- ओजोन दिवस – मां प्रकृति निस्वार्थ रूप से प्रत्येक प्राणियों के जीवन जीने अनुकूल वातावरण प्रदान करने हेतु, पंच तत्वों के माध्यम से निःशुल्क सेवा करती है | हमारा भी कर्तव्य बनता है, मां प्रकृति का खयाल रखने हेतु पॉजिटिव कदम बढ़ाते रहें – डॉ संजय गुप्ता आईपीएस दीपका
आईपीएस दीपका के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बतलाया कि ओजोन दिवस के मद्देनजर सोशल अवेयरनेस फैलाने के मकसद से आईपीएस दीपका द्वारा ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया था जिसमे बच्चों को महत्वपूर्ण जानकारियों से रूबरू करवाते हुवे परिचर्चा की गई इस दौरान बच्चों ने जाना कि कुदरत ने मां प्रकृति को निमित्त बनाकर मानव जीवन को व्यवस्थित व सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रत्येक का पोषण हेतु व जीवन जीने योग्य अनुकूल वातावरण बनाये रखने के लिये पंच तत्वों (जल अग्नि पृथ्वी वायु आकाश) के माध्यम से निःशुल्क व निस्वार्थ भावना से मानव के साथ साथ अन्य प्राणियों व वनपतियों की सेवा करती है व बदले में हम प्राणियों से किसी भी तरह की वसूली नहीं करते कुदरत द्वारा प्रदत्त सर्व संसाधन निःशुल्क होते हैं, साथ ही अन्य जीवों के तुलना में मनुस्यों को विवेक अर्थात बुद्धि से नवाजा है जिससे कि हम सहीं गलत की पहचान कर सकें व सहीं रास्ते पर चल सके पर मनुस्य के लोभ- लालच महत्वाकांचाओं कामनाओं आवश्यकताओं के वशीभूत होकर मनुस्य निरंतर अपनी स्वार्थ पूर्ति हेतु प्रकृति का दोहन कर प्रकृति को नुकसान पहुंचाता ही रहा यहां तक कि उसे यह ज्ञात होने के बावजूद की धरा पर संसाधनो की भी एक सीमा है उसके बावजूद भी स्वार्थी भाव से अगली पीढ़ी का ख्याल किये बिना अगली पीढ़ी के लिये उपयोग हेतु कुछ छोड़ने की भावना मन मे नहीं रखे व हर तरह से प्रकृति को नुकसान पहुंचाते रहे चाहे वह कभी पेड़ काटकर कभी गाड़ियों द्वारा तेलों का दोहन कर कभी कोयले का दोहन कर कभी कुछ तो कभी कुछ हर तरफ से जल, भूमि, वायु प्रदूषण करते रहे उसमे से एक है कॉर्बन मोनो ऑक्साइड के द्वारा होने वाली नुकसान के फलस्वरूप ओजोन लेयर में छिद्र होना दरलसल सूर्य के रौशनी से पेड़ पौधों के साथ साथ प्राणियों को भी विभिन्न तरह के फायदे होते हैं पर जिस तरह चाय को छानकर पिया जाता है | जिसके लिये चायछन्नि की आवस्यकता होती है |अगर चाय की छन्नी में एक बड़ा सा छिद्र हो जाये तो चाय में चाय की पत्तियां भी आ जाएंगी बिल्कुल उसी प्रकार सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा में उसकी पराबैंगनी किरणे भी होती है जिससे कि जब वह डायरेक्ट धरती और पहुंचती है तो प्राणियों तथा वनस्पतियों पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगती है जिसके लिए मां प्रकृति ने एक व्यवस्था की है जिसमें भूमि से 10-50 किलोमीटर की दूरी पर ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनी ओजोन लेयर होती है, जो सूर्य से आने वाली किरणों में से पराबैगनी किरणों को सोख लेती है व इस तरह से uv rays को धरती पर पहुंचने से रोकती है व वातावरण को जीवन अनुकूल बनाये रखने में मदद करती है यह सब मां प्रकृति निस्वार्थ व निःशुल्क भाव से करती है पर जिसके लिये प्रकृति यह सबकुछ इतना त्याग कर जिन्हें खुशहाल जीवन प्रदान करती है वही मानव जिनकी बुद्धि जीवों में सबसे विकसित है वह अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिये उस मां प्रकृति को नुकसान पहुंचाने में एक मर्तबा भी कतराता नहीं और अपनी विभिन्न तरह की जरूरतों को पूरा करने के लिये कभी कोयला जलाकर, कभी गाड़ियों-मोटरों या उद्योगों से निकलने वाले धुवें जिनमे कॉर्बन मोनो ऑक्साइड होता है | जो ओजोन लेयर पर दुष्प्रभाव डालता है | मनुस्य नें पिछले कई दशकों से प्रकृति का आवस्यकता से अधिक