दुर्ग:- छत्तीसगढ़ के दुर्ग में नौकरी पाने के लिए एक युवक ने अपनी पत्नी के जेवर गिरवी रख दिए. इतना ही नहीं पीएफ से पैसा भी निकाल कर दलालों को दे दिए, बावजूद नौकरी नहीं लगी. युवक पुलिस में इसकी शिकायत करने पहुंचा, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. दलालों के धोखे और पुलिस के सुस्त रवैये से परेशान एगेश्वर यादव गांव से लगे बगीचे में जाकर फांसी के फंदे पर झूल गया.

जैसे ही युवक की आत्महत्या की खबर गांव में फैली, फंदे पर लटकती लाश को देखकर गांव वालों के रोंगटे खड़े हो गए. फिलहाल पुलिस ने इस मामले में 8 दिनों बाद एफआईआर दर्ज कर जांच कर रही है, लेकिन परिजन अब पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं और पूरे मामले की शिकायत डीजीपी डीएम अवस्थी और दुर्ग आईजी विवेकानंद सिन्हा से करने की बात कर रहे हैं.

डॉक्टर पर लगा आरोप
दुर्ग जिले के नंदनी थाना क्षेत्र के अहिवारा में वार्ड 5 में रहने वाले एगेश्वर यादव जेके लक्ष्मी सीमेंट में कार्यरत डॉ. मदन मोहन सिंह के पास वार्ड ब्यॉय का काम करता था. परिजनों के मुताबिक डॉ एमएम सिंह ने साल 2020 में एगेश्वर यादव से एक्सरे टेक्नीशियन का डिप्लोमा बनाने और नौकरी लगाने के नाम पर 3 लाख रुपये लिए थे, लेकिन समय बीतने के बाद भी युवक को नौकरी और डिप्लोमा का सर्टिफिकेट नहीं मिला. जिसके कारण वो मानसिक रूप से परेशान रहने लगा. परिजनों ने डॉ एमएम सिंह पर युवक को मानसिक रूप से परेशान करने और पैसे ठगी करने का आरोप लगाया है. इतना ही नहीं परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ड्यूटी के बाद भी युवक से अपने घर का काम कराता था. एगेश्वर यादव से खेरदा स्थित अपनी नवनिर्मित घर की भी देखरेख कराया था और युवक को अपने घर जाने से भी रोकता था.

युवक ने सुसाइड नोट में बयां किया दर्द
परिजनों के मुताबिक मृतक के पास से सुसाइड लेटर भी मिला है. जिसमें पुलिस के पास शिकायत करने के बाद भी सुनवाई नहीं होने की बात भी लिखी गई है. अब इस पूरे मामले में नंदिनी पुलिस की कार्यशैली भी संदिग्ध है, क्योंकि युवक का शव मिलने के 8 दिन बाद आरोपी डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है. इस मामले में एडिशनल एसपी संजय ध्रुव का कहना है कि पुलिस हैंडराइटिंग की जांच कर रही है. पूरी जांच के बाद क्लियर हो पाएगा. उसके बाद कार्रवाई की जाएगी.