर हो गरीब हो छोटा हो बड़ा हो काला हो गोरा हो मोटा हो पतला हो सब कुदरत की रचना है व सब अपने आप मे यूनिक है नकोई किसीसे कम नकोई किसीसे ज्यादा सब अपने आप मे विशेष हैं कुदरत ने सबको विशेषता प्रदान की है जिसके आधार पर उसकी पहचान बनती है इसलिय हमें किसी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए सबकी कद्र करनी चाहिए सबसे स्नेह व प्रेम से व्यवहार करना चाहिए ईष्या की भावना किसीके प्रति नहीं रखनी चाहिए, जिस तरह ऊंचे ऊंचे झरने से गिरने वाली पानी की बूंदे जब लगातार पत्थर पर पड़ती हैं तो पत्थर को भी काट देती हैं उसी प्रकार हमें कड़ी मेहनत करते रहना चाहिए बार बार पढ़ाई की बूंद अपने बुद्धि को देते रहने से चीजें हमारी बुद्धि में बैठ जाती है फिर हमें वह चीजें याद रहती है। तब हम आसानी से एग्जाम में वह चीजे लिख पाते हैं, और इस तरह अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं। जिस तरह हवा दिखती नहीं है पर महसूस होती है। उसी तरह हमारी भावनाएं व व्यवहार व विचार हैं जो दिखते नहीं है। पर सबको महसूस होते हैं। कई मर्तबा लोगों का व्यवहार अंदर से कुछ नकारात्मक होता व बाहरी टूर पर दिखावे के सकारात्मक व्यवहार करते हैं। जो कि सामने वाला बिल्कुल महसूस करता है व इस तरह के व्यवहार वालों से कोई अच्छे से रिस्ता नहीं रखता है। क्योकि सब जानते हैं यह अंदर से कुछ और बाहर से कुछ और है। तो हमें नारियल की तरह अंदर बाहर एक समान बनना चाहिए हम सोचे भी सकारात्मक करें भी सकारात्मक बोले भी सकारात्मक मन्सा वाचा कर्मणा बिल्कुल एक समान तब हम लोगों के विश्वनीय बन सकेंगे और जब विश्वनीय बनेंगे तो सम्बन्ध संपर्क के लोग हमें अवसर प्रदान करेंगे जिससे हम जीवन में आगे बढ़ेंगे, जिस तरह आग का गुण होता है। वह किसी भी चीज को जलाकर भस्म कर देता है। उसी तरह ज्ञान एक अग्नि है जिससे हम अवगुणों को परख कर अपने दूर रख सकते हैं व गुणों को धारण कर सकते हैं। हमें जीवन मे गुणग्राही बनना चाहिए दूसरों की कमियां नहीं देखनी चाहिए चूंकि जैसा हम देखते हैं सुनते हैं पढ़ते हैं वैसा बन जाते हैं। इसलिये हमें पॉजिटिव इनफार्मेशन वाली चीजें ही देखना, सुनना, पढ़ना चाहिए । जिस तरह चंद्रमा में शितलता का गुण होता है। उसी तरह हमें अपने व्यवहार में शितलता लानी चाहिए हमें क्रोध बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि क्रोध ऐसी अग्नि है। जो हमें हमसे लड़ाई झगड़े करवाती है। मुख से अपशब्द निकलवाती है इसलिय हमें क्रोध ना करते हुवे शितलता पूर्वक व्यवहार करना चाहिए, जल का गुण होता है पारदर्शिता हमें भी जल की तरह हर कार्यों में पारदर्शिता रखनी चाहिए। जिस कार्य को कोई छुपाकर करता है माना कोई खोट है या गलत है जिस कार्य को पारदर्शिता के साथ किया जाता है उसमें सत्यता झलकती है और जहां सत्य होता है वहां निश्चय व विश्वास अपने आप आजाता है। जिस तरह पहाड़ एक ही स्थान पर अड़ा व खड़ा रहता है जिसे कोई हिला नहीं सकता उसी तरह हमें भी जीवन मे अपने आत्मविश्वास को चट्टान की तरह मजबूती से खड़ा रखना चाहिए क्योंकि जीवन मे जो कुछ भी उपलब्धियां हांसिल होगी वह दृण संकल्प व आत्मविश्वास से ही होगी, जिस तरह मां प्रकृति एक माता के समान निस्वार्थ भाव से सभी जीव जंतुवों हेतु पोषण तत्व खाद्य पदार्थ मिनरल्स व जल अग्नि पृथ्वी वायु आकाश निःशुल्क तौर पर न्योंछवेर करती है। बिल्कुल उसी तरह हमें भी अपने मे निःस्वार्थ सेवा भाव जागृत करना चाहिए किसीका सहयोग कर उससे कुछ अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए। आगे डॉ संजय गुप्ता ने कहा कि अभी लॉक डाउन के दौरान बच्चों को पिकनिक पर बाहर लेकर जाना उचित नहीं व इसलिय जब लॉक डाउन पूर्णतया खुल जाए तब एक मर्तबा परिवार के सनज लांग टूर पर जरूर जाएं इससे माता पिता व बच्चों कामन बहल जाएगा चूंकि घर मे लगातार रहते हुवे सबको तनिक अटपटा लग रहा होगा तो जैसे ही लॉक डाउन खुले एसबीएस पहले अपने पसंदीदा स्थानों पर टूर को जाएं प्रकृति की गोद मे पंच तत्वों का आनंद उठाएं वातावरण का खुली हवा का आनंद लें तब लौटकर बच्चों के पढ़ाई पर फोकस करवाएं तब उनका मन पढ़ाई में भी अच्छे से लगेगा, खैर इस वर्ष तो लॉक डाउन की वजह से भी आईपीएस के सारे पिकनिक के प्लान धरे के धरे रह गए पर लॉक डाउन के पश्चात विद्यालय के तरफ से भी आसपास के प्राकृतिक सौंदर्य से बच्चों को रूबरू करवाने हेतु पिकनिक का प्लान जरूर रखेंगे जिससे के बच्चे बीते समय को बिंदी लगाकर नय सिरे से जीवन जीने के लिये मानसिक तौर पर अपने आप को तैयार कर सकें