- रचनात्मकता, अनुभव, लीडरशीप, धैर्यता, प्रबंधकीय जैसे गुणों के बदौलत राष्ट्रीय शिक्षा रत्न अवार्ड 2020 हेतु नॉमिनेट हुवे आई.पी.एस. दीपका के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता, 26 दिसम्बर को सी.ई.डी. फॉउंडेशन द्वारा इंडिया इंटरनेशनल सेन्टर दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा रत्न से होंगे सम्मानित
- 26 दिसम्बर को इंडिया इंटरनेशनल सेन्टर दिल्ली में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय शिक्षा रत्न अवार्ड 2020 हेतु आई.पी.एस. के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता का नाम हुआ नॉमिनेट
- पच्चीस वर्षों के अथक परिश्रम के फलस्वरूप डॉ संजय गुप्ता को मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षा रत्न अवार्ड 2020, डॉ गुप्ता 26 दिसम्बर को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेन्टर में होंगे सम्मानित
सी. ई. डी. फाउंडेशन द्वारा प्रतिवर्ष राष्ट्रीय शिक्षा रत्न अवार्ड से राष्ट्र के एजुकेशनल लीडर तथा एजुकेटर को सम्मानित किया जाता रहा है । यह हम कोरबा वासियों के लिए अत्यंत ही हर्ष व गर्व की बात है की इस वर्ष कोरबा जिले अंतर्गत आई.पी.एस. दीपका के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता जी का नाम राष्ट्रीय शिक्षा रत्न अवार्ड के लिए चयनित हुआ है । आपको बतला दें कि यह अवार्ड पाने के लिए लोगों को तकरीबन 20 से 25 वर्ष का शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव होना अत्यंत आवश्यक होता है । उसके साथ ही विभिन्न पैरामीटर होते हैं जिस पर चयन किये जाने हेतु प्रतिभाशालियों का आंकलन किया जाता है । आगामी 26 दिसम्बर को सी. ई. डी. फाउंडेशन द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा रत्न अवॉर्ड 2020 दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है । जिस हेतु सी.ई.डी. फाउंडेशन ने आई.पी.एस. के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता को राष्ट्रीय शिक्षा रत्न अवार्ड से नवाजने हेतु तलब किया है ।
जब इस बात की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने हेतु हमारे संवाददाता ने आई.पी.एस. दीपका के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता से मुलाकात की तो उनके मध्य हुई परिचर्चा में आई.पी.एस. के प्राचार्य डॉ संजय गुप्ता जी ने बतलाया कि जैसा कि आप सभी भलीभांति वाकिफ हैं । कि राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्र के निर्माण में शिक्षा के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले एजुकेशनल लीडर व एजुकेटर्स को राष्ट्रीय शिक्षा रत्न अवार्ड से नवाजा जाता है । जिसको लेकर टीचिंग फील्ड में सेवा प्रदान करने वाले के मध्य उत्सुकता बनी होती है । एक शिक्षक का समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका होती है । यह सच है कि जन्म हमें माता पिता से मिलता है पर ज्ञान तो गुरु से ही मिलता है व ज्ञान बिना मनुस्य जीवन पशु समान है क्योकि कुदरत ने मनुस्य को विवेक से नवाजा है जो उसे अन्य प्राणियों से भिन्नता प्रदान करती है । आगे श्री गुप्ता ने इस गौरवशाली उपलब्धि पर अपना अनुभव बाँटते हुए कहा कि आज सीखने एवं सिखालने की प्रक्रिया में काफी तेजी से परिवर्तन हुआ है। विद्यार्थियों के प्रभावी ढंग से सीखने के लिए साधन एवं संसाधनों का प्रबंध करना एवं उन संसाधनों का उपयोग कर विद्यार्थियों को सिखाना यही एक मात्र लक्ष्य लेकर अपने कार्य को निःस्वार्थ भाव से करना एक शिक्षक का परम दायित्व होता है। एक शिक्षक को चाहिए कि विद्यार्थियों को केवल पुस्तकीय ज्ञान के दायरे में न बाँधकर, पुस्तक से अजिैत ज्ञान को अपनी जिंदगी में जीने हेतु प्रेरित करे। राष्ट्रीय शिक्षा अवार्ड से सम्मानित होना मेरे लिए तो वास्तव में जीवन की एक बहुत बडी उपलब्धि है। मैं इस हेतु सभी सम्मानीय विद्वानों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने मुझे इस सम्मान के काबिल समझा। वर्तमान में हमारी शिक्षा व्यवस्था के सम्मुख विभिन्न प्रकार की सम्स्याएँ परिलक्षित होती हैं । जिनमें से प्रमुख रुप से हमारे राष्ट्र के भविष्य और आधार छात्रों की अनियमित जीवनशैली एवं खान-पान प्रमुख समस्या है। जिस प्रकार से दुनिया आगे बढ़ रही है । यदि हम जरा भी प्रतिदिन आने वाली जानकारियों के अभाव में अपनी