• अपने हर सपने को सांसो में रखों, हर मंजिल को अपने बाहों में रखों, हर जीत आपकी हैं । बस अपने लक्ष्य को अपनी आँखों में रखों।” डॉ संजय गुप्ता।
  • लक्ष्य क्लियर होने से सम्बंधित लक्षण भी स्वतः ही पनप जाते हैं। बिना लक्ष्य के जीवन जीना अंधेरे में तीर चलाने के समान – संजय गुप्ता।
  • नॉलेज, अनुभव, लीडरशीप, धैर्यता, क्रिएटिविटी क्वालिटी के आधार पर पांचवे एजुलिडर सम्मिट एंड अवार्ड 2020 में आईपीएस दीपका के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता को मिला बेस्ट प्रिंसिपल का अवार्ड

विद्यालय का संचालन एक ऐसा विषेश कार्य है। जिसमें अथक परिश्रम एवं कुशल अनुभव की आवष्यकता होती है। विद्यालय में सभी कर्मचारियों के साथ बेहतर तालमेल रखते हुए विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए मार्ग प्रषस्त करने का कार्य केवल वही प्राचार्य कर सकता है । जिसमें ज्ञान, अनुभव, धैर्य एवं प्रबंधकीय गुण मौजूद हों। उपलब्ध संसाधनों का दक्षता पूर्वक नए एवं प्रभावपूर्ण तरीके से उपयोग करते हुए लोगों के कार्यों में समन्वय कर लक्ष्यों की प्राप्ति करना ही एक अच्छे प्रबंधक के गुण होते हैं।आज शिक्षा एवं शैक्षिक संस्थानों में भी अपार प्रतिस्पर्धा है।ऐसे में प्राचार्य को अपने संस्थान को सर्वसुविधायुक्त,सर्वगुण संपन्न बनाते हुए विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य के लिए उन्हें सही दिशा निर्देशन देते हुए सफलता के शिखर पर पहुँचाना एवं समाज में अपने संस्थान को प्रतिस्थापित करना एक कड़ी चुनौती है। पूर्वानुमान करना,योजना बनाना,आदेश देना एवं समन्वय करना यही एक अच्छे प्राचार्य के गुण होते हैं। जिस तरह नवजात शिशु धीरे-धीरे अपने स्वरुप व गुणों में वृद्धि या परिवर्तन प्रदर्शित करता है। वैसे ही इंडस पब्लिक स्कूल दीपका क्षेत्र में धीरे-धीरे अपना अस्तित्व स्थापित कर रहा है।

इंडस पब्लिक स्कूल-दीपका के प्राचार्य श्री संजय गुप्ता अपने अनुभव एवं कार्यप्रणाली के द्वारा इस विद्यालय को लगातार श्रेष्टता की दिशा में अग्रसर कर रहे हैं। जिसका प्रतिसाद श्री संजय गुप्ता को सर्वश्रेष्ठ प्राचार्य के सम्मान के रुप में मिला। विगत 25 वर्षों से शिक्षा जगत को अपनी सेवा देते हुए श्री संजय गुप्ता प्राचार्य ( इंडस पब्लिक स्कूल-दीपका ) ने अपना सर्वस्व समर्पित करते हुए आज उस मुकाम को हासिल किया जो एक सामान्य व्यक्ति के लिए सहज नहीं है। उन्हें विभिन्न दिग्गज एवं नामी प्राचार्योें के अलावा संपूर्ण भारत के विभिन्न नामचीन सी0बी0एस0ई0 स्कूलों के प्राचार्यों के मध्य ‘‘बेस्ट ’आउटस्टेंडिंग लीडरशिप प्रिंसिपल ऑफ द इयर-2020-21 का अवार्ड मिलना वास्तव में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

प्रिंसिपल फोरम सेंटर फाॅर एजुकेशन डेव्हलपमेंट दिल्ली द्वारा ऑनलाइन माध्यम से आयोजित वर्चवल नेशनल समीट-2020 के गरिमामयी कार्यक्रम में इंडस पब्लिक स्कूल-दीपका के प्राचार्य श्री संजय गुप्ता को ‘स्कूल एक्सीलेंस लीडरसिप अवार्ड -2020’ की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ प्राचार्य के सम्मान से सम्मानित किया गया।

