बालोद:- बालोद जिले के डौंडीलोहारा ब्लॉक में स्थित पाटेश्वर धाम के प्रमुख मंदिर पहाड़ी पर स्थित पाट पर बली दिए जाने से बवाल मच गया है। तूएगोंदी के स्थानीय ग्रामीणों द्वारा यहां पर देवी देवता रुष्ट होने की बात कहकर बकरा, बकरी, मुर्गा, मुर्गी की बलि देने की बात सामने आई है। संत राम बालक दास का कहना है कि यहां बलि पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके बाद भी कुछ लोग द्वारा धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए ऐसा कर रहे हैं और जब हमने मामले की जानकारी शासन प्रशासन व अधिकारियों को दी तो किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
नतीजा मारपीट व बलवा की नौबत आ गई। पुलिस इस संवेदनशील मामले की दोनों पक्षों से जांच में जुटी हुई है। आक्रोशित ग्रामीण लोहारा थाने भी पहुंचे थे। बात करें पुलिस की कार्रवाई की तो फिलहाल स्थानीय ग्रामीणों की शिकायत पर बाहर से आकर मारपीट करने वाले लोगों के खिलाफ मारपीट और बलवा की धारा के तहत कार्रवाई करते एफ आई आर दर्ज किया गया है।
मामले में एसपी जीआर ठाकुर का कहना है कि ग्रामीण अपने देवस्थल में आस्थावश बलि तो देते ही हैं। छत्तीसगढ़ में अंगारमोती, चंद्रहासिनी सहित कई मंदिर इसके उदाहरण है। ऐसे में पाटेश्वर धाम में पूजा पाठ करने पहुंचे लोगों पर बाहर से आकर लोगों ने जो मारपीट की और जो बवाल मचा है, इस पर शिकायत आने पर कार्रवाई की जा रही है। मारपीट, पथराव करने वालों के खिलाफ बलवा का केस दर्ज किया गया।
श्री जामड़ी पाटेश्वर धाम के पवित्र प्रांगण को अपवित्र करने का कुत्सित प्रयास : रामबालक दास
रामबालक दास ने कहा कि पाटेश्वर धाम में अभी गुरुदेव श्री राज योगी बाबा जी को साकेत गमन किए 1 महीने भी नहीं हुए हैं और आसपास गांव के कुछ तथाकथित आदिवासी नेता पाटेश्वर धाम पहुंच गए है। जहां 46 साल से बलि प्रथा बंद है वहां बकरा मुर्गा लेकर पहुंच चुके हैं। बलि देने हेतु प्रशासन को हमने सूचना कर दी थी। कुछ लोग इस पवित्र स्थान को अपवित्र करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं उन पर नियमानुसार कार्यवाही होनी चाहिए।
जिला प्रशासन के द्वारा उचित सहयोग नहीं मिलने के कारण हुई घटना
पाटेश्वर धाम के नवनिर्वाचित महंत रामबालकदास ने जानकारी दी कि रविवार को दोपहर 12:00 बजे तथाकथित कुछ आदिवासी नेता ग्राम तुएगोंदी वालों के साथ बकरा मुर्गा लेकर पाटेश्वर धाम पहुंचे। ऊपर पहाड़ी में स्थित जामड़ी पाटेश्वर मंदिर में बलि देने जा रहे हैं ऐसा बताया। जबकि 1975 से ब्रह्मलीन परम पूज्य राज योगी बाबा जी ने पाटेश्वर धाम में बलि प्रथा पर रोक लगाई थी। दोपहर 12:00 बजे राम बालक दास ने स्वयं फोन करके एसडीएम एवं थानेदार डौंडीलोहारा को सूचना दी तथा कांकेर सांसद मोहन मंडावी को दूरभाष में सूचना दी और डौंडीलोहारा विधायक प्रतिनिधि अनिल जैन को भी फोन करके सूचना दी। इसके पश्चात भी 12:00 बजे से लेकर 2:00 बजे दोपहर तक पाटेश्वर धाम में कोई भी पुलिस का अधिकारी नहीं पहुंचा।
