बिलासपुर:- छत्तीसगढ़ में 18+ वैक्सीनेशन में आरक्षण को लेकर प्रस्तुत हस्तक्षेप याचिकाओं पर मंगलवार को हाई कोर्ट की युगलपीठ में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने इस दौरान वैक्सीनेशन में आरक्षण लागू करने पर सख्त एतराज जताया है। कोर्ट ने शासन को स्पष्ट किया है कि वैक्सीनेशन में इस तरह का भेदभाव सही नहीं है। हाई कोर्ट ने टीकाकरण को लेकर शासन को दो दिन में नीति बनाने के निर्देश दिए हैं।

मोहित सिंघानिया और अमित जोगी ने लगाई थी याचिका
बता दें कि रायपुर के मोहित सिंघानिया ने हाईकोर्ट में राज्य सरकार के द्वारा प्रदेश में 18+वैक्सीनेशन में आरक्षण के फैसले को चुनौती देते हुए इंटरवेंशन एप्लिकेशन लगाई गई है। वहीँ जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने भी सरकार के इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है।

वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए हुई सुनवाई
हाई कोर्ट में लंबित जनहित याचिका पर इसे हस्तक्षेप याचिका मानकर सुनवाई करने का आग्रह किया गया है। मंगलवार को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की बेंच में वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए सुनवाई हुई।

इस इंटरवेंशन एप्लीकेशन की जानकारी देते हुए अधिवक्ता अनुमेश श्रीवास्तव ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कोरोना वैक्सीनेशन के तीसरे चरण जिसमे 18 से 44 वर्ष की आबादी का टीकाकरण किया जाना है। इसमें छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा आर्थिकतौर पर आरक्षण किया गया है। जिसमें सबसे पहले अंत्योदय कार्ड धारी, फिर BPL उसके बाद APL कार्ड धारियों का टीकाकरण किया जाएगा।

राइट टू इक्वालिटी” का उल्लंघन
सरकार ने इस प्रक्रिया में अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 “राइट टू इक्वालिटी” का उल्लंघन किया है। जिसके खिलाफ रायपुर के मोहित सिंघानिया ने ये आवेदन दाख़िल किया है। अधिवक्ता श्रीवास्तव ने बताया कि हाईकोर्ट ने भी इस मामलें को गंभीरता से लेते हुए टीकाकरण को लेकर शासन को दो दिन में नीति बनाने के निर्देश दिए हैं.

शासन के इस आदेश को तत्काल निरस्त करने की मांग
इधर , हस्तक्षेप याचिकाककर्ता किशोर भादुड़ी सहित अन्य अधिवक्ताओं ने टीकाकरण को लेकर शासन द्वारा आरक्षण लागू किए जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी टीकाकरण को लेकर प्राथमिकताएं तय की है। लेकिन, उसमें आरक्षण जैसी स्थिति नहीं है। शासन ने प्रदेश की जनता के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया है। सभी ने शासन के इस आदेश को तत्काल निरस्त करने व नई नीति बनाने की मांग की।

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने शासन का पक्ष रखा। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने शासन को दो दिन के भीतर टीकाकरण को लेकर स्पष्ट नीति बनाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही टीकाकरण को लेकर लागू किए गए आरक्षक पर एतराज जताया है। करीब दो घंटे तक हाई कोर्ट में इस प्रकरण में आनलाइन बहस चली। इस मामले में हाई कोर्ट का अधिकारिक आदेश शाम तक जारी हो सकता है। याचिका में अमित जोगी सहित अन्य हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं की तरफ से अनुमेश श्रीवास्तव, सुमित सिंह पतलाश तिवारी, हिमांशु चौबे ने पक्ष रखा।