आईपीएस के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता से लोहड़ी पर्व के अवसर पर हुई परिचर्चा से उन्होंने बतलाया कि लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहते थे तिलोड़ी शब्द तिल तथा रोड़ी शब्द से मिलकर बना हुआ है । जो अब बदलकर लोहड़ी के रूप में प्रसिद्ध हो गया । चाहे वह लोहड़ी पर्व हो या मकर सक्रान्ति या पोंगल इन पर्व के पीछे एक आध्यात्मिक रहस्य है । तिल हमारी आत्मा के प्रतीक के रूप में तथा गुड आत्मा के गुण के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है लोहड़ी पर अग्नि के चारो तरफ घूमकर उस अग्नि में कुछ चीजें डालते हैं, जिनमे रेवड़ी, मूंगफली, मक्के का दाना, खिल होता है जो चीजे क्रमसः प्रतीक है हमारी आत्मा के पंच विकारों के जिसे परमात्मा से योग की अग्नि में स्वाहा करना होता है । परमात्मा श्रीमत देते हैं, की अपने मन के अपनी आत्मा पर चढ़े धूल, विकारों को योगाग्नि में स्वाहा कर आत्मा के सात गुणों को निखारों, गुण निखारने के रास्ते भी परमात्मा बतलाते हैं । जो कि ज्ञान, धारणा, सेवा व योग है ज्ञान का संदर्भ परमात्मा द्वारा प्रदत्त ज्ञान से धारणा अर्थात ज्ञान को धारण कर प्रैक्टिकल जीवन मे अनुसरण, सेवा का संदर्भ हम जो कुछ भी कर्म करें उसके पीछे सर्व का हित भाव जुड़ा हो, योग का संदर्भ आत्मा का परमात्मा से योग से है । हिन्दू धर्म में नव वर्ष की शुरुवात मकर शक्रान्ति से होती है, साउथ में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है सभी जगह यही मान्यता है अपनी बुराइयों के त्याग व अच्छाइयों को ग्रहण करना, हममें अच्छे या बुरे संस्कार हमारी आत्मा से जुड़े होते हैं । जिन संस्कारों को ही आदत कहते हैं कई मर्तबा इस समाज के नकारात्मक प्रभाव हमारी आत्मा में पड़ जाते हैं और हम उन नेगेटिव आदतों को अपने मे समेटे जीवन यापन करते हैं चाह कर भी हम उन आदतों से मुक्ति नहीं पा पाते जो हमारे जीवन स्तर को नीचे किराता रहता है । जिन आदतों के कारण हम सफलता को हांसिल नहीं कर पाते तो हिन्दू नव वर्ष या कहे मकर सक्रांति या पोंगल या इनसे एक दिन पूर्व पंजाब में मनाया जाने वाला पर्व लोहड़ी एक मौका होता है अपनी बुराइयों को अपने नेगेटिव हैबिट्स को नकारात्मक संस्कारों को परमात्मा के योगाग्नि में त्यागकर सद्गुणों को धारण करने का दरसल आज लोगो को सेल्फ की रियलाइजेसन नहीं है कि वह हैं कौन जब तक हम अपने आप को नहीं जान जाते तब तक हम परमात्मा से नहीं जुड़ सकते, हम सभी मनुस्य जो अपने आप को यह देंह समझ जीवन जीने लगते हैं जिससे हमारे माइंड में एंगर, ईगो, लोभ इत्यादि अवगुण घर कर जाते हैं और हमारा बिहेवियर नेगेटिव होता जाता है । इन नेगेटिव हैबिट्स को ही अपने से दूर करने का एक मौका है यह लोहड़ी या पोंगल या मकर शक्रांति जिसमे इस्तेमाल की जाने वाली तिल या चावल प्रतीक है आत्मा का मीठा पकवान प्रतीक है आत्मा के गुणों व मीठी वाणी का मकर