गत दिवस इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में यूथ डे के अवसर पर इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया था जिस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर दर्री सीएसपी श्री खोमन सिन्हा को आमंत्रित किया गया था उसी के साथ मिस्टर प्रियांक सिंह को भी यूथ को मोटीवेट करने के लिए आमंत्रित किया गया था, कार्यक्रम की होस्ट स्नेहा अग्रवाल जी रहीं सर्वप्रथम कक्षा पांचवी की स्टूडेंट ईशा सिन्धु के द्वारा विवेकानंद जी के द्वारा कहे गए विचारों को स्लोगन के रूप में कहा गया तत्पश्चात मिस्टर प्रियांक सिंह जी के द्वारा सभा मे उपस्थित स्कूली छात्रों व यूथ को संबोधित करते हुवे कहा गया कि आज यूथ को जोश के साथ होश में रहने की जरूरत है । जोश और होश दोनों के बैलेंस की जरूरत है एक उदाहरण देते हुवे उन्होंने बतलाया कि एक मर्तबा स्वामी विवेकानंद विदेश में धर्म का प्रचार करने के लिये जाने वाले थे उन्होंने यह बात माता सारदा से पूछी माता सारदा नें पास पड़े चाकू को उठाकर देने को कहा स्वामी जी ने चाकू उठाकर माता सारदा को दी इस पर माता सारदा ने स्वामी जी से कहा आप हिंदुत्व का धर्म का प्रचार करने की काबिलियत रखते हो और यह कार्य बखूबी कर सकते हो इस पर स्वामी विवेकानंद ने पूछा कि आपने यह बात किस आधार पर कह दी तब माता सारदा ने कहा कि अगर किसी और से मैंने यह चाकू मांगा होता तो वह चाकू की नोक मेरे तरफ और उसकी हैंडल अपने हथेली में पकड़कर मुझे देता परंतु आपने ऐसा नहीं किया आपने जब मुझे चाकू दी तो चाकू की नोंक अपने हथेली में और हैंडल मेरे तरफ की जिससे साबित हुवा की आप दूसरों की रक्षा के लिए स्वयं को दांव पर लगा सकते हो पर सामने वाले को नुकसान नहीं पहुंचा सकते और यही तो धर्म है
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे दर्री सीएसपी श्री खोमन सिन्हा को ऑनलाइन मंच पर यूथ को मोटिवेट करने के लिये आमंत्रित किया गया था उन्होंने ऑनलाइन मंच पर उपस्थित आगंतुकों को साथ ही यूथ को संबोधित करते हुवे कहा कि मैं इंडस पब्लिक स्कूल द्वारा यूथ डे व स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित ऑनलाइन वेबिनार मंच पर आमंत्रित करने के लिये धन्यवाद अदा करता हूं । आगे अपने वक्तव्य में युवाओं को मोटिवेट करने के लिए उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी के जीवन से हमे प्रेरणा लेनी चाहिए वह यूथ आइकॉन के रूप में अपने गुणों व कर्मों के बदौलत अपनी पहचान बनाये, उनका जन्म ऐसे समय मे हुवा जब भारत देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था । ऐसे समय मे उनके विचार, सामाजिक उत्थान हेतु उनके मार्गदर्शन ने समाज को राह प्रदान की, उन्होंने अपनी शक्तियों को पहचाना था उसे प्रैक्टिकल जीवन मे एप्लीकेशन किया था, उनके विचार 100 वर्षों पहले भी प्रषांगिक थे आज भी प्रषांगिक हैं जब तक मानव जीवन है तब तक प्रषांगिक रहेंगे । चाहे हम बात करें भगत सिंह जी की या आज के समय मे अगर हम बात करें एपीजे अब्दुल कलाम जी की वह स्वामी विवेकानंद जी के नक्शे कदम पर चले उनके आइकॉन स्वामी विवेकानंद जी ही रहे, विवेकानंद जी ने हिंदुत्व को व राष्ट्रवाद को पुनर्जीवित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया । उनका जीवन मानव सेवा के लिये समर्पित रहा, उनका कहना था, ज्ञान लेने के पश्चात ज्ञान बांटना चाहिए क्योंकि ज्ञान से ही इस संसार को बदला जा सकता है । उनका जीवन आदर्श रहा जिनके पदचिन्हों पर चलकर लोग आज भी बहोत कुछ सीखते हैं । उनके व्यक्तित्व को उनके गुणों को लोगों को धारण कर उन जैसा गुणवान चरित्रवान अपने आप को बनाने का लक्ष्य रखना चाहिए, स्वामी विवेकानंद चलते फिरते धर्म के आइकॉन थे जिनके व्यक्तित्व से धर्म क्या है यह साफ झलकता था, उनके विचारो से वाणी से कर्म से धर्म रिफ्लेक्ट होता था
