रुद्रपुर:- एक बाप ने अपने सिर्फ साढ़े तीन साल के मासूम बेटे को मौत के घाट इसलिए उतार दिया क्योंकि उसकी बीमारी के इलाज में खर्च बहुत ज़्यादा हो रहा था और वह कर्ज़ में डूब रहा था. इस सनसनीखेज़ खबर ने मारे गए बच्चे के परिवार को ही नहीं, पुलिस समेत किच्छा में सबको हैरान कर दिया है. हैरानी की बात यह भी है कि इस बाप ने अपने बेटे के लापता होने की झूठी कहानी भी गढ़ी. हालांकि बच्चे का शव पुलिस ने बहेड़ी थाने के ढकिया गांव में एक नाले के पास से बरामद कर लिया. अब आरोपी पिता को अब कोर्ट में पेश करने की तैयारी की जा रही है.
किच्छा के वार्ड 19 सिरौलीकला निवासी मोहम्मद तारिक ने मंगलवार की शाम पुलभट्टा थाने में तहरीर दी थी कि उसने अपने साढ़े तीन साल के बच्चे शाबान को बाइक से घुमाने के बाद घर के बाहर छोड़ा था. सुबह 11 बजे शाबान घर के बाहर खेलते हुए लापता हो गया. पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज करने के बाद तलाश शुरू की, तो 30 सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए. एक फुटेज में तारिक बच्चे को बाइक से पुलभट्टा ले जाते दिखा, जबकि उसने बहेड़ी जाने की बात कही थी. पुलिस को उसका मोबाइल बंद होने पर भी शक हुआ तो सख्ती से पूछताछ की गई और तारिक ने सच उगल दिया.
हत्या की वजहें कर्ज़ और खर्च!
एसपी सिटी ममता बोहरा ने बताया कि तारिक ने बैंक से लोन लेकर ट्रक खरीदा था, जिससे वह परिवार का भरण पोषण करता था. तारिक ने पूछताछ में बताया कि शाबान को जन्म से ही हीमोफीलिया बीमारी थी. इलाज में काफी पैसा खर्च हो रहा था. दो दिन पहले भी बच्चे के कान से खून निकला तो हल्द्वानी के डॉक्टर ने कई महंगी जांचें और दिल्ली में इलाज करवाने की सलाह दी. तारिक ने कहा कि शाबान के इलाज के बढ़ रहे खर्च, लोन की किस्तें न चुका पाने और ट्रक कारोबार में घाटे से वह तनाव में था इसलिए उसने शाबान का गला घोंट दिया.
बाप ने कैसे बनाया बच्चे की हत्या का प्लान?
तारिक पहले शाबान को बाइक से घुमाने के बहाने ले गया और फिर बच्चे को घर के बाहर छोड़ गया. थोड़ी देर बाद चुपके से वह शाबान को फिर बाइक से ढकिया की तरफ ले गया. यहां उसने शाबान का गला घोंटा और फिर बहेड़ी जाकर एक ट्रांसपोर्टर से 900 रुपये कलेक्ट किए. घर लौटने के बाद शाबान के गायब होने पर हंगामा करते हुए वह परिजनों के साथ तलाश में जुट गया था. पुलिस के मुताबिक तारिक के दो बच्चे थे, जिनमें से छोटे बेटे शाबान का उसने कत्ल कर दिया. अब घर में उसकी पत्नी आयशा बी और 6 साल का बेटा है.
क्या होता है हीमोफीलिया?
शाबान जिस रोग से ग्रस्त था, वह भारत में दुर्लभ रोगों की श्रेणी में है. हीमोफीलिया से ग्रस्त रोगियों के शरीर में खून का थक्का जम नहीं पाता है इसलिए बहुत ज़्यादा खून बहने की शिकायत रहती है. इस बीमारी में इलाज से मदद तो मिलती है लेकिन स्थायी हल नहीं है. गंभीर स्थिति में तो मरीज़ को नियमित रूप से खून देने की नौबत रहती है.