शक्रान्ति के अवसर पर पतंग उड़ाने की भी प्रथा चली आ रही है जिसके पीछे स्पिरिचुअल मीनिंग है कि हमारे संस्कारों से अगर हमें मुक्त होना है तो एक ही बार मे नहीं बल्कि जिस तरह हम पतंग को उड़ाने के लिये ढील देते हैं फिर छोड़ते हैं तब वह ऊपर उड़ता है उसी प्रकार हमारी आत्मा के संस्कार भी होते हैं हम उनसे मुक्त होने के लिये थोड़ी ढील देकर फिर खींचने की जरूरत होती है फिर ढील फिर खिंचाई तब वह संस्कार हमसे अलग होते हैं । इसी के यादगार स्वरूप पतंग उड़ाने की प्रथा इस अवसर पर प्रशिद्ध है । अग्नि प्रतीक है आत्मा से परमात्मा के योगाग्नि की जिस योग की अग्नि में हमारे आत्मा के पंच विकार दग्ध होते हैं । मकर सक्रांति में दान करने की भी प्रथा चली आ रही है तो वास्तव में दान हमें ज्ञान का करना चाहिए क्योंकि ज्ञान दान ही सबसे बड़ा दान है ज्ञान खुद ग्रहण कर धारण कर उसे दूसरों को बांटना चाहिए ज्ञान बांटने से बढ़ता है । इस दुनियां की सारी चीजें बांटने से घटती है पर एक ज्ञान ही है जो बांटने से घटती है । जिस तरह मकर सक्रांति में मीठा खाने व खिलाने की प्रथा चली आ रही है जिसके पीछे रहस्य यह है कि हमें अपने व्यवहार में मीठे बोल बोलने चाहिए
आगे आई.पी.एस. के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने बतलाया कि आज लोहड़ी के अवसर पर विद्यालय में शिक्षक शिक्षिकाएं बड़े ही उमंग उत्साह के साथ लोहड़ी सेलिब्रेट किये जिसमे पंजाबी सांग में सबने मिलकर नृत्य किया, अग्नि के चारो ओर घूमकर सबने अपने नेगेटिव हैबिट्स के त्याग व उसके बदले एक पॉजिटिव हैबिट ग्रहण करने का संकल्प लिया । सभी बड़े उमंग उत्साह में थे व खुश नजर आ रहे थे पंजाबी भांगड़ा डांस करके सबके चेहरे उमंग से खिले खिले नजर आ रहे थे । कोविद 19 त्रासदी के दौरान लॉक डाउन की वजह से सभी के जीवन मे अलग अलग समस्याएं घेरे रही जिससे उबरने में सबको जरूर थोड़ी मसक्कत करनी पड़ी ऐसे में नव वर्ष में यह लोहड़ी के मौके पर थिरक कर सबके टेंशन गुल हो गए सबने आपस मे एक दूसरे को लोहड़ी की लख लख बधाइयां दी । अग्नि के चारों ओर घूमकर रेवड़ी, मूंगफली, मक्के का दाना, खिल इत्यादि अग्नि में आहुति दी, सभी स्टाफ ने साथ मिलकर खाना खाया अपने अपने जीवन के उतार चढ़ाव को आपस मे एक दूसरे से सांझा कर हल्के हुवे, ऐसा कहा भी जाता है कि जब हम अपनी प्रॉब्लम किसी से शेयर करते हैं तो प्रॉब्लम आधी हो जाती है और हम हल्के हो जाते हैं । लॉक डाउन के दौरान भी लोगों को कैसी कैसी समस्यायों का सामना करना पड़ा यह भी सभी ने आपस मे सांझा किया । सबने प्रोग्राम की जमकर तारीफ की आईपीएस के प्राचार्य ने उपस्थित सभी टीचर्स व विद्यालय से जुड़े सभी बच्चों व उनके परिवारों को व समस्त देशवासियों को संबोधित करते हुवे सबको लोहड़ी की बधाई देते हुवे कहा कि लोहड़ी का प्रकाश आपकी जिंदगी को प्रकाशमय कर दे, जैसे जैसे लोहड़ी की आग तेज हो वैसे वैसे ही आपके दुखों का अंत हो