भारत के प्रमुख एल्यूमिनियम उत्पादक भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने साढ़े पांच दशकों की अपनी विकास यात्रा में उत्पादन, उत्पादकता, अनुसंधान एवं विकास, गुणवत्ता आदि क्षेत्रों में नए प्रतिमान तो गढ़े ही है, अपने से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से जुड़े लोगों के जीवन को सामुदायिक उत्तरदायित्व कार्यक्रमों के जरिए सकारात्मक रूप से बदल पाने की कोशिशों में भी सफलता पाई है। बालको की औद्योगिक यात्रा इतनी समृद्ध और गौरवमयी है कि उसका हर एक पल देश और छत्तीसगढ़ प्रदेश के औद्योगिक इतिहास की विरासत बन चुका है।

कोविड-19 की चुनौतियों के बीच बालको ने सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करते हुए देश के विकास में अपना योगदान सुनिश्चित किया है। हालांकि कोविड के कारण उत्पन्न विश्वव्यापी मंदी का असर बालको पर भी हुआ परंतु बालको अधिकारियों, कर्मचारियों और ठेका कामगारों ने कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हुए चुनौतीपूर्ण दौर में बालको का प्रचालन सतत बनाए रखा। हालांकि धातु एवं खनन क्षेत्र में अब देशव्यापी सुधार के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। भारतीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में देश की खनन जीडीपी 739.9. बिलियन रुपए थी जो वर्ष 2021 की प्रथम तिमाही में बढ़कर 913.03 बिलियन रुपए हो गई।

जहां तक एल्यूमिनियम उत्पादन की बात है तो भारत लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष उत्पादन के साथ दुनिया में दूसरे स्थान पर है। वेदांता समूह देश में लगभग 55 फीसदी एल्यूमिनियम का उत्पादन करता है। इसमें बालको का योगदान लगभग 15 फीसदी है। देश के उत्तरोत्तर विकास में भविष्य की धातु एल्यूमिनियम का रणनीतिक महत्व है। वजन के मुकाबले अधिक मजबूती, सहनशीलता एवं लचीलेपन, ताप और विद्युत के सुचालक, बार-बार 100 फीसदी रिसाइकल हो जाने जैसे गुणों के कारण इस धातु की मांग वैमानिकी, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रिकल वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन, विद्युत पारेषण, विनिर्माण आदि क्षेत्रों में निरंतर बढ़ रही है।

बाजार की मांग के अनुरूप वेदांता समूह और बालको ने विश्वस्तरीय अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा दिया है। इसी का परिणाम है कि प्राइमरी फाउंड्री एलॉय और और सिलेंडर हेड एलॉय जैसे उत्पादों का विकास किया गया जिनका प्रयोग ऑटोमोबाइल इंडस्ट्रीज में किया जाता है। स्टील इंडस्ट्रीज के लिए देश में पहली बार एएलएसआई3 उत्पाद का विकास किया गया। वेदांता समूह द्वारा इन उत्पादों के विकास से पहले देश में इनका आयात किया जाता था। वेदांता समूह ने हाल ही में एडवांस्ड मेटलर्जिकल गुणों वाले हाइ स्पीड बिलेट का विकास किया है। इससे एक्सटूªडर्स की उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी। वायर रॉड के मामले में बालको दुनिया का अग्रणी उत्पादक है। प्राइमरी एल्यूमिनियम उत्पादों के तौर पर बालको उत्पादित इनगॉट्स की बाजार में खूब मांग है। एल्यूमिनियम के विभिन्न उपकरण और सामग्रियों के निर्माता उद्योगों को इनगॉट्स की आपूर्ति की जाती है। बालको में स्थापित अत्याधुनिक मशीनें विश्वस्तरीय गुणवत्ता की रोल्ड प्रोडक्ट तैयार करती हैं जिससे देश की विभिन्न विद्युत परियोजनाओं, ऑटोमोबाइल एवं पैकेजिंग उद्योग लाभान्वित होते हैं। इंसुलेशन, बस बार और इलेक्ट्रिकल उपकरणों के निर्माण क्षेत्र में बालको के एल्यूमिनियम का बड़े पैमाने पर प्रयोग हो रहा है।

विश्वस्तर पर एल्यूमिनियम की सर्वाधिक खपत भारत और चीन में होती है। कोविड से पूर्व तक खपत दर में बढ़ोत्तरी लगभग 10 फीसदी के आसपास थी। लगभग एक दशक में ही भारत में एल्यूमिनियम की खपत 2.2 मिलियन टन से बढ़कर 4 मिलियन टन तक पहुंच गई है। विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती मांग को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि वर्ष 2025 तक देश में एल्यूमिनियम की मांग आज के मुकाबले दोगुनी हो जाएगी। छत्तीसगढ़ राज्य के लिहाज से देखें तो इसमें कोई दो राय नहीं कि राज्य पहले ही एडवांटेज की स्थिति में है। यदि प्रदेश में ही एल्यूमिनियम उद्योग की बढ़ती संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए डाउनस्ट्रीम इंडस्ट्रीज को तेजी से प्रोत्साहन देने की कार्ययोजना बनाई जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि एल्यूमिनियम क्षेत्र में ही बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर बनेंगे। राज्य से बड़े पैमाने पर प्रसंस्करित एल्यूमिनियम उत्पाद देश के दूसरे राज्यों के अलावा दुनिया भर में पहुंचेगे जिससे छत्तीसगढ़ को मिलने वाले राजस्व में कई गुना बढ़ोत्तरी होगी।