नई दिल्ली:- सियासी दलों की तरफ से चुनाव आयोग को वार्षिक ऑडिट या अंकेक्षण रिपोर्ट सौंपी गई है. रिपोर्ट में दर्शाए गए आंकड़ों के अनुसार, बहुजन समाज पार्टी की आय और खर्च दोनों ही क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई है. वहीं, तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके की प्राप्तियों में 131 फीसदी का इजाफा देखा गया. फिलहाल, चुनाव आयोग की वेबसाइट पर कुछ राजनीतिक पार्टियों की रिपोर्ट ही मौजूद है.

साल 2019-20 में बसपा की आय 58.2 करोड़ रुपये और खर्च 95 करोड़ रुपये से ज्यादा था. 2020-21 में आय घटकर 52.46 करोड़ रुपये और खर्च 17.29 करोड़ रुपये पर आ गए हैं. हालांकि, नगदी औऱ बैंक बैलेंस के मामले में बसपा की स्थिति काफी अच्छी है. साल 2020-21 के अंतिम दिन बसपा ये आंकड़ा 661.5 करोड़ रुपये पर था. उत्तर प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान 2016-17 में बसपा ने अपना कुल आय 173.5 करोड़ रुपये बताई थी.

चुनाव से पहले डीएमके की कुल प्राप्तियां 65 करोड़ रुपये से बढ़कर करीब 150 करोड़ रुपये हो गई है. जबकि, विपक्षी AIADMK की कुल प्राप्तियां 2019-20 में 89.6 करोड़ से कम होकर 2020-21 में 34 करोड़ रुपये पर आ गई है. दक्षिण राज्य की दोनों पार्टियों की तरफ से दाखिल रिपोर्ट के अनुसार, अनुदान, दान और योगदान के जरिए डीएमके की आय 2020-21 में बढ़कर 113.99 करोड़ रुपये पर पहुंच गई. जबकि, 2019-20 में यह आंकड़ा 48.31 करोड़ रुपये था. इस मामले में AIADMK की आय 58.24 करोड़ रुपये से कम होकर 2 करोड़ रुपये पर आ गई है.

आम आदमी पार्टी की भी 2020-21 रिपोर्ट अपलोड की गई है. इसमें पार्टी ने 17.6 करोड़ रुपये की प्राप्तियों की घोषणा की है, जो 2019-20 में 49.6 करोड़ रुपये थी. वहीं, 2020-21 पार्टी ने 15.34 करोड़ रुपये का खर्च बताया है, जो पहले 38.87 करोड़ रुपये था. आप ने बॉन्ड या इलेक्टोरल ट्रस्ट्स के जरिए 5.95 करोड़ रुपये जुटाए. 2019-20 में यह रकम 17.76 करोड़ रुपये थी.

भाषा के अनुसार, मान्यता प्राप्त राज्य दलों की श्रेणी में चुनाव आयोग ने 2020-21 के लिए जिन दलों की वार्षिक अंकेक्षण रिपोर्ट जारी की है उनमें झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कझगम (अन्नाद्रमुक) और द्रविड़ मुनेत्र कझगम (द्रमुक) शामिल हैं. जेएमएम ने पिछले वर्ष 31 दिसंबर को रिपोर्ट पेश की और उसने कुल खर्च 58 लाख 43 हजार 655 रुपये दिखाया है जबकि उसे कुल 90 लाख 66 हजार 500 रुपये की प्राप्ति हुई. पीडीपी ने 27 दिसंबर को रिपोर्ट दाखिल की और उसने कुल खर्च 9 लाख 95 हजार 450 रुपये का दिखाया जबकि उसे कुल 33 हजार 289 रुपये हासिल हुए.