• नेशनल एजुकेशन डे – शिक्षा करेगी अज्ञानता के अंधेरे को नष्ट, शिक्षा ही वह मार्ग है जिसे अपनाने से दूर होंगे सारे कष्ट। डॉ संजय गुप्ता आई.पी.एस. दीपका
  • नेशनल एजुकेशन डे – कौशल का विकास देश का विकास डॉ संजय गुप्ता आईपीएस दीपका

नेशनल एजुकेशन डे के अवसर पर आई.पी.एस. दीपका के प्राचार्य डॉ संजय गुप्ता से हुई मुलाकात में परिचर्चा के दौरान उन्होंने शिक्षा के संदर्भ में सर्व समाज को संबोधित करते हुवे बतलाया की शिक्षा प्रत्येक के लिए उतनी ही आवस्यक है जितनी शरीर के लिए भोजन, मानव को अपने जीवन में सभी प्रकार से उन्नत रहने के लिए बहुत परिश्रम करना पड़ता हैं अर्थात आर्थिक उपार्जन के लिए श्रम, विद्या ग्रहण करने में श्रम और शरीर को निरोगी रखने में श्रम यानी जीवन के हर पहलुओं में श्रम करना पड़ता है और श्रम करने के पीछे सिर्फ एक ही मूल कारण होता है वह है स्वयं में परिवर्तन। चाहे कुछ भी हो लेकिन ध्येय परिवर्तन ही होता है। कुछ इसी प्रकार शाश्त्रों में कहा गया है जो मानव अपनी कुशलताओं में वृद्धि करता जाता है वह हर प्रकार से सुखी होता जाता है और जो मानव आलस और दरिद्रता के कारण कुशलता का विकास नहीं करता, वह अंततः कष्ट सहता है और तिरस्कृत होता रहा है। भारत युवाओं का देश है आज युवा पढ़लिखकर बेरोजगारी के आलम झेल रहा है । वजह यह कि शिक्षा के साथ कौशल विकास भी आवस्यक है । जिसके अंदर जो कौशलताएँ हैं । वह उनके बदौलत परिश्रम कर अपनी आजीविका चला सकता है । अगर हम सोचे कि केवल शिक्षा से ही जीवन सफल बनायें तो यह अधूरा रहेगा ऑफकोर्स शिक्षा जरूरी है पर शिक्षा के साथ साथ हमें अपने कौशल विकास पर भी ध्यान देना चाहिए, जिस कार्य को हम बारम्बार करते हैं दोहराते हैं हम उस कार्य मे कुशल होते जाते हैं । अर्थात हम जितनी उस कार्य को प्रैक्टिकल में प्रैक्टिस में लाते हैं । उसमें कार्यकुशल होते जाते हैं । हमारे अंदर उक्त कार्य को करने की दक्षता आती जाती है । आपने गौर फरमाया होगा कि 12 वीं तक तो बेसिक शिक्षा होती है उसके पश्चात की शिक्षा व्यवसाय उन्मुखी रोजगारोन्मुखी होती जिसे करके सभ्य व्यक्ति रोजगार पा सके व्यवसाय कर सके सभी भारतीय सरकारी नौकरी ही करें यह सम्भव नहीं कुछ परसेंट को ही पास होने के उपरांत सरकारी नौकरी मिलती है या अवसर सीमित है । बांकी पूरा व्यावसायिक क्षेत्र माना पूरा मार्किट पड़ा है ।रोजगार करने को जिसमें हम अपने कुशलताओं के अनुसार अपनी अलग पहचान बना सकते हैं । बस हमे अपने माइंडसेट को रिसेट करने की जरूरत होती है । बचपन से ही हम सीखते हैं । कि कोई कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता । हर व्यक्ति हर कार्य कर सकता है बशर्ते सम्बन्धित स्किल हुनर अपने अंदर विकसित करना होगा । आज की युवा पीढ़ी को हर चीज जल्दी में ही बिना किसी मेहनत के सरलता से चाहिए होती है । लोगों को शॉर्टकट अपनाने की आदत सी पड़ गई है । पर जीवन की गाड़ी में शॉर्टकट की कोई जगह नहीं जो शॉर्टकट अपनाता है यह समय का चक्र एक दिन उन्हें साइड कर देता है । जो मेहनत करता है उसे यह कुदरत सफलता से नवाजती है । हमें खुले मन से सीखने की आदत डालनी चाहिए अक्सर नई चीज सीखने के लिये हम अपना दिमाग ब्लॉक कर लिए होते हैं । यह सोचकर कि मैं सबकुछ जानता हूँ मुझे सबकुछ आता है । यह हमारे सीखने में बाधा उत्पन्न करता है । सम्पूर्ण जिंदगी इंसान कुछ ना कुछ सीखता ही रहता है । हम जिस किसी भी कार्य को अधिक कर उसमे दक्ष होते हैं वह हमारा स्किल है । हमें हमारे स्किल के बदौलत ही अपनी अलग पहचान मिलती है । आखिरकार कोई किसीको किसी गुण के वजह से ही पहचानता है । किसी मे बोलने की स्किल होते है म किसी मे लिखने की स्किल । किसी मे इलेक्ट्रिक चीजों से सम्बंधित स्किल होते हैं । किसीमें सोशल वर्क करने की स्किल होती है । किसी मे लीडरशिप की स्किल होती है किसीमें सिलाई की तो किसीमें बाइक या फोर विलेर बनाने की किसी मे म्यूजिक व संगीत की स्किल होती है । तो किसीमें ड्राइविंग की किसी मे डिजिटल मीडिया समय के साथ मार्किट में अन्य नए व्यवसाय के रास्ते बने हैं हमें चाहिए कि बेहिचक उन स्किल्स को अपने अंदर डेवेलोप करें । जितना स्किल्स हम अपने अंदर डेवेलोप करेंगे हम उतने आत्मनिर्भर बनते जाएंगे । हमें एक ही कामक बदौलत ताउम्र जीने की आदत नहीं डालनी चाहिए बल्कि हमें अपने अंदर विभिन्न तरह के कौशलताओं का विकास करना चाहिए । हमे स्किल डेवेलोप करने में शर्मिंदगी महसूस नहीं होनी चाहिए हुनर जहां से भी मिले उसे लेना चाहिए इसमे हमारा ही भला छिपा होता है । आज लोग उच्च स्तरीय पढ़ाई कर बेरोजगार बैठे हुवे हैं । सबको आस है सरकारी नौकरी की पर सब एक ही काम करें तो यह संसार कैसे चलेगा । आज खेती कोई करना नहीं चाहता तो जब अन्न, फसल नहीं होंगे तो लोग खाएंगे क्या यह बात लोगों को सोचनी चाहिए जरूरत है हमें अपने माइंडसेट को परिवर्तन करने की जो विलासितापूर्ण जीवन शैली का हो सकता है आदि बन चुका हो या जिसके विचार नकारात्मक दिशा में खुशी तलास रहे हों उन्हें हमें पॉजिटिव डायरेक्शन देने की जरूरत है । आक कोविद 19 पेंडेमिक ने एक सिख दी है लोगों को की एक हुनर के बदौलत जीवन नहीं चलेगा लोगों को अपने अंदर कई तरह के स्किल्स को डेवेलोप करना पड़ेगा जिससे कि वह एक स्किल पर ही निर्भर ना रहें जीवन में परिस्थितियां सदा एक सी नहीं होती । ऊपर नीचे उतार चढ़ाव तो सबके जीवन मे आता ही रहता है । पर जीवन की गाड़ी रुकनी नहीं चाहिए बल्कि चलती रहनी चाहिए चलती का नाम जिंदगी । आज वह लोग जो एक पार्टिकुलर जॉब किया करते थे वह पेंडेमिक के दौरान माथा मार रहे हैं अर्थात परेशान है हैरान हैं उन्हें नया कुछ सूझ ही नहीं रहा क्योंकि वह एक जॉब के बदौलत ही निर्भर थे जॉब गई बेरोजगार हुवे पर दूसरे हुनर ना होने की वजह से दूसरे कार्यों में अपने को शिफ्ट नहीं कर सके।

आगे डॉक्टर संजय गुप्ता जी ने किशोरों व युवाओं को संबोधित करते हुवे कहा कि यह भारत देश युवाओं का देश है। जहां युवाओं की जनसंख्या अन्य देश के युवाओं की जनसंख्या के मुकाबले अधिक है तो हमें अपनी ऊर्जा सकारात्मक दिशा में लगाने की जरूरत है । जिससे ही राष्ट्र निर्माण होगा युवा देश की रीण की हड्डी है । जिनके कंधों पर देश का भविष्य टिका हुआ है हमें अगर देश को विश्व गुरु के शिखर पर देखना है तो प्रत्येक युवाओं को अपने अंदर स्किल्स को डेवेलोप करना पड़ेगा । जिस स्किल की बदौलत जब प्रत्येक युवा आत्मनिर्भर बनेगा तब तो भारत कौशलताओं का केंद्र बिंदु बनेगा व विश्व का धन भारत मे लगेगा तब भारत विश्वगुरु बनेगा । इसलिय आज कोविद 19 के माध्यम से कुदरत भी हमें विश्व गुरु बनने के लिए प्रेरित कर रही है इस समय को गंवाना नहीं है बल्कि इस समय मे नए स्किल्स को अपने अंदर डेवेलोप करना है । वैसे भी जो नई शिक्षा प्रणाली है । उसमें कक्षा छटवी से ही बालक स्किल डेवेलोप करने हेतु संस्थानों में इंटर्नशिप कर सकता है । जो कि बच्चों को बचपन से ही आत्मनिर्भर बनाएगी अगर किसी कारण वश कोई बालक पढ़ाई पूरी नहीं कर पाता तब ऐसी स्थिति में भी उनके हांथों में स्किल होंगे जिसके बदौलत वह अपनी आजीविका चला सकता है । इस तरह से आज शिक्षा के साथ साथ हमें अपने कौशल विकास पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।