इसी बीच पाटेश्वर धाम के ऊपर पहाड़ी पर जीवो की हत्या कर दी गई और वह सभी असामाजिक तत्व अपने घर के लिए रवाना हो गए। सूचना सोशल मीडिया पर फैलने से पूरे क्षेत्र में रोष व्याप्त हुआ। धार्मिक संगठनों जैसे कि जैन समाज , गायत्री परिवार, साधक परिवार, पाटेश्वर संस्कार वाहिनी, अन्य सैकड़ों कार्यकर्ता पाटेश्वर धाम पहुंचे और तुएगोंदी जाकर उन सभी लोगो को रंगे हाथ पकड़ने का प्रयास किया गया। प्रशासनिक अमला को सूचना देने के पश्चात भी तत्काल कार्रवाई नहीं होने पर राम बालक दास ने दुख व्यक्त किया और कहा की,, क्या जिला प्रशासन किसी के दबाव में होने के कारण लोगो की आस्था का प्रतीक पाटेश्वर धाम को अनदेखा कर रहा है
सुरक्षा उपलब्ध कराने एसपी को सौंपा लिखित आवेदन
रामबालक दास ने कहा कि आज असुरक्षा को देखते हुए संत राम बालक दास ने पाटेश्वर धाम को सुरक्षा प्रदान करने की लिखित आवेदन एसपी बालोद को दिया और असामाजिक तत्व के खिलाफ एफ़ आइ आर डौंडीलोहारा थाना में लिखाई दर्ज करने मांग की .उन्होने लोगो से अपिल की कि सर्व समाज इस दिशा में ध्यान दें और अपने मठ मंदिर को सुरक्षा प्रदान करें।
तुएगोंदी के ग्रामीणों की नाराजगी आखिर किसलिए?
मामले की तह तक जाने और पुलिस प्रशासन द्वारा अब तक जांच में क्या बातें सामने आई यह जानने की कोशिश हमने भी की। कि आखिर इतना बवाल बली को लेकर क्यों मच गया है। दरअसल में बात यह है कि मुख्य पाटेश्वर धाम जो पहाड़ी में है वह तुएगोंदी के लोगों का देवस्थल है। जहां पर वे पूजा पाठ करते थे। राम जानकी दास के निधन के बाद ग्रामीण उनकी अपनी रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करना चाहते थे। पर बालक दास जी ने अपने तरीके से उनका अंतिम संस्कार करवाया। ग्रामीणों का कहना है कि कई मामलों में संत बालक दास ने ग्रामीणों से कोई राय नहीं ली।
स्वर्गीय राम जानकी दास प्रमुखतः तूएगोंदी के पूज्य थे। तो वही पाटेश्वर धाम तूएगोंदी के ग्रामीणों का प्रमुख देव स्थल है। ऐसे में यहां के लोगों का कहना है कि समाज के रीति रिवाज के हिसाब से स्वर्गीय राम जानकी दास का क्रिया कर्म नहीं हुआ।इससे उनके देवी देवता रुष्ट हो गए हैं।उन्हें शांत करने के लिए बलि देने के लिए गए थे। वहां से आने के बाद खाना खाने बैठे थे तभी कुछ अज्ञात लोगों द्वारा उन पर ईट पत्थर व अन्य हथियार से हमला कर दिया गया। ग्रामीणों ने भी बचाव में उनके साथ मारपीट की। हालांकि सच्चाई क्या है हम इसकी अधिकृत पुष्टि नहीं करते हैं।
इधर घटना के दिन संत बालक दास जी पाटेश्वर धाम में नहीं थे। वे बाहर गए हुए थे। उनके लोगों का कहना है कि महंत बालक दास के बाहर होने का फायदा उठाते हुए समाज के कुछ लोगों द्वारा प्रतिबंधित क्षेत्र में बलि देकर इस स्थल को बदनाम करने की साजिश रची गई थी। अब देखने वाली बात है कि मामला कहां किस मोड़ तक जाता है। मामला संवेदनशील होने के कारण स्वयं एसपी और कलेक्टर इसमें जांच कर रहे हैं। आईजी भी रविवार को पहुंचे थे।