विशेष:- ना जाने कोरोना की दूसरी बारी में देश वर्तमान कैसा भयावह दौर से गुजर रहा है कि सभी ओर त्राहिमाम मची हुई है जहां इंसान एक डरावनी निस्तब्धता में जी रहा है और सभी ओर से मन को रुदन कर देने वाली खबरें देखने सुनने को मिल रही है। मंदिर- मस्जिद, गुरुद्वारे, गिरजाघर सभी सुने पड़ गए है व वीरानी हो चुकी सड़के पर सरपट दौड़ रही है तो बस कोरोना पीड़ित मरीजों को अस्पताल ले जाते एवं इससे जंग हार चुके बेजान शरीर को लिए एम्बुलेंस वाहने इसके अलावा सुनसान एवं बियाबान सड़कों, गलियों पर सायरन बजाती पुलिस की वाहने। ना जनाजा, ना जनाजे के पीछे चलने वाली भीड़ और ना ही अंतिम संस्कार का समय व विधान। बस शहरों में मरीजों से भरे हॉस्पिटल, शमशान घाटों में धू- धू कर एक साथ जलने वाली अनेकों चिताएं चिंता का विषय बनकर रह गया है और जिस परिवार के सदस्य अदृश्य कोरोना की चपेट में आकर असमय काल कलवित हुए है उनके स्वजन अपनों को खोने का दर्द लेकर बिलख रहे है। दुश्मन भी ऐसा जो किसी को नजर नही आ रहा पर वार जानलेवा करते हुए कहर बरपा रहा है। जिसके कारण आज हर एक शख़्स दहशत के साये में जी रहा है और इस कातिल से बचने अपना चेहरा छुपाये हुए एक- दूसरे के करीब आने से डर रहा है। नजर ना आने वाले इस जानलेवा संक्रमण ने आज जिंदगी के सारे तौर- तरीके ही बदल कर रख दिये है और हालात ऐसे हो चले है कि आज हाथ मिलाना भी सजा हो गया है। मास्क, सैनिटाइज़र और दस्ताने लोगों के हथियार व तन्हाई, दर्द, अकेलापन दवा बन गया है। ना जाने किस गुनाह की सजा हम सबको मिल रहा है। बचपन मे सुना था कि कलयुग में एक ऐसा भयंकर प्रलय आएगा जिससे चारो ओर हाहाकार मच जाएगा। क्या यही वह प्रलय है जिसे तीन- चार दशक पूर्व बड़े बुजुर्ग कह गए..? एक बात तो समझ आ गया कि ईश्वर ने सबको बराबर बनाया है तथा आज संसार में न कोई छोटा और ना कोई बड़ा है सबका मोल बराबर है क्योंकि अमीरी गरीबी में जिनको अमीर होने का गुरूर था उनकी धन दौलत एक अदृश्य बीमारी के आगे कोई काम नही आई। वर्तमान में चिकित्सक मसीहा के रूप में काम कर रहे है जो कोरोना संक्रमितों की जान बचाने में रात दिन लगे हुए है और अनगिनत मरीजों को स्वस्थ भी कर चुके है। वहीं पुलिस लाकडाउन के हालात को नियंत्रित करने में जी जान से जुटी हुई है। सरकार भी इस घातक संक्रमण के रोकथाम हेतु हर तरह से युद्ध स्तर पर प्रयासरत है। पूर्ण उम्मीद हैं गंभीर कोरोना के रूप में सामने आया यह काले बादल का संकट जल्द ही छंट जायेगा और अंधेरे को मिटाकर सूरज का जो नया सवेरा आएगा वह खुशियों भरा होगा तथा मानव जगत में एक बदलाव भी लाएगा जहां इंसान तेरा- मेरा भूलकर एक नए जीवन पथ पर कदम बढ़ाएगा। जरूरत है तो बस आज दिलो दिमाग से कोरोना का भय हटाकर सकारात्मक सोच के साथ संयम, धैर्य और सतर्कता बरतने, शासन- प्रशासन के दिशा- निर्देश का पालन करते हुए घर पर रहकर कातिल कोरोना से जंग लड़ने की तभी यह बुरा दौर गुजरेगा और यकीनन जीत हम सबकी होगी।