आगे इंडस पब्लिक स्कूल के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता का उद्बोधन रहा उन्होंने ऑनलाइन मंच पर उपस्थित सभी स्टूडेंट को उनके परिजनों को अतिथियों को मंच पर आने हेतु हृदय से आभार व्यक्त किया, जो अपना कीमती समय निकालकर सभी इस कार्यक्रम को सफल बनाने एकजुट हुवे आगे विवेकानंद जी के जन्म दिन के अवसर पर तथा यूथ डे के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने यूथ को मोटिवेट करने के लिये स्वामी विवेकानंद के जीवन को आत्मसात करने का लक्ष्य रखने को कहा उन्होंने बतलाया कि किस तरह स्वामी विवेकानंद जी ने अथक प्रयास कर राष्ट्र के नाम के रौशन किया किस तरह वह अपने लक्ष्य को लेकर डटे रहे, वह अकेले जरूर पड़े पर कभी हार नहीं माने, उनका आत्मविश्वास का स्तर कितना ऊंचा रहा होगा जो उन्होंने इतना बड़ा लक्ष्य लेकर चले भी हांसिल भी किया । कहते लक्ष्य जितना बड़ा लक्ष्य प्राप्ति के बीच मे प्रोब्लम भी उतनी ही ज्यादा आती है । ऐसा नहीं कि उन्होंने आसानी से लक्ष्य प्राप्त कर लिया प्रॉब्लम उनके भी फेस करना पड़ा पर वह डटे रहे और अंत तक डटे रहे आखिरकार कहीं जाकर उन्हें वह मुकाम मिला जिनके लिए वह प्रतासरत थे, आज हम अगर गौर फरमाएं तो लोगों का जीवन स्वयं के लिए ही कमाने खाने में गुजर जाता है दूसरों के बारे में करना तो दूर कोई सोचता भी नहीं है पर स्वामी विवेकानंद जी का व्यक्तित्व ऐसा था कि उनमे अहम की भावना नहीं बल्कि हम की भावना था उनके कार्य स्वयं के प्रति के साथ सर्व के प्रति भी रहे, विश्व बंधुत्व की भावना उनके मन मे थी, वह लोगों को आत्मिक दृश्टिकोण से देखते हैं इसलिय सर्व मनुस्य आत्माएं उनके लिये एक समान थे या यह कहें उनमे समानता की भावना थी, वह ऊंच नीच, अमीरी गरीबी से परे इंसान को इंसानियत की नजर से देखते थे, उनमे दया थी करुणा थी, वह कर्मयोगी थे अर्थात हर कर्म करते परमात्मा की याद में रहते थे वह कर्म को परमात्मा को समर्पित करते थे आर्थत वह कभी अपनी प्रशंसा स्वीकार नहीं करते थे क्योंकि हर कार्य को वह कहते थे कि परमात्मा करा रहा है मैं तो बस निमित्त हूं, इस भाव से उनके मन मे अहंकार नहीं पनपता था । उनके विचार सर्वश्रेष्ठ थे जो मानव को महापुरुष बनाने वाले विचार थे अगर उनके विचारों पर आज की पीढ़ी चल जाये तो चंद दिनों में भारत विश्व गुरु बन जाये वह कहा करते थे उन्हें बस 100 अपने जैसे युवा मिल जाये तो वह राष्ट्र को सर्वोच्च शिखर पर पहुंचा देंगे पर अफसोस कि आज तक वह हो नहीं सका क्योकि युगपुरुष तो युग में व करोड़ो में एक होता है ।
कार्यक्रम के दौरान आईपीएस के बच्चों ने भी पार्टिसिपेट किया आईपीएस के डांस टीचर राम सर ने रंगारंग नृत्य की प्रस्तुति की कक्षा आठवी की छात्रा तमन्ना सिंधु द्वारा स्पीच दिया गया, कक्षा चौथी के छात्र अर्जुन चौरसिया द्वारा विवेकानंद जी के वेशभूषा धारण कर उनके विचारों को प्रस्तुत किया गया, कक्षा सातवी की छात्रा रिदिमा हलदार द्वारा पोएम सुनाया गया, तत्पश्चात कक्षा दूसरी की छात्रा सेसा सारा द्वारा फिर कक्षा चौथी के छात्र अभिराज सोलंकी, कक्षा चौथी की छात्रा अनुष्का चंद्रा द्वारा प्रस्तुति किया गया । तत्पश्चात गृतिका द्वारा स्वामी विवेकानंद जी के विचारों पर प्रकाश डाला गया फिर मिषा सिंधु के द्वारा सबको वोट ऑफ थैंक्स किया गया, कार्यक्रम में आईपीएस के शिक्षक, शिक्षिकाएं ऑनलाइन मंच पर मौजूद रहे इस तरह से सम्पूर्ण कार्यक्रम सफलता पूर्वक सम्पन्न हुवा ।