नई दिल्ली:- महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर विवाद गहराता जा रहा है. सरकार और विपक्ष इस मुद्दे को लेकर दो-दो हाथ करने का मन बना चुके हैं. आज इस मामले को लेकर उद्धव ठाकरे की सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, लेकिन बीजेपी ने इस बैठक का बहिष्कार किया था. बैठक के बाद महाराष्ट्र के मंत्री और सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है जो कि है नहीं. इसलिए केंद्र सरकार को इस पर कानून बनाना चाहिए. वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने सीधे-सीधे सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि यदि हनुमान चालीसा का पाठ करना देशद्रोह या राजद्रोह है तो हम सभी देशद्रोही हैं. अगर सरकार में हिम्मत है तो हम सबको गिरफ्तार करे.
हिटलर से बातचीत के बजाय लड़ना बेहतर
दरअसल, लाउडस्पीकर विवाद में देवेंद्र फडणवीस और महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल को शामिल होना था. बैठक में नहीं जाने के सवाल पर देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि इस बैठक का कोई औचित्य नहीं था क्योंकि बैठक में खुद सीएम उद्धव ठाकरे ही अनुपस्थित थे. उन्होंने कहा कि अगर कोई हिटलर की भूमिका ले ले तो उससे बातचीत करने के बजाय लड़ना बेहतर है. विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने आरोप लगाया कि निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा की गिरफ्तारी के पीछे सीएम उद्धव ठाकरे का हाथ है, क्योंकि राणा ने उद्धव ठाकरे के आवास के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने की घोषणा की थी. उन्होंने बीजेपी नेता किरीट सोमैया पर हमले के लिए भी उन्हें जिम्मेदार ठहराया.
केंद्र से कानून बनाने की मांग
इस बैठक में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे को भी न्योता दिया गया था लेकिन वे भी शामिल नहीं हुए. दरअसल, इस पूरे विवाद को राज ठाकरे ने ही जन्म दिया था. उन्होंने पिछले महीने एक रैली में चेतावनी देते हुए कहा था कि मस्जिदों से अगर ऊंची आवाज पैदा करने वाले लाउडस्पीकर को नहीं हटाया गया तो हम मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे. इसके बाद देश भर में इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई. कुछ राज्यों से लाउडस्पीकर को हटाए जाने की बात भी सामने आई है. यूपी के मथुरा से कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से भी ऊंची आवाज वाले लाउडस्पीकर को स्वतः ही हटा लिया गया है. यूपी के कई मंदिरों और मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाए जाने की खबर है. महाराष्ट्र में सर्वदलीय बैठक के बाद महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले में केंद्र से कानून बनाने की मांग की है.