कोरबा 13 मई 2021/ जिले की दीपका और गेवरा की कोयला खदानों में कोविड नियमो और प्रोटोकाल के पालन की जांच के लिए प्रशासन की टीम ने औचक निरीक्षण किया। इस दौरान कोविड नियमों के उल्लंघन पर एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के अस्थाई कार्यालय सह परिसर को सील कर दिया गया। जबकि पांच अन्य को नोटिस जारी कर दो दिन में व्यवस्थाएं सुधारने के निर्देश दिए गये।
कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने जिले की सभी कोयला खदानों में काम कर रहे ठेका मजदूरों और ट्रांसपोर्ट कंपनियों के कर्मचारियों से कोरोना संक्रमण के फैलने की आशंका को देखते हुए ऐसे सभी दफ्तरों और अस्थाई रिहायशी कैंपों की जांच करने के निर्देश स्थानीय प्रशासन को दिए हैं। कटघोरा की एसडीएम श्रीमती सूर्यकिरण तिवारीे राजस्व अधिकारियों, श्रम पदाधिकारी, खनिज अधिकारी और पुलिस अधिकारियों की टीम गठित कर एसईसीएल की दीपका और गेवरा खदान में निरीक्षण के निर्देश दिए हैं। प्रशासन की टीम ने दीपका और गेवरा खदान में ठेका कम्पनियों के अस्थाई कैम्पों का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान मध्यप्रदेश, उड़ीसा, हिमांचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे दूसरे राज्यों से मजदूर-कर्मियों को लाकर बिना सूचना, बिना कोविड टेस्ट और कोविड प्रोटोकाल का बिना पालन किए काम कराने के कारण गेवरा खदान में काम कर रही चार ट्रांसपोर्ट कम्पनियों जेडईपीएचवायआर-व्हीईपीएल-केसीएल कंपनी, फस्र्ट मूव्ह कोल ट्रांसपोर्ट कंपनी, अनुराग कोल ट्रांसपोर्ट कंपनी और कुचैना कोल ट्रांसपोर्ट कंपनी को नोटिस जारी किया गया। इसके साथ ही दो दिनों में इन सभी अस्थाई कैम्प कार्यालयों- कार्यस्थलों में कोविड प्रोटोकाॅल के हिसाब सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गये। यह भी चेतावनी दी गई कि दो दिनों में व्यवस्थाएं सुनिश्चित नहीं होने पर सभी अस्थाई कैम्पों को सील कर दिया जायेगा।
जाँच दल में नायब तहसीलदार श्री शशिभूषण सोनी, श्री प्रांजल मिश्रा,श्रम अधिकारी श्री राजेश आदिले, खनिज अधिकारी श्री उत्तम खूँटे और पुलिस अधिकारी भी शामिल रहें। जांच दल ने एसईसीएल दीपका क्षेत्र में भी दो ट्रांसपोर्ट कंपनियों के अस्थाई कार्यालयों पर छापामार कार्रवाई की। कोविड प्रोटोकाॅल का उल्लंघन, बिना जांच एवं जानकारी के अन्य राज्यों से श्रमिकों को लाकर काम कराने से लेकर कैम्पों में श्रमिकों के रूकने की समुचित व्यवस्था नहीं होने पर प्रशासन के द्वारा एडब्ल्यूएक्स केकौन एण्ड एमकेजी ट्रांसपोर्ट कंपनी के कैम्प को सील कर दिया गया। वहीं सैनिक माईनिंग सिरकी कैम्प कोल ट्रांसपोर्ट कंपनी को नोटिस जारी कर कोविड प्रोटोकाॅल के हिसाब से दो दिनों में व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गये।
गौरतलब है कि कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने तीन दिन पहले ही कुसमुंडा और गेवरा की कोयला खदानो में निरीक्षण किया था। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के खदानो से आस पास के गाँवों और रिहायशी इलाकों में कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने के निर्देशो के चलते खदान प्रबंधन के अधिकारियों को प्रवेश द्वारों पर कोविड टेस्ट और अस्थाई कैम्पों में बाहर से आकर काम कर रहे कर्मियों के लिए कोविड प्रोटोकाल के हिसाब से सभी व्यवस्थाएँ करने के कड़े निर्देश दिए थे।
दीपका और गेवरा की खदानों में कोल ट्रांसपोर्ट के काम में लगी इन कम्पनियों ने मध्यप्रदेश, उड़ीसा, हिमांचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, आँध्रप्रदेश सहित छतीसगढ़ के अलग अलग स्थानो से मजदूरों और कर्मचारियों को लाकर काम पर लगाया है, परंतु उन्हें कोरोना संक्रमण से बचाने के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए। इन कर्मियों से कोविड संक्रमण दूसरे कामगारों में भी फैलने का पूरा अंदेशा है। इस कोरोना काल में भी ट्रांसपोर्ट कम्पनियों ने बाहर से लाए गए कामगारों का कोई रिकार्ड या जानकारी प्रशासन को नहीं दी है, ना ही उनकी कोविड जाँच कराई गई है। छोटे छोटे कमरों में बने अस्थाई कैम्प में बड़ी संख्या में कामगारों को रुकाया गया है । इन अस्थाई कैम्पों में कामगारों के बीच सोशल डिसटेंसिंग, सेनेटाईजेसन की भी कोई व्यवस्था नहीं पाई गई। किसी कामगार को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए प्रोफाइलऐक्सिस दवाओं का भी इन कैंपांे में कोई इंतजाम नहीं मिला। किसी कामगार के कोविड संक्रमित हो जाने पर उसे दूसरे कर्मियों से अलग आईसोलेट कर ईलाज की व्यवस्था, पल्सआक्सीमीटर और थर्मामीटर भी इन कैम्पों में नहीं मिलें। जाँच के दौरान कम्पनियों के प्रतिनिधि बाहर से लोगों को लाकर काम कराने सम्बन्धी अनुमति सह लेबर लाईसेंस भी प्रस्तुत नहीं कर पाए।