दोहन किया व नतीजतन ओजोन लेयर में छेद हो जाने से सूर्य से निकलने वाली नुकसानकारक पराबैगनी किरणे अब ओजोन लेयर क्रॉस करके धरती पर आने लगी हैं जिससे कि मानव जीवन व साथ साथ वायुमण्डल व प्रकृति के पंच तत्वों व वनस्पतियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं, पराबैंगनी किरणों में ज्यादा देर तक रहने से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली पर हानिकारक असर होता है। पराबैंगनी किरणों में लंबे समय तक रहने से आपकी आंखों के ऊतकों में क्षति पहुंचती है। त्वचा में उम्र बढ़ने के लक्षण इसके अलावे ओजोन लेयर में छेद होने से तापमान में वृद्धि, ऋतुचक्र में अनियमितता इत्यादि दुस्प्रभाव देखने को मिले इसलिय मनुस्य को चाहिए कि वह प्रकृति के संसाधनों का उपयोग सीमित मात्रा में करे व्यर्थ ना गंवाए यह सच है कि प्रकृति हमारी सेवा निस्वार्थ करती है पर बदले में हमे उन हर चीजों की कद्र करनी चाहिए क्योंकि प्रकृति मां की तरह अपने हर बच्चे के प्राण की रक्षा करने के लिये व जीवन जीने हेतु अनुकूल वातावरण तैयार करने के लिये क्या कुछ नहीं करती पर मनुस्य उस वातावरण को प्रदूषित कर अपने लिए ही गढ्ढा खोदता चला जाता है
वैसे कोविद 19 त्रासदी के दौरान जबकि देश ही नहीं बल्कि विश्व की अधिकांस आबादी अपने अपने घरों में लॉक डाउन है ऐसी परिस्थिति में मां प्रकृति अपने घावों को स्वयं ही ऑटोमेटिव हील कर रही है, जिसमे हर्ष की बात यह कि कई वर्षों में बने ओजोन लेयर की छिद्र इस लॉक डाउन के दौरान भरता नजर आ रहा हैं चूंकि लॉक डाउन के दौरान मोटर कार बाइक ट्रैन आदि गाड़ियां बन्द है जिससे पहले से धुवें से प्रदूषण हुवा करता था वह नगण्य हो गया है यहां तक कि कई कारखाने भी अभी बन्द हैं जिनकी चिमनियों से कभी चौबीसों घण्टे धुवें निकला करते थे, देश विदेश सब जगह सेनेटीजिंग की जा रही है जैसे धरती को नव युग के लिये पवित्र किया जा रहा हो, वैसे सूर्य से निकलने वाली प्रातः काल की किरणें अर्थात सूर्योदय के समय ली गई सूर्य की किरणें शरीर के लिये लाभप्रद होती हैं, हमें रोजाना सूर्योदय के समय आधा घण्टा सूर्य की लाइट अपने शरीर पर लेनी चाहिए वह फायदेमंद है ऐसा ना हो कि दोपहर की किरणें लेने लगें व नुकसान हो जाये केवल सूर्योदय के समय की इसलिए पहले के जमाने मे लोग सुर्य नमस्कार नात्मक एक्सरसाइज किया करते थे बहरहाल आज के आईपीएस दीपका द्वारा आयोजित वेबिनार के माध्यम से सामाजिक जागरूकता फैलाई गई कि हमें गाड़ियों का सीमित उपयोग करना चाहिए साईकल को बढ़ावा देना चाहिए, पर्सोनल कार की जगह यथा सम्भव अगर एक ही जगह कार्य करने जाना हो तो एक ही वाहन से कई लोग सीट सांझा कर सकते हैं, आसपास के प्रत्येक कार्य हेतु बाइक या कार की जगह साईकल का उपयोग करना, आसपास कोई कोयले जलाकर या लकडी जलाकर खाना पकाता हो तो उन्हें गैस इस्तेमाल किये जाने के लिये प्रेरित कर सकते हैं इस तरह से अगर हमारे मननमे प्रकृति के प्रति आदर व सम्मान की भावना हो तो निश्चित ही अवश्यक्तानुसार जरूरत के विकल्प अपने अपने हमारे जहन में आजायेंगे अगर भावना नेक हो कार्य करने के पीछे का इंटेंशन नेक हो तो कायनात भी उसे सहारा देती है उसका सपोर्ट करती है
आगे डॉक्टर संजय गुप्ता प्राचार्य आईपीएस दीपका ने कहा कि आईपीएस दीपिका प्रत्येक वर्ष ओजोन दिवस के अवसर पर सामाजिक जागरूकता बिखेरने हेतु इस तरह के आयोजन करता चला आया है इस वर्ष लॉकडाउन के दौरान बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस संचालित की जा रही है जिसमें आज के ऑनलाइन क्लासेस में बच्चों को ओजोन लेयर के संरक्षण हेतु जागरूक किया गया तथा सोशल अवेयरनेस फैलाने हेतु प्रेरित किया गया प्रत्येक के सकारात्मक योगदान के फल स्वरुप ही हम असंतुलित हो चुकी प्रकृति को संतुलित करने में कामयाब होंगे