शिक्षा व्यवस्था को विज्ञान के अविष्कारों के अनुरुप साध नहीं पाएंगे तो शायद हम एक बेहतर एवं जुझारु भविष्य के निर्माण में नाकाम रहेंगे। क्योंकि आज प्रत्येक पैदा होने वाला बच्चा अपनी माँ के गर्भ से ही साईंस का ‘‘एस’’ सीख कर आता है। तात्पर्य यह है कि हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में विज्ञान का समावेश करना तो पड़ेगा ही साथ ही साथ एक भारतीय होने के नाते हमें अपनी प्राचीन एवं पुरातन संस्कृति को भी कभी नहीं भूलना है। हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में संस्कारों एवं संस्कृतियों का समावेष अनिवार्यतः करना चाहिए ताकि हम एक बेहतर भविष्य के निर्माण में अपना योगदान दे सकें। श्री संजय गुप्ता ने विद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा के संबंध में कहा कि प्रायमरी स्तर से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर के अलावा चाहे वह कोई भी कक्षा का स्तर हो हमें इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम विद्यालय में न केवल देश का भविष्य निर्माण कर रहे हैं । अपितु हमें एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था में जोर देना चाहिए जो न केवल एक अच्छा व्यक्तित्व का निर्माण करे अपितु हमारी शिक्षा व्यवस्था व्यवसायिक होने के साथ-साथ व्यवहारिक भी होना चाहिए। हम लोगों को शिक्षित तो करें ही साथ ही साथ एक सम्मानजनक चरित्र का भी निर्माण करें।
राष्ट्रीय शिक्षा रत्न अवार्ड कार्यक्रम का आयोजन सेंटर फाॅर एजुकेशन डेव्हलपमेंट दिल्ली द्वारा किया जा रहा है । आगामी 26 दिसंबर को आयोजित इस कार्यक्रम में श्री संजय गुप्ता को राष्ट्रीय शिक्षा रत्न अवार्ड से नवाजा जाना है । श्री संजय गुप्ता के इस उपलब्धि पर आज न केवल इंडस पब्लिक स्कूल अपितु संपूर्ण दीपका एवं कोरबा क्षेत्र गौरवान्वित महसूस कर रहा है। श्री संजय गुप्ता के कुशल मार्गनिर्देशन एवं नवाचार के प्रयोगों के कारण ही आज उनका संस्थान सतत प्रगति की ओर अग्रसर है । तथा इसी का परिणाम है । कि आज वे राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा रत्न अवार्ड से सम्मनित होने जा रहे हैं । विद्यालय परिवार ने श्री गुप्ता को उनकी उपलब्धि पर कोटि-कोटि बधाइयाँ दीं। निस्चित ही विद्यालय का संचालन एक ऐसा विषेश कार्य है । जिसमें अथक परिश्रम एवं कुशल अनुभव की आवष्यकता होती है। विद्यालय में सभी कर्मचारियों के साथ बेहतर तालमेल रखते हुए विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए मार्ग प्रशस्त करने का कार्य केवल वही प्राचार्य कर सकता है । जिसमें ज्ञान, अनुभव, धैर्य एवं प्रबंधकीय गुण मौजूद हों । उपलब्ध संसाधनों का दक्षता पूर्वक नए एवं प्रभावपूर्ण तरीके से उपयोग करते हुए लोगों के कार्यों में समन्वय कर लक्ष्यों की प्राप्ति करना ही एक अच्छे प्रबंधक के गुण होते हैं।आज शिक्षा एवं शैक्षिक संस्थानों में भी अपार प्रतिस्पर्धा है। ऐसे में प्राचार्य को अपने संस्थान को सर्वसुविधायुक्त, सर्वगुण संपन्न बनाते हुए विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य के लिए उन्हें सही दिशा निर्देशन देते हुए सफलता के शिखर पर पहुँचाना एवं समाज में अपने संस्थान को प्रतिस्थापित करना एक कड़ी चुनौती है। पूर्वानुमान करना,योजना बनाना,आदेश देना एवं समन्वय करना यही एक अच्छे प्राचार्य के गुण होते हैं। जिस तरह नवजात शिशु धीरे-धीरे अपने स्वरुप व गुणों में वृद्धि या परिवर्तन प्रदर्शित करता है। वैसे ही इंडस पब्लिक स्कूल दीपका क्षेत्र में धीरे-धीरे अपना अस्तित्व स्थापित कर रहा है।
डाॅ. गुप्ता ने कहा कि आपके काम आने वाली पीढ़ियों के साथ आगे जाने वाले हैं अतः शिक्षकों को बच्चों के साथ बच्चों के लिए ऐसे कार्य करने चाहिए जो आगे चलकर न केवल सुदृढ़ छात्र अपितु सुदृढ़ समाज एवं राष्ट्र की रचना करें ।
हमारे संस्थान ने हमेशा अपने विद्यार्थियों को एक स्वस्थ और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धी माहौल प्रदान किया है ताकि वे हर क्षेत्र की गतिविधि में विकास कर सकें चाहे वह शिक्षा, खेल या अन्य कोई अतिरिक्त भूमिका हो। हमने अपने सभी विद्यार्थियों को समान अवसर दिए हैं ताकि वे अपनी वास्तविक क्षमता की पहचान करें और स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद बाहरी दुनिया का सामना करने के लिए तैयार हो जाएं ।