संभल/उत्तरप्रदेश:- उत्तर प्रदेश के संभल जिले में बबराला में रहने वाली 15 साल की छात्रा आंचल गोस्वामी ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले उसके द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लिखा गया 19 पेज का सुसाइड नोट मिला है। आंचल गोस्वामी के परिजन उसकी आखिरी इच्छा पूरी करने की कवायद में जुटे हैं। आंचल द्वारा आत्महत्या से पहले लिखे गये 19 पन्ने के खत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाने के लिए परिजन दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके साथ ही स्थानीय भाजपा नेताओं का भी सहयोग लेने की बात भी कही है।

आंचल ने यह चिट्ठी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लिखी। आंचल ने देश में बढ़ रहे प्रदूषण और जनसंख्या वृद्धि जैसी विश्वव्यापी समस्याओं को उठाते हुए इनके समाधान के कुछ उपाय भी लिखे। प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करते हुए आंचल ने लिखा कि प्रधानमंत्री जी आप जैसा कोई नहीं। मेरे हृदय में आपके लिए अत्यधिक सम्मान है, काश मैं अपनी उम्र आपको दे पाती। आपमें संस्कार कूट-कूटकर निवास करते हैं। यह देश वर्षों से अंधेरे में था और आप पहले सूर्य बनकर उभरे हैं। भारत तो औषधि का देश है, पर अब प्रदूषित हवा हर जगह फैल रही है।

प्रधानमंत्री जी मैं आपसे पर्सनल मीटिंग करना चाहती थी, परंतु यह असंभव है क्योंकि आप खुद को ही समय नहीं दे पाते हो। निरंतर देश की सेवा में लगे रहते हो। श्री राम मंदिर का शिलान्यास होने को लेकर कहा, बरसों से अधूरे पड़े कार्यों को आपने पूर्ण किया, जय श्री राम।

आंचल ने लिखा कि प्रधानमंत्री आप जानते हैं कि चाइना भारत को खिलौने आदि प्लास्टिक का सामान भेजता है। वह खिलौने महीने तो दूर कुछ ही दिन चलते हैं और वह कूड़ा भारत की जमीन को और जहरीला बना देता है। लोग सड़कों पर कूड़ा फैलाते हैं तो उन पर कार्रवाई की जाए तथा उन्हें डस्टबिन उपलब्ध कराए जायें। छोटी नदियों के आधा किलोमीटर तथा बड़ी नदियों के एक किलोमीटर तक वृक्षों का रोपण करवाएं इससे बहुत अधिक फायदा होगा। आप वाटर हार्वेस्टिंग पर भी जोर दें। दीपावली पर पटाखे पर प्रतिबंध लगा दीजिए। सिर्फ फुलझड़ी का उपायोग करने की इजाजत हो। बिजली की लाइट झालर की जगह माटी के दिया और मोमबत्ती पर जोर दें। होली पर केमिकल वाले रंगों का उपयोग कम करवायें। जैसे हम अपने मस्तक पर टीका लगाते हैं सिर्फ उसी भाग पर रंग लगाया जाए।

मुझे यह दुनिया पसंद नहीं
मेरा नाम आंचल गोस्वामी है, मुझे यह दुनिया पसंद नहीं है, क्योंकि यहां पर लोग झगड़े करते हैं। मां-बाप को वृद्ध आश्रम भेज देते हैं उनके साथ गाली-गलौज मारपीट करते हैं। लोग पेड़-पौधे अपने हितों के लिए काटते हैं। वह जानवरों पर अत्याचार करते हैं। जो लोग मांसाहार का सेवन करते हैं ऐसे लोग मुझे बुरे लगते हैं। नफरत है ऐसे लोगों से जो अपने राष्ट्रगान पर खड़े होने से कतराते हैं। देश विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं। ऐसे लोगों को देश से निकाल देना जरूरी है।

अंत में आंचल ने लिखा..मेरा प्रधानमंत्री आपको नमन है। मैं आत्महत्या अपनी इच्छा से कर रही हूं। इसका कोई भी जिम्मेदार नहीं है, न कोई घर वाला न कोई बाहर वाला। मम्मी से माफी मांगना चाहती हूं। मम्मी पता नहीं मुझे क्या हो गया है। ऐसा लगता है कि कोई मुझे जीते हुए नहीं देखना चाहता। मैं मजबूर हूं, मेरे दिमाग ने क्या बना दिया, नर्क कर दी है मेरी जिंदगी। हां यह शरीर सिर्फ कपड़ा है जो कमजोर था… अलविदा

आंचल द्वारा लिखी गई यह चिटठी सोमवार को परिजनों को मिली तो परिजन बेटी की आखिरी इच्छा को पूरा करने के लिए इस चिट्ठी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाने के प्रयास में लगे हैं। पिता नरेश गिरि का कहना है कि दसवां सहित शोक की सभी रस्में पूरी हो जाने के बाद दिल्ली जायेंगे। जानते हैं कि प्रधानमंत्री तक चिट्ठी पहुंचाना मुश्किल काम है, लेकिन बेटी की आखिरी इच्छा को पूरा करने के लिए पूरा दम लगा देंगे।