इस कार्यक्रम का आयोजन सेंटर फाॅर एजुकेशन डेव्हलपमेंट दिल्ली द्वारा किया गया जिसमें विभिन्न राज्यों के 15 प्राचार्य उपस्थित हुए। 9 एवं 10 दिसंबर दो दिन तक चले इस कार्यक्रम के वर्कशाॅप में कुल 20 श्रेणी के अंतर्गत देश के चुनिंदा 15 प्राचार्यों में से श्री संजय गुप्ता को सर्वश्रेष्ठ प्राचार्य के रुप में चुना गया।

श्री संजय गुप्ता के इस उपलब्धि पर आज न केवल इंडस पब्लिक स्कूल अपितु संपूर्ण दीपका एवं कोरबा क्षेत्र गौरवान्वित महसूस कर रहा है। श्री संजय गुप्ता के कुशल मार्गनिर्देशन एवं नवाचार के प्रयोगों के कारण ही आज उनका संस्थान सतत प्रगति की ओर अग्रसर है । तथा इसी का परिणाम है । कि आज वे राष्ट्रीय स्तर पर बेस्ट प्रिंसिपल के रुप में सम्मनित हुए।विद्यालय परिवार ने श्री गुप्ता को उनकी उपलब्धि पर कोटि-कोटि बधाइयाँ दीं।

श्री गुप्ता ने इस गौरवशाली उपलब्धि पर अपना अनुभव बाँटते हुए कहा कि आज सीखने एवं सिखालने की प्रक्रिया में काफी तेजी से परिवर्तन हुआ है। विद्यार्थियों के प्रभावी ढंग से सीखने के लिए साधन एवं संसाधनों का प्रबंध करना एवं उन संसाधनों का उपयोग कर विद्यार्थियों को सिखाना यही एक मात्र लक्ष्य लेकर अपने कार्य को निःस्वार्थ भाव से करना एक शिक्षक का परम दायित्व होता है। एक शिक्षक को चाहिए कि विद्यार्थियों को केवल पुस्तकीय ज्ञान के दायरे में न बाँधकर, पुस्तक से अजिैत ज्ञान को अपनी जिंदगी में जीने हेतु प्रेरित करे। बेस्ट प्रिंसिपल के रुप में सम्मानित होना वास्तव में जीवन की एक बहुत बडी उपलब्धि है। मैं इस हेतु सभी सम्मानीय विद्वानों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने मुझे इस सम्मान के काबिल समझा। वर्तमान में हमारी शिक्षा व्यवस्था के सम्मुख विभिन्न प्रकार की सम्स्याएँ परिलक्षित होती हैं । जिनमें से प्रमुख रुप से हमारे राष्ट्र के भविष्य और आधार छात्रों की अनियमित जीवनशैली एवं खान-पान प्रमुख समस्या है। जिस प्रकार से दुनिया आगे बढ़ रही है । यदि हम जरा भी प्रतिदिन आने वाली जानकारियों के अभाव में अपनी शिक्षा व्यवस्था को विज्ञान के अविष्कारों के अनुरुप साध नहीं पाएंगे तो शायद हम एक बेहतर एवं जुझारु भविष्य के निर्माण में नाकाम रहेंगे। क्योंकि आज प्रत्येक पैदा होने वाला बच्चा अपनी माँ के गर्भ से ही साईंस का ‘‘एस’’ सीख कर आता है। तात्पर्य यह है कि हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में विज्ञान का समावेश करना तो पड़ेगा ही साथ ही साथ एक भारतीय होने के नाते हमें अपनी प्राचीन एवं पुरातन संस्कृति को भी कभी नहीं भूलना है। हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में संस्कारों एवं संस्कृतियों का समावेष अनिवार्यतः करना चाहिए ताकि हम एक बेहतर भविष्य के निर्माण में अपना योगदान दे सकें। श्री संजय गुप्ता ने विद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा के संबंध में कहा कि प्रायमरी स्तर से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर के अलावा चाहे वह कोई भी कक्षा का स्तर हो हमें इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम विद्यालय में न केवल देश का भविष्य निर्माण कर रहे हैं । अपितु हमें एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था में जोर देना चाहिए जो न केवल एक अच्छा व्यक्तित्व का निर्माण करे अपितु हमारी शिक्षा व्यवस्था व्यवसायिक होने के साथ-साथ व्यवहारिक भी होना चाहिए। हम लोगों को शिक्षित तो करें ही साथ ही साथ एक सम्मानजनक चरित्र का भी निर्माण करें।